यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्षों ने सीरिया में शांतिपूर्ण परिवर्तन की अपील की
यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्ष सीरिया के नए सरकारी नेताओं से सांप्रदायिकता और उग्रवाद को अस्वीकार करने और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह कर रहे हैं।
जब सीरिया अपने इतिहास में एक कठिन दौर से गुजर रहा है यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्षों ने एक “व्यस्थित एवं शांतिपूर्ण परिवर्तन की उम्मीद जतायी है।”
उन्होंने देश के नए अधिकारियों से आग्रह किया कि वे "सांप्रदायिकता और उग्रवाद को छोड़ दें, जबकि मध्यपूर्वी राष्ट्र को समृद्ध बनानेवाले कई जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के योगदान और विशिष्ट पहचान को अपनाएँ।" यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के आयोग (सीओएमइसीइ) द्वारा बुधवार, 11 दिसंबर को जारी एक बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्ष सीरिया में हो रहे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, जहाँ विद्रोही बलों ने राजधानी और अन्य रणनीतिक शहरों पर नियंत्रण कर लिया है, जिससे असद शासन को बाहर किया जा रहा है।
धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति सम्मान की अपील
हयात ताहिर-अल-शाम (एचटीएस) इस्लामी आतंकवादी समूह और उसके सहयोगियों के अभियान के बाद बशर अल-असद की सरकार के पतन के तीन दिन बाद, यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्षों ने सीरिया के नए अधिकारियों से "अल्पसंख्यकों से संबंधित धार्मिक मंदिरों और स्थलों की रक्षा, मानवीय सहायता तक पहुंच का प्रावधान और आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) की उनके घरों में सुरक्षित वापसी" का आह्वान किया।
यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्षों (सीओएमइसीइ) का पत्र
बशर अल-असद के शासन के पतन से पहले, 7 दिसंबर 2024 के एक पत्र में, यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्षों के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष मारियानो क्रोचाता ने अलेप्पो के मैरोनाइट महाधर्माध्यक्ष जोसेफ टोबजी और अलेप्पो में ख्रीस्तीय गिरजाघरों के सभी अन्य धर्माध्यक्षों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की थी।
अपना सामीप्य व्यक्त करते हुए धर्माध्यक्ष क्रोचाता ने लिखा, "आप और आपके अनुयायी अलेप्पो तथा सीरिया के अन्य भागों में जो अत्यधिक पीड़ा और अनिश्चितता झेल रहे हैं, उनके प्रति एकजुटता, करुणा और गहन चिंता व्यक्त करता हूँ।”
उन्होंने सीरियाई लोगों की आवश्यकताओं में उनकी मदद करने के लिए सीओएमइसीइ की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया, तथा जागरूकता बढ़ाने और घरों के पुनर्निर्माण, आजीविका बहाल करने एवं चल रहे संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान करने में सहायता के लिए संसाधन जुटाने हेतु धर्माध्यक्षों के समर्पण की पुष्टि की।