पोप फ्राँसिस : संत पियुस 10वें पीड़ित लोगों के करीब रहनेवाले पोप रहे
पोप फ्राँसिस ने संत पियुस 10वें पर फादर लूचो बोनोरा की एक नई किताब की प्रस्तावना लिखी है। जिसमें उन्होंने 20वीं सदी के आरंभिक पोप की धर्मशिक्षा की गहराई और प्रथम विश्व युद्ध पर उनके विरोध की प्रशंसा की है।
"पियुस 10वें एक ऐसे पोप थे जिन्होंने पूरी कलीसिया को यह समझाया कि पवित्र यूखरिस्त के बिना और प्रकट सत्य को आत्मसात किए बिना, व्यक्तिगत विश्वास कमजोर हो जाता है और (अंततः) मर जाता है।"
पोप फ्राँसिस ने अपने पूर्वाधिकारी पोप संत पियुस 10वें (1903-1914) की प्रशंसा करते हुए एक नई किताब "पियुस 10वें को श्रद्धांजलि समकालीन चित्र" की प्रस्तावना लिखी है।
किताब, इतालवी शहर त्रेविजो - पोप पियुस 10वें का जन्मस्थान - के पुरोहित और वाटिकन राज्य सचिवालय के एक अधिकारी फादर लूचो बोनोरा ने लिखी है।
प्रथम विश्व युद्ध छिड़ने पर संत पोप रोये
बुधवार को जारी अपनी प्रस्तावना में, पोप फ्राँसिस ने कहा कि वे दिवंगत पोप का बहुत सम्मान करते हैं, और याद करते हैं कि वे हर साल 21 अगस्त को उनके पर्व पर बोयनोस आयरिस महाधर्मप्रांत के प्रचारकों से मिलते थे।
उन्होंने कहा, "मुझे बच्चों और वयस्कों को विश्वास की सच्चाइयों की शिक्षा देने के लिए समर्पित लोगों के साथ समय बिताने में आनंद आता था," और संत पियुस 10वें को हमेशा प्रचारकों के पोप के रूप में जाना जाता है।
पोप फ्राँसिस ने कहा कि पियुस 10वें "एक सौम्य लेकिन मजबूत, विनम्र और स्पष्ट पोप थे।"
पोप फ्राँसिस ने बतलाया कि संत पियुस 10वें ने रोम में येसु समाजियों द्वारा संचालित परमधर्मपीठीय बाइबिल इंस्टीट्यूट के निर्माण को मंजूरी दे दी थी, जिसने उन्हें येसु समाजियों के बीच प्रिय बना दिया।
स्वर्गीय पोप "प्रथम विश्व युद्ध शुरु होने पर रो पड़े थे" और "शक्तिशाली लोगों से अपने हथियार डालने का अनुरोध किया था।"
पोप फ्रांसिस ने संत पियुस 10वें की याद करते हुए कहा, "आधुनिक दुनिया के इस दुखद क्षण में मैं उनके अत्यन्त करीब महसूस करता हूँ।"
पीड़ित मानवता के करीब
उन्होंने अक्सर "छोटे बच्चों, गरीबों, जरूरतमंदों, भूकंप पीड़ितों, वंचितों और प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों" के प्रति अपनी निकटता व्यक्त की।
पियुस 10वें "एक ऐसे पोप थे जिन्होंने प्रेरितिक देखभाल को यादगार बनाया, जैसा कि पोप संत जॉन 23वें ने कहा, जब उन्होंने 1959 में वेनिस स्थित संत मारकुस को समर्पित गिरजाघर में उनके पवित्र अवशेष का सम्मान करने की अनुमति दी।"
पोप फ्राँसिस ने फादर बोनोरा को संत पियुस 10वें के जीवन पर वर्षों के शोध के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि उनका समर्पण और उत्साह दस्तावेज में दिखाई पड़ता है।
पोप ने कहा कि संत पियुस 10वें की विरासत "आज की कलीसिया" और "सभी उम्र के बपतिस्मा प्राप्त लोगों से जुड़ी है, जो सुसमाचार और अपने चरवाहों के प्रति वफादार रहना चाहते हैं।"
"संत पियुस 10वें अमर रहें, और वे आज की कलीसिया के दिल में गहरे बने रहें!"