पुरोहित विश्व में शांति और एकता के प्रतीक बनें, पोप लियो

वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में येसु के पवित्रतम हृदय महापर्व पर पुरोहिताभिषेक के अवसर पर शुक्रवार को सन्त पापा लियो 14 वें ने कहा कि येसु के पवित्रतम हृदय पर चिन्तन हमसे उनके देहधारण, मृत्यु और पुनःरुत्थान के रहस्य पर मनन का आग्रह करता है।

धर्मग्रन्थ पाठों पर चिन्तन
इस महापर्व पर प्रस्तावित धर्मग्रन्थ पाठों की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए पोप ने कहा कि आज के प्रथम पाठ में, नबी एज़ेकियल ने ईश्वर को एक चरवाहे के रूप में वर्णित किया है जो अपने झुंड की देखभाल करता है। वह खोए हुए लोगों को खोजता, घायलों को बाँधता और कमज़ोर और बीमारों को मज़बूत बनाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार वह हमें याद दिलाता है कि विशाल और विनाशकारी संघर्षों के इस युग में, ईश्वर के प्रेम की कोई सीमा नहीं है।

पोप ने कहा कि हमें खुद को ईश्वरीय प्रेम का आलिंगन करने और आकार देने के लिए बुलाया जाता है, और यह महसूस करने के लिए कि ईश्वर की दृष्टि में किसी भी तरह के विभाजन और घृणा के लिए कोई जगह नहीं है।

रोमियों को लिखे सन्त पौल के पत्र के पाँचवे अध्याय से लिये दूसरे पाठ पर मनन करते हुए पोप ने कहा कि सन्त पौल हमें याद दिलाते हैं कि ईश्वर ने हमारे साथ पुनर्मिलन तब किया “जब हम कमज़ोर और “पापी” थे”। उन्होंने कहा कि ईश्वर की कृपा हमें प्रतिदिन परिवर्तन के मार्ग पर चलने तथा हमारे हृदयों में निवास करने वाले पवित्रआत्मा की परिवर्तनकारी शक्ति के हाथों में स्वतः को सौंपने के लिए प्रोत्साहित करती है। यही कारण है कि हमारी आशा इस ज्ञान पर आधारित है कि प्रभु ईश्वर कभी भी हमारा परित्याग नहीं करते,  वे हमेशा हमारे साथ रहते हैं।

यूखारिस्त,  “ख्रीस्तीय जीवन का स्रोत 
पवित्र यूखरिस्त को अपने जीवन का केन्द्र बनाने का आह्वान कर सन्त पापा ने कहा कि जैसा कि द्वितीय वाटिकन महासभा हमें सिखाती है, यूखारिस्त, “ख्रीस्तीय जीवन का स्रोत और शिखर” है। इसी प्रकार, उन्होंने कहा, “संस्कारों के फलदायी स्वागत के माध्यम से, और विशेष रूप से संस्कारात्मक प्रायश्चित के लगातार अभ्यास के द्वारा” तथा साथ ही सतत् प्रार्थना, ईशवचन पर ध्यान, और दान के अभ्यास द्वारा हम अपने हृदयों को “दयासागर पिता” के हृदय के और भी करीब लाते हैं।

सुसमाचार पाठ पर चिन्तन कर सन्त पापा ने कहा कि पुरोहितों को भले गड़ेरिये येसु के सदृश गड़ेरिये बनने के लिये बुलाया गया है ताकि वे एक को भी न खोयें बल्कि हर एक की तलाश कर उदार प्रेम की मिसाल अपने भाइयों के बीच रखें।

उदारता और एकता
पोप लियो ने कहा कि ऐसा हम उन लोगों को अपने कंधों पर उठाकर करते हैं जो खो गए हैं, उन लोगों को क्षमा प्रदान करते हैं जिन्होंने गलती की है, उन लोगों को खोजते हैं जो भटक ​​गए हैं या पीछे छूट गए हैं, तथा उन लोगों की देखभाल द्वारा करते हैं जो शारीरिक या मानसिक रूप से पीड़ित हैं।

पोप ने पुरोहितों को स्मरण दिलाया कि पुरोहितिक मिशन पवित्रीकरण और मसीह के शरीर के साथ पुनर्मिलन का कार्य है। इस कारण से, द्वितीय वाटिकन महासभा ने पुरोहितों को “दान की एकता की ओर ले जाने” हेतु हर संभव प्रयास करने तथा मतभेदों को सामंजस्य में परिणत करने का आग्रह किया है ताकि “कोई भी… खुद को अलग-थलग महसूस न करे।”

पोप ने नवाभिषिक्त पुरोहितों से आग्रह किया कि वे ईश्वर और अपने भाइयों और बहनों से प्रेम करें तथा अपने आपको उदारता के प्रति समर्पित करें। संस्कारों के उत्सव में, प्रार्थना में, विशेष रूप से यूखारिस्त के समक्ष आराधना में और अपनी सेवकाई में येसु उत्साही शिष्य बने रहें।वाटिकन सिटी