खुफिया कार्यों में मानव गरिमा और नैतिक संचार का सम्मान ज़रूरी
इताली गणतंत्र की सुरक्षा करनेवाले खुफ़िया अधिकारियों को पोप लियो 14 वें ने मानव व्यक्ति की गरिमा और संचार की नैतिकता के प्रति सम्मान की आवश्यकता का स्मरण दिलाया।
वाटिकन में शुक्रवार को इताली गणतंत्र की सुरक्षा करनेवाले खुफ़िया अधिकारियों ने पोप लियो 14 वें का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इस अवसर पर पोप ने उन्हें मानव व्यक्ति की गरिमा और संचार की नैतिकता के प्रति सम्मान की आवश्यकता का स्मरण दिलाया।
योग्यता, पारदर्शिता और गोपनीयता
सन् 1925 में इताली गणतंत्र की सुरक्षा हेतु सैन्य सूचना सेवा की शुरुआत की गई थी जिसने देश की सुरक्षा के लिए एक ज़्यादा समन्वित और प्रभावी सुरक्षा निकाय की नींव रखी। पोप ने देश की सुरक्षा हेतु कार्यरत अधिकारियों के काम के लिये उनकी प्रशंसा की और कहा इस काम में योग्यता, पारदर्शिता और गोपनीयता की ज़रूरत रहा करती है।
पोप ने कहाः "खुफ़िया गतिविधियाँ आपको देश के जीवन में आनेवाले संभावित खतरों पर लगातार नज़र रखने की बड़ी ज़िम्मेदारी देती हैं, विशेष रूप से शांति बनाए रखने में मदद करने के लिए।" उन्होंने कहा कि यह एक मुश्किल काम है, जिसकी गोपनीयता के कारण, अक्सर गलत इस्तेमाल होने का खतरा रहता है, लेकिन संभावित खतरों का तुरन्त पता लगाने के लिए यह नितान्त आवश्यक है।
पोप ने खुफिया सेवाओं की सौवीं वर्षगाँठ के सन्दर्भ में कहा कि विगत सौ सालों में बहुत कुछ बदल गया है: काम करने के तरीकों और उपकरणों में बदलाव आया है तथापि समाज के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ भी बढ़ी हैं। इस बारे में, उन्होंने कहा, "मैं आपसे कहना चाहूँगा कि आप अपना काम न सिर्फ़ व्यावसायिकता की दृष्टि से बल्कि एक नैतिक नज़रिए से भी करें जिसमें कम से कम दो ज़रूरी बातों का ध्यान रखा जाए और वे हैं: मानव गरिमा का सम्मान और संचार की नैतिकता।"
मानव गरिमा का सम्मान ज़रूरी
उन्होंने कहा, "सबसे पहले और सबसे बढ़कर है मानव गरिमा, इसलिये सुरक्षा गतिविधियों में इस बुनियादी बात को कभी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिये।" उन्होंने कहा कि कुछ मुश्किल हालातों में, जब सबकी भलाई करना बाकी सब चीज़ों से ज़्यादा ज़रूरी लगता है, तो इस नैतिक ज़रूरत को भूलने का ख़तरा बना रहता है। अस्तु यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति की इज्ज़त के आधार पर सीमाएं तय की जायें और स्वार्थगत प्रलोभनों में न पड़ा जाये।
पोप ने कहा कि यह सुनिश्चित्त् करना नितान्त आवश्यक है कि "आपके काम हमेशा आम लोगों की भलाई के हिसाब से हों, और राष्ट्रीय सुरक्षा हमेशा लोगों के अधिकारों, उनकी निजी और पारिवारिक ज़िंदगी, सोच और जानकारी की स्वतंत्रता, और सही सुनवाई के अधिकार की गारंटी दे सके।"
चौकस रहा जाये
संचार और सूचना की नैतिकता पर बल देते हुए पोप ने कहा कि विगत दशकों में संचार माध्यम जगत में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं और डिजिटल क्रान्ति हमारे जीवन का हिस्सा बन गई है। उन्होंने कहा, "नवीन तकनीकियों ने हमारे जीवन को एक ओर सरल बनाया है तो दूसरी ओर निजी ज़िंदगी का बेवजह खुलासा, सबसे कमज़ोर लोगों का हेरफेर, ब्लैकमेल का तर्क, नफ़रत और हिंसा को भड़काने आदि नकारात्मक तत्वों को भी उभारा है जिनके प्रति सावधान रहा जाना अनिवार्य है।"