दिवंगत पोप की अन्तिम विदाई में प्रवासी, ट्रांसजेंडर, कैदी

पोप फ्राँसिस के अन्तिम संस्कार के बाद शनिवार 26 अप्रैल को जरूरतमंद लोगों का एक समूह दिवंगत पोप को उनके ताबूत में दफनाने से पहले अंतिम विदाई देने के लिए महागिरजाघर की सीढ़ियों पर मौजूद रहेगा।
इतालवी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन में धर्मार्थ कार्यों के निदेशक धर्माध्यक्ष बेनोनी अम्बरस ने बताया कि ये लोग लगभग 40 होंगे और प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में एक सफेद गुलाब होगा। उन्होंने कहा, "रेबिबिया में पवित्र द्वार के खुलने पर कैदियों से भी मुलाकात की जाएगी। यह एक मार्मिक निर्णय है, क्योंकि सन्त पापा फ्राँसिस का स्वागत मां मरियम द्वारा किया जाएगा, जिन्हें वे बहुत प्यार करते थे तथा उनके करीबी ग़रीब बच्चे भी उनके प्रति श्रद्धान्जलि अर्पित करेंगे।"
उन्होंने कहा, समाज के ‘अंतिम’ लोगों के लिए इस बार अंतिम होना सौभाग्य की बात होगी। पोप की इच्छा के अनुसार, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में अंतिम संस्कार के बाद, ताबूत को दफनाने से पहले निर्धन, बेघर, कैदी, ट्रांसजेंडर लोग, आप्रवासी सभी लोग दिवंगत पोप को "अलविदा" कहेंगे, लेकिन सबसे बढ़कर वे उन सन्त पापा के प्रति "धन्यवाद" ज्ञापित करेंगे जो उनमें से कई लोगों के लिए "पिता" सदृश थे।
अपने प्रियजनों के साथ
समाज के अन्तिम एवं परित्यक्त व्यक्तियों की उपस्थिति का समाचार परमधर्मपीठ की ओर से जारी एक बयान में घोषित किया गया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि "गरीबों को ईश्वर के हृदय में विशेष स्थान प्राप्त है", साथ ही "सन्त पापा फ्राँसिस के हृदय और उनकी धर्मशिक्षा में भी, जिन्होंने फ्रांसिस नाम इसलिए चुना ताकि वे उन्हें कभी न भूलें।" वाटिकन मीडिया को विवरण प्रदान करने वाले व्यक्ति "धर्माध्यक्ष बेनोनी अम्बरस" वही धर्माधिकारी हैं जो 26 दिसंबर को सन्त पापा फ्राँसिस के साथ उनके सबसे प्रतीकात्मक संकेतों में से एक अर्थात् रोम के रेबिबिया जेल में पवित्र द्वार के उद्घाटन के लिये मौजूद थे।
ग़रीबों की उपस्थिति का महत्व
धर्माध्यक्ष अम्बरस ने बताया कि यह विचार स्वयं उन्हें और परमधर्मपीठीय धर्मविधिक समारोहों के अध्यक्ष, मान्यवर डिएगो रावेल्ली के बीच संपर्क के बाद आया, जिसका उद्देश्य "सन्त पापा फ्राँसिस के अंतिम संस्कार में किसी तरीके से समाज के हाशिये पर जीवन यापन करनेवालों की उपस्थिति के मूल्य को उजागर करना" था। आदर्श रूप से, ऐसा प्रतीत होता है, मानों उनके सभी प्रियजन उनके अंतिम कदमों में उनके साथ थे।"
शून्यता और क्षति
धर्माध्यक्ष बेनोनी कहते हैं कि ये कई लोगों की “कई कहानियाँ” हैं जिन्हें अन्य बातों के अलावा इन वर्षों में फ्रांसिस से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि कुछ कैदी रेबिबिया के हैं, लेकिन आप्रवासी या बेघर लोगों में से लगभग सभी को "कम से कम एक बार उनसे मिलने का अवसर अवश्य मिला है।"
रेबिबिया की स्मृति के साथ, वह बताते हैं कि एक दिन के लिए एक दंड-निवास को "गिरजाघर" बनाने के सन्त पापा के निर्णय की महानता अभी भी बनी हुई है और इसमें भाग लेनेवालों के में मन में एक शून्यता और क्षति विराजमान है। अस्तु, उन्होंने कहा, ये जरूरतमंद लोग सिर्फ अलविदा कहने ही नहीं जा रहे हैं बल्कि धन्यवाद कहने भी। "वे सभी एक सफेद गुलाब के साथ उनका स्वागत करेंगे और सफेद गुलाब घर में स्वागत करने का एक तरीका है, एक प्रतीक है, क्योंकि वे पिता के घर जा रहे हैं, और यह गुलाब आपके द्वारा हमारे लिए किए गए कार्यों के लिए धन्यवाद कहने का और आपके प्रति श्रद्धान्जलि अर्पित करने का एक तरीका है।"