पोप : ईश्वर को उत्साही मजदूरों की जरूरत

पोप लियो ने देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपने दिये गये संदेश में येसु ख्रीस्त के द्वारा अपने शिष्यों को भेजे जाने पर चिंतन करते हुए कहा कि ईश्वर उत्साही प्रेरितों की चाह रखते हैं।

पोप लियो ने 06 जुलाई को संत पेत्रुस के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

पोप ने सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

पोप ने देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये अपने संदेश में कहा कि आज का सुसमाचार हमें प्रेरिताई की महत्वपूर्णतः के बारे में याद दिलाता है जिसके लिए हम सभी बुलाये गये हैं, जिसे ईश्वर ने हम में से हर किसी को और कुछ को विशेष परिस्थितियों के लिए नियुक्त किया है।

आशा का सुसमाचार सब के लिए
पोप न कहा कि येसु अपने बहत्तर शिष्यों को प्रेषित करते हैं। यह संकेतिक संख्या हमारे लिए इस बात की ओर इंगित करती है कि आशा का सुसमाचार सभों के लिए है क्योंकि यह ईश्वर का विस्तृत हृदय है जहाँ हम फल की बहुतायत को पाते हैं। वास्तव में, ईश्वर दुनिया में अपने कार्यं को जारी रखते हैं जिससे उनकी संतान उनके प्रेम को अनुभव करते हुए मुक्ति प्राप्त कर सकें।

वहीं येसु हमें कहते हैं, फसल को बहुत है, लेकिन मजदूर थोड़े हैं, अतः फल से स्वामी से निवेदन करो कि वे मजदूरों को भेजे।

अनंत जीवन की चाह का बीज
तो वहीं दूसरी ओर, ईश्वर, एक बोने वाले के रुप में, दुनिया में और पूरे इतिहास में, लोगों के हृदयों में अनंत जीवन की एक चाह रूपी बीज को बोते हैं, एक सम्पूर्ण जीवन और मुक्ति की चाह जहाँ हम अपने में स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं। फसल इस भांति अपने में अत्यधिक है। ईश्वर का राज्य भूमि में एक बीच की भांति विकसित होता है, और आज के नर और नारियाँ, यद्यपि वे अपने को विभिन्न चीजों से बोझिल, चिंतित पाते हैं, अपने में एक बड़ी सच्चाई की खोज करते हैं,वे अपने जीवन की अर्थपूर्णतः न्याय और अपने अंतस्थल में अनंत जीवन की चाह को वहन करते हैं।

ईश्वर की चाह
जबकि दूसरी ओर, हलांकि हम कुछेक मजदूरों को पाते हैं जो ईश्वर के द्वारा बोये गये खेतों में जाते हैं, वे थोड़े ही हैं जो येसु की निगाहों से यह अंतर स्थापित करने के योग्य होते हैं कि अच्छी फसल पककर लुनने हेतु तैयार हो गई है। ईश्वर हमारे जीवन में और मानवीय इतिहास में कुछ बड़ा करने की इच्छा रखते हैं, लेकिन बहुत कम लोग हैं जो इस रहस्य को समझ पाते हैं, वे रूकते और ईश्वर के उपहार को अपने में ग्रहण करते और उसे दूसरों के संग साझा करते हैं।

उत्साही मजदूरों की जरुरत
प्रिय भाइयो एवं बहनों, कलीसिया और विश्व को उन लोगों की जरुरत नहीं है जो अपने धार्मिक उत्तरदायित्वों को इस भांति पूरा करते हैं मानो कि वह सिर्फ एक वाह्य की चीज है। हमें उन मजदूरों की जरुरत है जो प्रेरिताई हेतु जरुरी स्थलों में कार्य करने को तैयार हैं, उन प्रिय शिष्यों की भांति जो ईश्वर के राज्य का साक्ष्य सब जगह देने को उत्सुक हैं। शायद ऐसे “अस्थायी ख्रीस्तीयों” की कोई कमी नहीं है जो कभी-कभी किसी धार्मिक भावना के आधार पर कार्य करते हैं या छिटपुट आयोजनों में भाग लेते हैं। लेकिन कुछ हैं जो सदैव, रोज दिन ईश्वर की दाखबारी में कार्य करने को तैयार रहते हैं, वे अपने जीवन में सुसमाचार के बीज को विकसित करते जिससे वे उसे अपने परिवारों के संग, कार्य स्थलों या अध्ययन, अपने सामाजिक संदर्भ और जरूरमंदों के संग साझा करते हैं।

पोप लियो ने कहा कि ऐसा करने के लिए हमें प्रेरितिक परियोजनाओं के संबंध में बहुत अधिक सैद्धांतिक विचारों की जरूरत नहीं है। इसके बदले, हमें फसल के स्वामी से प्रार्थना करने की आवश्यकता है। अतः हमें ईश्वर के संग संबंध स्थापित करने और उनके संग वार्ता में प्रवेश करने हेतु प्राथमिकता देने की जरुरत है। ऐसा करने के द्वारा वे हमें अपना मजदूर बनायेंगे और दुनिया के कार्य क्षेत्र में अपने राज्य का साक्षा देने हेतु भेजेंगे।                                                                                                                                                                                                                               

पोप ने कहा कि हम कुवांरी माता से निवेदन करें, जिन्होंने उदारता में हाँ कहते हुए मुक्ति के कार्य में सहभागी हुई, वे हमारे लिए निवेदन करें और ईश्वर का अनुसरण करने के मार्ग में हमारे साथ चलें जिससे हम भी ईश्वरीय राज्य के आनंदमय मजदूर बन सकें।