पोप : दूसरों के दुःख के सामने रोने में लज्जा महसूस न करें
पोप फ्राँसिस ने शनिवार को सिराकुसा के संत अंजेला मेरिची फाऊंडेशन के 170 सदस्यों से वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की और कमजोर लोगों की सेवा करने के फाऊंडेशन के मिशन पर चिंतन किया।
पोप फ्राँसिस ने शनिवार को सिराकुसा के संत अंजेला मेरिची फाऊंडेशन के 170 सदस्यों से वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की और कमजोर लोगों की सेवा करने के फाऊंडेशन के मिशन पर चिंतन किया।
सिराकुसा के संत अंजेला मेरिची फाऊंडेशन के सदस्य अपने फाऊंडेशन की स्थापना की 50वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं। जो मोनसिन्योर गोजो से प्रेरित होकर सबसे कमजोर लोगों की सेवा करता है।
संत पापा ने फाऊंडेशन के इतिहास पर गौर किया जो उदारतापूर्वक कई केंद्रों का संचालन करता है: फाऊँडेशन की स्थापना की नींव उस घटना को मानी जाती है जब 1953 में, सिराकुसा शहर के इयानुसो दंपत्ति के घर में माता मरियम की एक छोटी तस्वीर से आँसू बह रहे थे।”
संत पापा ने कहा, “ये आँसू अपने बच्चों की पीड़ा और दर्द के लिए हमारी स्वर्गीय माँ मरियम के हैं। ये आँसू हमें हमारे प्रति ईश्वर की करुणा के बारे बताते हैं: उन्होंने हमें अपनी माँ प्रदान की है, जो हमारे लिए अपनी आँसू बहाती हैं ताकि हमें कठिन क्षणों में अकेलापन महसूस न हो। साथ ही, कुँवारी मरियम के आँसुओं के माध्यम से, प्रभु हमारे दिलों को पिघलाना चाहते हैं जो कभी-कभी उदासीनता में सूख जाते हैं और स्वार्थ में कठोर हो जाते हैं; वे हमारी अंतरात्मा को संवेदनशील बनाना चाहते हैं, ताकि हम अपने भाइयों के दर्द से प्रभावित हो सकें और हम उनके लिए करुणा से भर जाएँ, उन्हें ऊपर उठाने, उनका उत्थान करने, उनका साथ देने के लिए खुद को प्रतिबद्ध कर सकें।”
पोप ने कहा कि यही उनके इतिहास की समृद्धि है, उनकी जड़ है जिसे उन्हें नहीं खोना चाहिए और सबसे बढ़कर यह उनके कार्यों की सार्थकता है। फाऊंडेशन का उद्देश्य है व्यवसायिकता और त्याग की भावना के साथ माता मरियम के अपने बच्चों के लिए बह रहे आँसूओं को सुखाना।
पोप ने कहा, “जो पीड़ित हैं उनके आँसू सुखाएँ, पीड़ा में पड़े लोगों का साथ दें, समाज के सबसे कमज़ोर लोगों का समर्थन करें, सबसे दुर्बल लोगों की देखभाल करें, उन लोगों का स्वागत और उनकी मेजबानी करें जो कमज़ोरी की परिस्थितियाँ झेल रहे हैं।”
पोप ने सदस्यों को बतलाया कि सुसमाचार ही उनके मूल्यवान सेवा का स्रोत है। उन्होंने कहा, सुसमाचार स्रोत है क्योंकि येसु पहले व्यक्ति थे जो उन लोगों के कष्टों से द्रवित हुए जिनसे वे मिले और जैसा कि सुसमाचार लेखक संत योहन याद दिलाते हैं, "वे अपने मित्र लाजरूस की मृत्यु से गहराई से प्रभावित हुए थे।" (यो. 11.33)
पोप ने सदस्यों से कहा, आप सुसमाचार के, येसु की करुणा के एक जीवित प्रमाण हैं, जब आप दर्द में पड़े लोगों का साथ देने के लिए काम करते हैं, जैसा प्रभु ने अपने शिष्यों को भूखी, थकी हुई और उत्पीड़ित जनता के लिए करने का आदेश दिया था। वास्तव में, येसु हमें ईश्वर के प्रति प्रेम और पड़ोसियों के प्रति प्रेम को अलग नहीं करने के लिए कहते हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि अंत में हमारा मूल्यांकन बाहरी प्रथाओं के आधार पर नहीं, बल्कि उस प्रेम के आधार पर किया जाएगा, जिसको सांत्वना के तेल की तरह, हम अपने भाइयों के घावों पर डालने में सक्षम होंगे।
पोप ने फाऊँडेशन के सदस्यों को अपनी यात्रा जारी रखने का प्रोत्साहन दिया तथा उनके लिए प्रार्थना की कि वे पीड़ित लोगों के दुःखों से प्रभावित होने की क्षमता बनाये रखें। उदासीनता, व्यक्तिवाद, अपने आपमें बंद रहने और संवेदनहीनता को समाज की बड़ी बुराई बतलाते हुए संत पापा ने सलाह दी कि वे पीड़ित लोगों के लिए रोने, संवेदना महसूस करने में शर्म न करें; जो लोग नाज़ुक हैं उन पर दया करने से अपने आप को न रोकें, क्योंकि येसु इन्हीं लोगों में मौजूद हैं।
अंत में, पोप ने आंसूओं की माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि वे उनकी रक्षा करें एवं उनके लिए मध्यस्थ प्रार्थना करें।