देवदूत प्रार्थना में पोप : ईश्वर हमें अपनाते और पापों से मुक्त करते हैं

चालीसा काल के चौथे रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपने संदेश में पोप फ्राँसिस ने बतलाया कि ईश्वर हमें इतना प्यार करते हैं कि वे हमें दोषी ठहराने के लिए मुकदमा नहीं चलाते बल्कि हमें अपना कर, हमें बचाते हैं ताकि कोई न खो जाए।

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 10 मार्च को पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

चालीसा काल के इस चौथे रविवार को सुसमाचार पाठ निकोदेमुस की छवि प्रस्तुत करता है। (यो.3:14-21) एक फरीसी, यहूदियों का नेता (यो.3:1) येसु के चमत्कारों को देखा, उसने उन्हें ईश्वर द्वारा भेजे गये गुरू के रूप में पहचाना और उनसे मिलने रात में गया, ताकि लोग उन्हें न देख लें। प्रभु ने उसका स्वागत किया, उसके साथ बात की और उसे प्रकट किया कि वे दण्ड देने नहीं बल्कि दुनिया को बचाने आये हैं। (17)

पोप ने येसु के इसी वाक्य को अपने चिंतन बिन्दु के रूप में लेते हुए कहा, “येसु दण्ड देने नहीं बल्कि बचाने आये।”

सुसमाचार में अक्सर हम देखते हैं कि ख्रीस्त उन लोगों के मकसद को उजागर करते हैं जिनसे वे मिलते हैं। कई बार उनके गलत मनोभाव का पर्दाफाश करते हैं, उदाहरण के लिए, फरीसियों के साथ या उन्हें अपने जीवन की अस्त-व्यस्तता को सोचने के लिए प्रेरित करते हैं जैसा कि उन्होंने समारी महिला के साथ किया।(यो. 4: 5-42)

पोप ने कहा, “येसु के सामने कोई चीज छिपा हुआ नहीं है। वे उन्हें हृदय से पढ़ लेते हैं। यह क्षमता परेशान करनेवाला हो सकता है यदि इसका गलत प्रयोग किया जाए। लोगों को नुकसान पहुँचाता है, उन्हें निर्दयी निर्णयों का सामना करना पड़ता है। वास्तव में, कोई भी पूर्ण नहीं है: हम सभी पापी हैं, हम सभी गलतियाँ करते हैं, और यदि प्रभु हमें दोषी ठहराने के लिए हमारी कमजोरियों के बारे में अपने ज्ञान का उपयोग करते, तो किसी को भी बचाया नहीं जा सकता था।"

पोप ने कहा, लेकिन ऐसा नहीं है। वास्तव में, वे अपने ज्ञान का प्रयोग हम पर उंगली उठाने के लिए नहीं, बल्कि हमारे जीवन को अपनाने, हमें पापों से मुक्त करने और हमें बचाने के लिए करते हैं। येसु को हम पर मुकदमा चलाने या सजा देने में कोई दिलचस्पी नहीं है; वे चाहते हैं कि हममें से कोई भी न खोये। हममें से प्रत्येक पर प्रभु की दृष्टि एक चकाचौंध करनेवाली किरण नहीं है जो चौंधिया देती है और हमें कठिनाई में डाल देती है, बल्कि एक अनुकूल दीपक की कोमल रोशनी है, जो हमें उनकी कृपा की सहायता से अपने अंदर अच्छाई देखने और बुराई का एहसास करने, परिवर्तन लाने एवं ठीक करने में मदद करती है।

येसु दण्ड देने नहीं आये लेकिन दुनिया को बचाने आये। हम अपने आप में सोचें, "हम कितनी बार दूसरों को दोष देते हैं; कई बार ऐसा होता है कि हमें दूसरों की बुराई करना, दूसरों के विरुद्ध गपशप करना अच्छा लगता है। हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि वे हम सभी को दया की दृष्टि प्रदान करें, हम दूसरों को वैसा ही देख सकें जैसे वे हम सभी को देखते हैं।"

तब पोप ने माता मरियम से प्रार्थना करते हुए अपना संदेश समाप्त किया।“हे माँ मरियम, हमें एक-दूसरे के प्रति भला सोच रखने में मदद कर।”

इतना कहने के बाद पोप ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।