कारितास इंटरनैशनल : गज़ा में अकाल नरसंहार कन्वेंशन का उल्लंघन

कारितास इंटरनैशनल ने चेतावनी दी है कि गज़ा में मानव निर्मित अकाल नरसंहार के अपराध की रोकथाम और दंड पर कन्वेंशन सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है, और मानव गरिमा को बनाए रखने और नागरिक जीवन की रक्षा के लिए तत्काल वैश्विक कार्रवाई की मांग करता है।

गज़ा में हुए विनाशकारी घटनाक्रम के जवाब में, जहाँ इस्राएली सेना ने 20 अगस्त को गज़ा शहर पर धावा बोला था—यह शहर अब लगभग दस लाख विस्थापित नागरिकों को शरण दे रहा है—कारितास इंटरनैशनल ने एक बयान जारी किया है जो "इस तबाही का सबूत है।"

दो दिन बाद, संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर इस क्षेत्र में अकाल की घोषणा कर दी। कारितास ने ज़ोर देकर कहा कि स्थिति पहले ही बेहद खराब हो चुकी थी: 112 बच्चों सहित 273 लोग भुखमरी से मर चुके थे।

बयान में लिखा है, "यह घोषणा कोई चेतावनी नहीं, बल्कि मानवीय संगठनों द्वारा महीनों से कही जा रही बात की एक गंभीर पुष्टि थी: गज़ा के लोग लंबे समय से भुखमरी की ओर बढ़ने पर मजबूर हैं।"

सोचे-समझे फैसले
कारीतास ने आगे कहा कि ये मौतें दुखद दुर्घटनाएँ नहीं, बल्कि सोचे-समझे फैसलों का नतीजा हैं। गज़ा के लोगों से बुनियादी ज़रूरतें—आश्रय, जीविका और सुरक्षा—छीन ली गई हैं। “यह युद्ध नहीं है। यह नागरिक जीवन का व्यवस्थित विनाश है।”

कारितास इंटरनैशनल गज़ा की घेराबंदी को “विनाश का यंत्र” बताता है। प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न अकालों के विपरीत, यह मानव निर्मित है, “सहायता रोकना, खाद्य काफिलों पर बमबारी करना, बुनियादी ढाँचे को नष्ट करना और बुनियादी जरूरतों से वंचित करना, जानबूझकर बनाई गई रणनीति का सीधा परिणाम है।”

बयान में आगे तर्क दिया गया है कि नागरिक—विशेषकर महिलाएँ और बच्चे—इस भुखमरी, बमबारी और विनाश का खामियाजा भुगत रहे हैं। सरकारों, संगठनों और बहुराष्ट्रीय निगमों ने वित्तीय सहायता, सैन्य सहायता और राजनयिक संरक्षण के माध्यम से इस पीड़ा को बढ़ावा दिया है। “उनकी चुप्पी तटस्थता नहीं है। यह समर्थन है।”

खाली शब्द
इसके साथ ही कारितास ने कहा है कि ऐसा लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय सिर्फ खोखली घोषणाएँ और खोखली बातें पेश करते हैं। ये "दोहरे मापदंड" केवल और केवल विनाश के लिए समय खरीदने का काम करते हैं।

उन्होंने कहा, "कारितास इंटरनैशनल गज़ा में मानवीय गरिमा पर एक जानबूझकर किया गया हमला और नैतिक व्यवस्था का पतन, नेतृत्व, जिम्मेदारी और मानवता की विफलता देखता है।"

कारितास इंटरनैशनल इन सभी कृत्यों और चूकों के लिए कड़े शब्दों में निंदा करता है। "ये मानवता के मूल्यों और मूलभूत सिद्धांतों के प्रति घोर उपेक्षा की ओर प्रेरित करता है और स्पष्ट रूप से अंतर्राष्ट्रीय कानून, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के साथ-साथ नरसंहार के अपराध की रोकथाम और दंड पर कन्वेंशन सहित विशिष्ट संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों के कई प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।"

विश्वास पर आधारित बुलावा
फ्रातेल्ली तूत्ती में पोप फ्रांसिस के शब्दों को याद कर कारितास ने कहा, "या तो हम सब एक साथ बचेंगे या कोई भी नहीं बचेगा।" धर्मग्रंथ भी कार्रवाई के लिए प्रेरित करते हैं: "जो खुद के लिए नहीं बोल सकते, उनके लिए बोलो" (नीतिवचन 31:8) और "जो कुछ तुमने उन छोटे से छोटे के लिए नहीं किया, वह तुमने मेरे लिए नहीं किया।" (मत्ती 25:45)।

इस संदर्भ में, संगठन कई जरूरी माँगें रखता है। वह तत्काल और स्थायी युद्धविराम के साथ-साथ भोजन, दवा और आवश्यक सहायता पहुँचाने के लिए अप्रतिबंधित मानवीय पहुँच की माँग करता है। सभी बंधकों और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई और नागरिकों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की तैनाती पर भी वह जोर देता है। कारितास सभी गैर-लड़ाकों, विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर देता है, साथ ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों के समक्ष अपराधियों और उन्हें बढ़ावा देनेवालों की जवाबदेही पर भी जोर देता है।

बयान में 19 जुलाई 2024 को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी सलाहकार राय को पूरी तरह से लागू करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में इस्राएल की अवैध उपस्थिति को समाप्त करने का आह्वान किया गया है। इसमें बस्तियों की गतिविधियों को रोकना, बसने वालों को निकालना, मुआवज़ा देना और कब्जे को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र निकायों द्वारा बाध्यकारी कार्रवाई शामिल है।

नैतिक ईमानदारी की जाँच
कारितास इंटरनैशन ने अपने बयान में कहा, “गज़ा में भूखमरी नैतिक ईमानदारी की जाँच है, और कई लोग फेल हो चुके हैं। "किसी आबादी को भूखा रखना जीवन का अपमान है। चुप रहना सहभागी होना है।"

कारितास इंटरनैशनल सभी आस्थावान और विवेकशील लोगों से अपील करता है कि वे अपनी आवाज़ उठाएँ, अपनी सरकारों पर दबाव डालें और न्याय की माँग करें।

"दुनिया देख रही है। इतिहास दर्ज कर रहा है। और गज़ा इंतजार कर रहा है, शब्दों का नहीं, बल्कि उद्धार का।"