बुर्किना फासो के धर्माध्यक्ष : हम रक्तपात का जवाब प्रेम से देते हैं
बुर्किना फासो के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष बिशप लौरेंत बिरफोरे डाबिरे ने देश में हुए भीषण आतंकवादी हमले पर चर्चा की, जिसमें करीब 170 लोगों की मौत हो गई और कहा कि "जो लोग हमें गोलियाँ देते हैं, हम उन्हें शांति, विश्वास और आशा देते हैं।"
बिशप लौरेंत का कहना है कि बुर्किना फासो के लोगों को परेशान करनेवाली भयानक घटनाओं के बावजूद, ख्रीस्तीय समुदाय उन्हें प्यार और विश्वास के साथ जवाब देने में यकीन करता है।
डोरी के धर्माध्यक्ष ने वाटिकन न्यूज के साथ अपने हालिया साक्षात्कार में इस परिप्रेक्ष्य की पेशकश की, क्योंकि अफ्रीकी देश लगातार आतंकवाद और हिंसा में कई लोगों की जान गवाँने के कारण सुर्खियों में बना हुआ है।
एक सप्ताह पहले, यतेंगा प्रांत के कोम्सिल्गा, नोडिन और सोरोए गांवों पर हुए हमलों में महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 170 लोगों की हत्या हो गई थी।
एक सरकारी वकील ने रविवार को खबर दी, जिसमें गवाहों से तीनों गांवों पर हमला करनेवालों को ढूंढने में मदद करने की अपील की गई। अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि किस आतंकवादी समूह ने हमलों को अंजाम दिया।
25 फरवरी को दो पूजा स्थलों पर हमले हुए थे। पूर्वी बुर्किना फ़ासो के नातियाबोनी में एक मस्जिद में, सुबह लगभग 5 बजे, प्रार्थना के दौरान दर्जनों मुसलमान मारे गए, जब हथियारबंद लोगों ने गोलीबारी शुरू कर दी।
दूसरा हमला, उसके कुछ ही घंटों बाद, देश के उत्तरी भाग में स्थित एस्साकेन नामक गाँव के एक काथलिक गिरजाघर में हुआ जिसमें पंद्रह लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
एक साक्षात्कार में धर्माध्यक्ष डाबिरे ने वाटिकन न्यूज को पुष्टि दी कि इस खतरनाक परिस्थिति में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना बहुत मुश्किल है।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिंसा सिर्फ ख्रीस्तीयों के खिलाफ नहीं है, जैसा कि उसी दिन मुसलमानों के खिलाफ घातक हमले से पता चलता है।
उन्होंने सुझाव दिया, "आतंकवादियों की रणनीति, देश में भ्रम पैदा करने के लिए धर्मों को साधन बनाना और विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना है, ताकि यह आभास दिया जा सके कि कोई धार्मिक युद्ध चल रहा है।"
उन्होंने कहा, "मैं निश्चितता के साथ कह सकता हूँ कि ख्रीस्तीयों पर कोई अत्याचार नहीं हो रहा है।"
बिशप डाबिरे "हिंसा का जवाब हिंसा से देने के प्रलोभन में पड़े बिना", शांति, विश्वास और आशा का आह्वान और अपने विश्वासियों से ख्रीस्तीय धर्मार्थ जीवन जारी रखने की अपील करते रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हम ख्रीस्तीयों के लिए जीने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है : हमारे जीवन को सुसमाचार पर आधारित होना चाहिए। दूसरों के साथ हमारे रिश्ते को भाईचारा, मित्रता एवं आपसी सहायता पर आधारित होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, "हमें यह कहने से बचना चाहिए कि हम ऐसे धर्म से हैं जो बदला लेने पर ध्यान देता है।" उन्होंने कहा कि यह "सच नहीं है।"
बिशप डाबिरे ने संत पापा फ्राँसिस के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने हाल की हिंसक घटना के लिए शोक व्यक्त की है।
उन्होंने कहा, "संत पापा की निकटता हमें साहस और बल देती है और हमें दृढ़ रहने के लिए आमंत्रित करती है।"
बिशप ने आगे कहा, "जब हमारे विश्वासी सुनते हैं कि पोप को उनकी पीड़ा के बारे में सूचित किया गया है, तो वे सचमुच खुश होते हैं" और महसूस करते हैं कि "आगे बढ़ने के लिए वे एक बड़ी प्रेरणा हैं।"
बुधवार को अपने आमदर्शन समारोह के दौरान और एक तार संदेश में, पोप फ्रांसिस ने हिंसा की निंदा करते हुए बुर्किना फासो के लोगों के प्रति अपना दुःख और सामीप्य व्यक्त की।
देश को झकझोर देने वाले और अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने वाले इन हमलों ने देश में चल रही हिंसा और असुरक्षा को उजागर कर दिया है, जिसे इसकी सीमाओं के भीतर सक्रिय आतंकवादी समूहों द्वारा खतरा बढ़ गया है।