पोप ने यूक्रेन को पत्र भेजकर युद्ध के 1000वें दिन पर अपनी निकटता व्यक्त की

यूक्रेन में रूसी हमले के 1000 दिन पूरे होने पर संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को एक पत्र भेजकर यूक्रेनवासियों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की, तथा शांति के लिए अपनी आशा जताते हुए प्रार्थना का आश्वासन दिया।

मंगलवार को रूस द्वारा 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर आक्रमण शुरू किए जाने के 1,000 दिन पूरे हो गए। इस दुखद दिन को चिह्नित करते हुए, पोप फ्रांसिस ने एक बार फिर पीड़ित यूक्रेनी लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।

यूक्रेन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष विस्वालदास कुलबोकास को संबोधित एक पत्र में, पोप ने स्वीकार किया कि यूक्रेन के लोग किस हद तक पीड़ा झेल रहे हैं।

उन्होंने लिखा, “मैं अच्छी तरह समझता हूँ कि प्रतिदिन बरसाये जा रहे बमों से उनके जीवन की रक्षा मानवीय शब्दों से नहीं हो सकती, न ही उन लोगों को सांत्वना दी जा सकती है जो अपने प्रियजनों की मृत्यु पर शोक मना रहे हैं, न ही उनके घाव चंगे हो सकते हैं, उनके बच्चों को घर वापस ला सकते हैं, कैदियों को मुक्त कर सकते हैं या न्याय एवं शांति बहाल कर सकते हैं।”  

फिर भी, उन्होंने कहा, यह वही शब्द "शांति" है जिसके लिए पोप प्रार्थना करते हैं कि एक दिन यूक्रेन के घरों, परिवारों और सड़कों पर फिर से गूंज उठे।

मृतकों को श्रद्धांजलि
देश में अपने प्रतिनिधि को लिखे पत्र में, पोप फ्राँसिस ने युद्ध के सभी पीड़ितों: बच्चों और वयस्कों, नागरिकों और सैनिकों, साथ ही भयानक परिस्थितियों में बंद कैदियों को श्रद्धांजलि देने के लिए यूक्रेन के लोगों द्वारा हर सुबह 9 बजे मनाया जानेवाले "राष्ट्रीय मौन मिनट" को भी याद किया।

इन लोगों को ध्यान में रखते हुए, पोप ने स्तोत्र 121 के शब्दों का हवाला देते हुए लिखा, "मेरी सहायता प्रभु से आती है, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया है।"

पोप ने जोर देकर कहा कि प्रार्थना में यह एकता एक शक्तिशाली अनुस्मारक है कि ईश्वरीय सहायता सबसे कठिन समय में भी आती है।

उन्होंने कहा, "प्रभु हमारे दिलों को सांत्वना दें और इस आशा को मजबूत करें (हर आंसू को इकट्ठा करते हुए और सभी को जवाबदेह ठहराते हुए) कि वे हमारे करीब तब भी रहते हैं जब मानवीय प्रयास निष्फल और कार्य अपर्याप्त लगते हैं।"

शांति के लिए अपील
अपने परमाध्यक्षीय काल के पूरे समय में संत पापा फ्राँसिस ने विश्वभर में शांति की अथक अपील की है तथा उन्होंने यूक्रेन को “शहीद” पुकारते हुए उसके लिए शांति हेतु प्रार्थना का आह्वान किया है।

महाधर्माध्यक्ष कुलबोकास को लिखे पत्र में संत पापा ने अपनी प्रार्थना दोहरायी है एवं कहा है कि वार्ता एवं सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए हृदय परिवर्तन हो।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वे जो शब्द प्रेरितिक राजदूत और उनके साथ यूक्रेन के लोगों को संबोधित कर रहे हैं, वे केवल एकजुटता के शब्द नहीं हैं, बल्कि ईश्वरीय सहायता के लिए एक गहरी प्रार्थना है।

उन्होंने समझाया कि केवल ईश्वर ही “जीवन, आशा और ज्ञान के एकमात्र स्रोत हैं।”

यूक्रेन के लिए आशीष
अपने पत्र के अंत में पोप फ्रांसिस ने उन धर्माध्यक्षों और पुरोहितों को अपना आशीर्वाद दिया जो यूक्रेन के विश्वासियों का साथ देने और उनका समर्थन करने के अपने मिशन में दृढ़ हैं।

अंत में, पोप ने सभी यूक्रेनी लोगों को अपना आशीर्वाद दिया, और विश्वास व्यक्त किया कि "इस बड़ी त्रासदी पर अंतिम निर्णय ईश्वर का होगा।"

उन्होंने अंत में कहा, "मैं पूरे यूक्रेनी लोगों को आशीर्वाद देता हूँ।"