जलवायु संकट पर प्रतिक्रिया हेतु पोप की पुकार "लौदाते देउम"
पोप फ्राँसिस का प्रेरितिक प्रबोधन "लौदाते देउम" (ईश्वर की महिमा) प्रकाशित हो चुका है जो 2015 के विश्वकोश को निर्दिष्ट और पूरा करता है। वे कहते हैं, हम पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं, हम टूटने की स्थिति के करीब हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से इनकार करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की मानव उत्पत्ति अब निर्विवाद है। हमारे सामान्य घर की देखभाल की प्रतिबद्धता ख्रीस्तीय विश्वास से उत्पन्न होती है।
''ईश्वर की महिमा'' इस प्रेरितिक प्रबोधन का शीर्षक है। क्योंकि जब मनुष्य ईश्वर का स्थान लेने का दावा करते हैं, तो वे स्वयं अपने सबसे बड़े शत्रु बन जाते हैं।” इस प्रकार पोप फ्राँसिस ने 4 अक्टूबर, असीसी के संत फ्रांसिस के पर्व दिवस पर प्रकाशित अपने नए प्रेरितिक प्रबोधन को समाप्त किया।
यह उनके 2015 के विश्वपत्र 'लौदातो सी' की निरंतरता में एक पाठ है, जिसका दायरा व्यापक है। छह अध्यायों और 73 परिच्छेदों में पोप ने अभिन्न पारिस्थितिकी पर उस पिछले पाठ को स्पष्ट करने और पूरा करने का प्रयास किया है, साथ ही जलवायु आपातकाल के सामने एक चेतावनी और सह-जिम्मेदारी का आह्वान भी करते हैं। विशेष रूप से, प्रबोधन कोप 28 की प्रतीक्षा कर रहा है, जो नवंबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत के बीच दुबई में आयोजित किया जाएगा।