येसु के दुखभोग को समर्पित धर्मसमाजियों से पोप फ्राँसिस

वाटिकन में शुक्रवार को पेशनिस्ट अर्थात् येसु के दुखभोग को समर्पित धर्मसमाज के पुरोहितों को सम्बोधित शब्दों में पोप फ्राँसिस ने ईश्वर और मानव के बीच साक्षात्कार के महत्व पर प्रकाश डाला तथा कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सुसमाचार के प्रकाश की आवश्यकता है।

सन्देशवाहक कौन होगा?
पेशनिस्ट धर्मसमाजी पुरोहितों के प्रतिनिधि इस समय अपनी आम सभा के लिये सम्पूर्ण विश्व से रोम पधारे हैं। सन्त पापा ने कहा कि आम सभा में यह प्रश्न सर्वोपरि रहा कि हमारे उथल-पुथल भरे समय में, ईश्वर की पहल पर पर्याप्त प्रतिक्रिया कैसे दी जाए, जो हमेशा हमें अपनी मुक्ति की योजना में सहयोग करने के लिए आमंत्रित करते हैं।

पोप ने कहा कि आम सभा के दौरान आपने ईश्वर द्वारा नबी इसायाह से कहे शब्दों पर मनन कर इस प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ा जो कहते हैं, मैं किसे भेजू हमारा सन्देशवाहक कौन होगा?  और फिर सन्त लूकस रचित सुसमचार में निहित प्रभु येसु शब्दों पर भी आपने चिन्तन किया जिनमें येसु कहते हैं, फसल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फसल काटने के लिये मज़दूरों को भेजें।

पोप ने कहा कि इसायाह से किये प्रश्न के उत्तर में हम कहें कि हम तैयार हैं हमें भेजिए और येसु के आदेश पर पिता ईश्वर से विनती करेंगे जो हमें आगामी जयन्ती वर्ष की पृष्टभूमि में नवीन स्फूर्ति प्रदान करेगी।

पोप ने कहा, "यह वांछनीय है, वास्तव में यह आवश्यक है, एक ऐसा मिशन जिसका लक्ष्य अधिकतम संभव संख्या में लोगों तक पहुंचना है, क्योंकि बिना किसी अपवाद के सभी को सुसमाचार के प्रकाश की अत्यधिक आवश्यकता है।"

ईश्वर और मानवः साक्षात्कार
धर्मसमाजियों से उन्होंने कहा, "प्रेरितिक सेवा के सामान्य तरीकों को छोड़े बिना, मुझे आशा है कि आप नए रास्तों की भी पहचान करेंगे तथा लोगों और प्रभु के बीच मुलाकात को सुविधाजनक बनाने के लिए नए अवसर उत्पन्न  करेंगे, जो, तिमोथी को प्रेषित सन्त पौल के पहले पत्र के दूसरे अध्याय के चौथे पद के अनुसार, किसी को भी नहीं छोड़ते, बल्कि चाहते हैं कि "सभी मनुष्य मुक्ति प्राप्त करें और सत्य को जाने।"   

पोप ने कहा, "इसीलिए अपने आनंदमय और फलदायी विश्वास के प्रमाण के रूप में हमें दुनिया की सड़कों, चौराहों और गलियों में जाना आवश्यक है, किन्तु आपका जाना तब ही प्रभावी हो सकता है जब यह चिंतनशील जीवन के माध्यम से ईश्वर और मानवता के प्रति प्रेम की परिपूर्णता से उत्पन्न हो तथा समुदाय के भाईचारे के रिश्तों में और आपसी समर्थन में परिलक्षित हो, ताकि सब मिलकर एक साथ चल सके एवं अपने बीच प्रभु की उपस्थिति का अनुभव कर सकें।"

प्रेम की सर्वोच्च अभिव्यक्ति
पेशनिस्ट धर्मसमाजियों से अपने करिशमें पर अटल रहने का आग्रह कर सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु के दुखभोग पर मनन करनेवाले धर्मसमाजियों को यह सदैव याद रखना चाहिये कि "प्रभु येसु के दुखभोग का सबसे मौलिक अंतर्ज्ञान यह था कि क्रूस पर येसु की मृत्यु ईश्वर के प्रेम की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है, यह ईश्वरीय प्रेम के चमत्कारों का चमत्कार है, प्रार्थना की अंतरंगता में प्रवेश करने और उसके साथ मिलन का द्वार है, सभी को सीखने का विद्यालय है। प्रभु का क्रूस वह गुण और वह ऊर्जा का स्रोत है जो किसी भी दर्द को सहन करने में सक्षम बनाता है।"

पोप ने कहा कि इस करिश्माई अपनेपन की खुशी और ताकत के साथ, पैशनिस्ट धर्मसमाजी यह भी जानते हैं कि हमारे दिनों की पीड़ा में पुनर्जीवित क्रूस की उपस्थिति की घोषणा कैसे की जाए। हम इसकी विशालता और विनाश को ग़रीबी में, युद्धों में, सृष्टि की कराहों में, विकृत गतिशीलता में जानते हैं जो लोगों के बीच विभाजन पैदा करती है और कमजोरों का परित्याग कर देती है।

पोप ने पेशनिस्ट धर्मसमाजियों को आमंत्रित किया कि वे प्रार्थना करें ताकि हमारे भाइयों के दर्द को निरर्थक मानवता की बर्बादी और हताशा में बदलने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास किये जायें।