लेबनानी लोगों की पीड़ा में परमधर्मपीठ की साझेदारी
फ्राँस की सरकार द्वारा लेबनान के संकट पर आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में राज्यों के साथ सम्बन्ध रखनेवाले परमधर्मपीठीय सच्चिवालय के उपाध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष मीरोस्लाव स्टानिसलाव वाकोव्स्की ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लेबनान की “स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता” की रक्षा करने का आह्वान किया है।
समर्थन अनिवार्य
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा देश का समर्थन किया जाना "अनिवार्य" है। गुरुवार को शुरु हुए इस सम्मेलन में विश्व के 70 राष्ट्रों तथा अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
महाधर्माध्यक्ष वाकोव्स्की ने कहा कि अक्टूबर में, इज़रायली सेना द्वारा देश के दक्षिणी हिस्से पर आक्रमण के बाद से लेबनान एक भयंकर आर्थिक संकट की चपेट में आ गया है। उन्होंने कहा कि यह “अनिवार्य” है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय देश में संकट का समाधान करे, विशेष रूप से सभी मोर्चों पर तत्काल युद्ध विराम के लिए दबाव डाले।
राष्ट्रपति पद की रिक्ति
लेबनान में राष्ट्रपति पद की रिक्ति की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए महाधर्माध्यक्ष महोदय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लेबनान अपने विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच "सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व" का एक उदाहरण है और अधिकांश अनुमानों के अनुसार, लेबनान की लगभग एक तिहाई आबादी ख्रीस्तीय धर्मानुयायी है। इस संबंध में, महाधर्माध्यक्ष वाकोव्स्की ने कहा, परमधर्मपीठ लेबनान के राष्ट्रपति की वर्तमान कमी के बारे में चिंतित है, एक ऐसी भूमिका जो हमेशा एक मैरोनाइट काथलिक द्वारा निभाई जाती रही है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक गतिरोध का मतलब है कि देश में लगभग दो वर्षों से कोई राष्ट्रपति नहीं है। इस बात पर उन्होंने ज़ोर दिया कि "राष्ट्रपति की नियुक्ति केवल एक विकल्प नहीं है, बल्कि लेबनान की स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए एक आवश्यकता है" और यह "अत्यंत तात्कालिकता" का प्रश्न है।
मानवतावादी कानून का सम्मान
देश के दक्षिणी भाग में इस समय चल रहे संघर्ष के बारे में महाधर्माध्यक्ष वाकोव्स्की ने कहा कि परमधर्मपीठ अस्पतालों, क्लीनिकों, स्कूलों, शैक्षणिक संस्थानों तथा आराधना स्थलों की सुरक्षा सहित अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के लिए "सर्वोच्च सम्मान" का आह्वान करती है।
उन्होंने दक्षिणी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र संघीय शांति सेना के प्रति भी परमधर्मपीठ के समर्थन को व्यक्त किया, जिन पर इज़राएली बलों द्वारा कई बार गोलीबारी की गई है। सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा, "लेबनान और मध्य पूर्व का इस्तेमाल अब बाहरी हितों और मुनाफ़े के लिए नहीं किया जाएगा! लेबनान के लोगों को अपनी ज़मीन पर और बिना किसी अनुचित हस्तक्षेप के बेहतर भविष्य के नायक बनने का मौक़ा दिया जाना चाहिए।"