येसु की एलेनिता: पोएरतो रिको कलीसिया के लिए महत्वपूर्ण, लेकिन वे कुँवारी मरियम नहीं हैं

विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष ने पोएरतो रिको में पवित्र पर्वत के तीर्थस्थल से जुड़ी कथित अलौकिक घटनाओं के बारे में एक निश्चित स्पष्टीकरण जारी किया है। एलेनिता दी जेसु (येसु की एलेनिता) को येसु या माता मरियम की पहचान बताने के प्रयासों के मद्देनजर कहा है कि स्पष्ट है कि यह अलौकिक नहीं है।"

विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल विक्टर मानुएल फेरनांडेस ने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एलेनिता दी जेसु की छवि पोएरतो रिको की कलीसिया के लिए बहुत अहम है और इसे ईश्वर के राज्य के प्रति पूर्ण समर्पण के लिए एक प्रेरणा के रूप में माना जाना चाहिए।" हालाँकि, "जो लोग उनसे प्यार करते हैं" उन्हें उसे "खुद को केवल ईश्वर को समर्पित करने की प्रेरणा के रूप में देखना चाहिए और येसु एवं उनकी माता के प्रति भक्ति को उनकी ओर निर्देशित करने से बचना चाहिए। इसके मूल अर्थ को विकृत करके इस खजाने को नुकसान नहीं पहुँचाना बेहतर है।"

विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष ने यह स्पष्टीकरण एक पत्र के माध्यम से दिया है जो पोप फ्राँसिस के द्वारा अनुमोदित है एवं पोएरतो रिको के कागुअस के धर्माध्यक्ष यूसेबियो रमोस मोराल्स को भेजा गया है।  
1 अगस्त का यह पत्र द्वीप के दक्षिण-पूर्व में पवित्र पर्वत के तीर्थस्थल से जुड़ी कथित अलौकिक घटनाओं और 1800 के दशक के अंत और 1900 के प्रारंभ में रहनेवाले एक मिशनरी प्रचारक एलेनिता दी येसुस से संबंधित है।

"गैर-अलौकिकता को सहमति"
धर्माध्यक्ष रामोस द्वारा भेजे गए "दस्तावेजों को बहुत ध्यान से पढ़ने के बाद", "जिसमें विभिन्न दृष्टिकोणों के लोगों के विभिन्न अध्ययनों को एक साथ इकट्ठा किया गया है" और बिशप के रूप में उनके "सोच-विचार के साथ किये गये राय" पर विचार करते हुए, कार्डिनल फर्नांडीज ने काथलिक विश्वासियों के विश्वास की देखभाल के लिए, "एक निश्चित स्पष्टीकरण" लिखना आवश्यक समझा।

पत्र में कार्डिनल ने पुष्ट किया है कि एलेनिता को हमारे प्रभु येसु एकमात्र मुक्तिदाता या कुँवारी मरियम जो अपने पुत्र के कार्य में प्रथम सहयोगी हैं के साथ किसी भी प्रकार की पहचान से पूरी तरह बचना चाहिए। येसु की एलेनिता को प्रभु या कुँवारी मरियम की अति पवित्रता की पहचान बताने के किसी भी प्रयास के सामने, निर्णय "गैर-अलौकिकता को सहमति" के अलावा और कुछ नहीं हो सकता। येसु की एलेनिता कुँवारी मरियम नहीं हैं।"

इसलिए, कगुआस के बिशप को "आपके द्वारा आवश्यक समझे जानेवाले प्रस्तावों के साथ अनुरूप डिक्री जारी करने के लिए अधिकृत किया जाता है" (विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग, कथित अलौकिक घटनाओं की परख में कार्यवाही के लिए मानदंड, 17 ​​मई, 2024, अनुच्छेद 21 .1)।

कार्डिनल फर्नांडीज ने कहा, "यह बात अप्रमाणिक दिव्यदर्शन या रक्त के संबंध में भी लागू होती है, जिनकी पूजा नहीं की जानी चाहिए।" कथित अलौकिक घटनाओं की पहचान पर नए मानदंडों के अनुच्छेद 21§1 के अनुसार, "विभाग की प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर, जब तक कि अन्य निर्देश न दिया जाए, धर्मप्रांतीय बिशप, विभाग के साथ सहमति में, स्पष्ट रूप से ईश्वर के लोगों को संबंधित घटनाओं पर निर्णय बताएंगे।"

इस मामले में, अंतिम निर्णय “गैर अलौकिकता की घोषणा,'' है, जिसका अर्थ है कि "धर्मप्रांतीय बिशप को यह घोषित करने के लिए मण्डली की ओर से अधिकृत किया गया है कि घटना को गैर-अलौकिक रूप में मान्यता दी गई है।"

एलेनिता ने परोपकार और सुसमाचार की घोषणा में जीवन बिताया
यह स्पष्टीकरण देने के बाद, विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित विभाग के अध्यक्ष ने येसु की एलेनिता को एक ऐसी महिला के रूप में परिभाषित किया है "जो पवित्र आत्मा के प्रभाव में, परोपकार और सुसमाचार की घोषणा में, हमारी स्वर्गीय माँ, कुँवारी मरियम के लिए गहरे प्रेम से प्रेरित थी।"

उन्होंने कहा कि वे एक धर्मशिक्षक थीं जिन्होंने "इतिहास के निर्णायक क्षण में, कलीसिया की सेवा की, जब काथलिक धर्म गंभीर रूप से खतरे में था," खुद को "अपने पीड़ित लोगों के साथ" पहचाना।

कार्डिनल फर्नांडीज ने फिर बिशप रामोस के शब्दों को उद्धृत किया, जिनके अनुसार एलेनिता बहुत गरीब लोगों के बीच "येसु के शिष्य के रूप में और कुँवारी मरियम के संरक्षण में" रहीं, "दीन लोगों की भूख और जरूरतों" के साथ-साथ उनके "विश्वास और आशा के लिए चिंता" की।
कार्डिनल ने कहा कि लोग उन्हें "माँ" कहते थे क्योंकि उनमें बहुत से सुंदर गुण थे: सादगी, ख्रीस्तीय गुण, जीवन की तपस्या, आध्यात्मिकता, धर्मशिक्षा संबंधी योग्यता आदि।

भ्रम पैदा करनेवाले भावों से बचें
कार्डिनल फर्नांडीज ने जोर देकर कहा, "एलेनिता "कुँवारी मरियम के प्रति गहरी भक्ति रखती थी। ऐसा कहा जाता है कि वे अपने साथ कुँवारी मरियम की एक तस्वीर रखती थीं। उन्होंने माता मरियम के लिए कई गिरजाघर बनवाए थे और माउंट कार्मेल की कुँवारी मरियम के प्रति भक्ति को बढ़ावा दिया।"