क्रिसमस में हिन्दू संगठनों के तोड़फोड़ पर अधिकारियों की चुप्पी चिंता का विषय

25 दिसम्बर को पूरी दुनिया ने क्रिसमस मनायी। भारत में भी इसे धूमधान से मनाने की कोशिश हुई लेकिन बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन, तोड़-फोड़ और क्रिसमस के समान बेचनेवालों को रोककर लोगों में डर फैलाने और त्योहार की खुशी फीकी करने की कोशिश की। ख्रीस्तीयों ने राजनीतिक अधिकारियों की चुप्पी पर चिंता जताई।

इन दिनों नलबाड़ी, बरेली, रायपुर और पुरी की घटनाओं की चर्चा हर जगह हो रही है। असम के नलबाड़ी में क्रिसमस के खिलाफ हिन्दू संगठनों ने तोड़फोड़ और आगजनी की। यूपी के बरेली में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर चर्च के सामने नारे बाजी की गई, हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी धर्मांतरण के विरोध के नाम पर क्रिसमस के खिलाफ नारे बाजी और तोड़फोड़ की गई, ओड़िशा के पुरी में क्रिसमस के सामान बेचने का विरोध हुआ। ये समाचार लगभग देशभर में छाये हुए हैं और कई विदेशी समाचारों ने भी इन्हें जगह दी है।

कई लोगों ने इसे देश और हिन्दू धर्म के लिए शर्मनाक बताया है।

देश में विभिन्न जगहों पर हो रहे इन अप्रिय घटनाओं को देखते हुए भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) ने क्रिसमस के समय में हमारे देश के अलग-अलग राज्यों में ख्रीस्तीयों पर हमलों में खतरनाक बढ़ोतरी पर गहरा दुःख व्यक्त किया था और इसकी निंदा की तथा सरकार से लोगों की सुरक्षा की भी अपील की है।

इसके बावजूद राजनीतिक अधिकारियों की उदासीनता चिंताजनक है।

बरेली के धर्माध्यक्ष इग्नासियुस डिसूजा ने राजनीतिक अधिकारियों की चुप्पी पर भी चिंता जताई। एशियान्यूज के हवाले से उन्होंने कहा, "भारतीय जनता पार्टी की सरकार की तरफ से कोई साफ रुख न होना चिंता की बात है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की जिम्मेदारी है कि वे दखल दें, नफरत की बुराई करें, और यह निश्चित करें कि समाज को बांटने की कोशिश करनेवालों के खिलाफ कानून लागू हो।"

उन्होंने आगे कहा, "किसी को भी ख्रीस्तीय अल्पसंख्यकों से खतरा क्यों महसूस होना चाहिए?" "यह एक ऐसा समुदाय है जिसने भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सेवा में अहम योगदान दिया है। शांतिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम मनाया जाना कभी भी डर या दुश्मनी का निशाना नहीं बनना चाहिए।"

धर्माध्यक्ष ने अंत में कहा, "असहिष्णुता के सामने चुप रहने से सिर्फ उन ताकतों को मजबूती मिलती है जो देश को बांटना चाहती हैं। भारत अपनी विविधता में मजबूत है, और क्रिसमस महोत्सव मनाने की पहल सच में विविधता में एकता के विचार को दर्शाते हैं।"