देवदूत प्रार्थना में पोप : साक्ष्य और क्षमाशीलता से एकता बढ़ता है

संत पेत्रुस और पौलुस के महापर्व पर, पोप लियो 14वें ने ख्रीस्तीय एकता के बुलावे पर प्रकाश डाला, जो शहादत के साक्ष्य और क्षमाशीलता की परिवर्तनकारी शक्ति पर आधारित है।

संत पेत्रुस और पौलुस के महापर्व के अवसर पर संत पापा लियो 14वें ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 29 जून को भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए रोम की कलीसिया के मूल की याद कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

आज रोम की कलीसिया के लिए एक महान पर्व है, जो प्रेरित संत पेत्रुस और पौलुस के साक्ष्य से उत्पन्न हुई है और उनके तथा कई अन्य शहीदों के खून से उपजाऊ बनी है।”

उनकी विरासत को सम्मानित करते हुए एवं वर्तमान के ख्रीस्तियों के बलिदान को जोड़ते हुए उन्होंने कहा, “हमारे समय में भी, पूरे विश्व में, ऐसे ख्रीस्तीय हैं जिन्हें  सुसमाचार इतना उदार और साहसी बनाता है कि वे अपने जीवन तक से कीमत चुकाते हैं। इस प्रकार रक्त की ख्रीस्तीय एकता, ख्रीस्तीय कलीसियाओं के बीच एक अदृश्य और गहन एकता रूप में मौजूद है, जो अभी तक एक-दूसरे के साथ पूर्ण और दृश्य सहभागिता में नहीं रहते हैं।

संत पापा ने कहा, “इसलिए मैं इस पवित्र पर्व पर यह पुष्टि करना चाहता हूँ कि मेरी धर्माध्यक्षीय सेवा एकता की सेवा है और रोम की कलीसिया संत पेत्रुस और पौलुस के रक्त द्वारा सभी कलीसियाओं के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।”

येसु सच्ची चट्टान हैं
वह चट्टान, जिससे पेत्रुस को नाम मिला है वे स्वयं ख्रीस्त हैं। एक पत्थर जिसे मनुष्यों ने अस्वीकार कर दिया और जिसे ईश्वर ने आधारशिला बनाया (मत्ती 21:42)। यह प्राँगण और संत पेत्रुस और संत पौलुस का महागिरजाघर हमें बताते हैं कि कैसे यह उलटफेर हमेशा जारी रहता है। वे प्राचीन शहर के किनारे स्थित हैं, "दीवारों के बाहर", जैसा कि आज भी कहा जाता है।

जो हमारे लिए महान और गौरवशाली प्रतीत हो रहा है वह पहले अस्वीकार किया एवं निकाल दिया गया था क्योंकि यह सांसारिक मानसिकता के विपरीत है। जो येसु का अनुसरण करता है वह धन्यताओं के रास्ते पर चलता है जहाँ दीनता, विनम्रता, दयालुता की भावना के साथ तथा न्याय भावना के लिए भूख और प्यास हैं। शांति के लिए काम करनेवालों को विरोध और यहाँ तक कि उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। फिर भी, ईश्वर की महिमा उसके मित्रों में चमकती है और मन-परिवर्तन से लेकर धर्म परिवर्तन तक के मार्ग में उन्हें आकार देती है।

क्षमाशीलता महान बनाती है
संत पापा ने कहा, “प्रिय भाइयो और बहनो, प्रेरितों की कब्रों पर, जो कि एक हजार साल पुराना तीर्थस्थल है, हम भी पाते हैं कि हम एक मन-परिवर्तन को मन परिवर्तन में जी सकते हैं।”

संत पापा ने संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के दूसरे पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा, नया व्यवस्थान उन लोगों की गलतियों, विरोधाभासों और पापों को नहीं छिपाता जिन्हें हम सबसे महान प्रेरितों के रूप में आदर देते हैं। वास्तव में, उनकी महानता क्षमा द्वारा आकार लेती थी। जी उठे हुए प्रभु उन्हें अपने मार्ग पर वापस लाने के लिए एक से अधिक बार बुलाने आये। येसु कभी भी सिर्फ एक बार नहीं बुलाते। यही कारण है कि हम सभी हमेशा आशा रख सकते हैं, जैसा कि जयंती भी हमें याद दिलाती है।

कलीसिया में एकता और कलीसियाओं के बीच एकता, क्षमाशीलता एवं आपसी विश्वास से पोषित होता है। अपने परिवारों और अपने समुदायों से शुरुआत करें। अगर येसु हम पर भरोसा करते हैं, तो हम भी उनके नाम पर एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं।

प्रेरित पतरस और पौलुस, कुँवारी मरियम के साथ मिलकर हमारे लिए मध्यस्थता करें, ताकि इस क्षत-विक्षत संसार में कलीसिया एक घर और एकता का विद्यालय बन सके।