कार्डि. परोलिन : पोप अजाचो में प्रार्थना, न्याय और जिम्मेदारी की मांग करेंगे
पोप फ्राँसिस की 47वीं प्रेरितिक यात्रा की पूर्व संध्या, वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने इसे ख्रीस्तीय परंपरा, गवाही और मुलाकात की यात्रा कहा। जो उन्हें कोर्सिका ले जायेगी। कार्डिनल का कहना है कि संत पापा इस बात को पुष्ट करेंगे कि मारे नोस्त्रुम (हमारा सागर) उन लोगों के लिए जो बेहतर भविष्य की तलाश में अपना जीवन जोखिम में डालते हैं उनके लिए चिमितेरो नोस्त्रुम (हमारा कब्रस्थान) नहीं बनेगा।
फ्रांसीसी द्वीप में भूमध्यसागर के केंद्र की यात्रा करनेवाले संत पेत्रुस के उतराधिकारी पहले पोप कल अजाचो की यात्रा करनेवाले हैं। कोर्सिका शहर के धर्माध्यक्ष कार्डिनल फ्रोस्वाँ बुस्तिलो ने संत पापा फ्राँसिस की उपस्थिति को रेखांकित करते हुए उसे एक विशेषाधिकार नहीं बल्कि जिम्मेदारी कहा। यह 12 घंटे की एक लघु लेकिन तेजी से होनेवाली यात्रा होगी और लोकप्रिय धार्मिकता की सुंदरता एवं मुलाकात, स्वागत तथा सृष्टि की देखभाल के विषयों की विशिष्ठता के साथ होगी।
वाटिकन राज्य सचिव, कार्डिनल पीएत्रो पारोलिन जो इस यात्रा पर संत पापा के साथ होंगे, उनसे पूछे जाने पर कि स्थानीय समुदाय भविष्य के लिए आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से "जिम्मेदारी" को ठोस कार्यों में कैसे बदल सकता है...
उन्होंने कहा कि पोप की यह यात्रा आगमन काल एवं जयन्ती वर्ष 2025 के उद्घाटन से ठीक पहले हो रही है। इसलिए हम तीतुस को संत पौलुस के सलाह के रूप में कह सकते हैं “अधार्मिकता तथा विषयवासना त्याग कर हम इस पृथ्वी पर संयम, न्याय तथा भक्ति का जीवन बितायें और उस दिन की प्रतीक्षा करें, जब हमारी आशाएँ पूरी हो जायेंगी और हमारे महान् ईश्वर एवं मुक्तिदाता ईसा मसीह की महिमा प्रकट होगी… तुम इन बातों की शिक्षा देते हुए उपदेश दिया करो और अधिकारपूर्वक लोगों को समझाओ।” (2:12-15)
पोप, अजाचो में अपनी उपस्थिति के माध्यम से, इस आह्वान और जिम्मेदारी को याद दिलाना चाहते हैं, जिसे स्थानीय कलीसिया - धर्माध्यक्ष, पुरोहित, उपयाजक, समर्पित पुरुष और महिलाएँ तथा कलीसियाई जीवन के विभिन्न स्तरों पर शामिल सभी लोग - ठोस संकेतों और कार्यों में अनुवाद करने का तरीका खोज लें।
मुझे लगता है कि व्यावहारिक चुनाव संत पौलुस द्वारा बताए गए उन तीन बुनियादी दृष्टिकोणों से प्रेरित होने चाहिए, जो दुनिया में ख्रीस्तीय के जीवन और साक्ष्य की विशेषता है: संयम, न्याय और धर्मनिष्ठा से पेश आना। दूसरे शब्दों में, जिम्मेदारी का मतलब व्यक्तिगत और सामुदायिक मन-परिवर्तन होना चाहिए, जो हमारी आत्मा को प्रभु की ओर उन्मुख करती है, जो एक नए जीवन, एक नए समाज और एक नई दुनिया का "चमत्कार" लाने के लिए आती है।
महामहिम, पोप फ्राँसिस भूमध्यसागर में लोकप्रिय धार्मिकता पर सम्मेलन का समापन करेंगे, जिसमें विभिन्न देशों के धर्माध्यक्ष भाग लेंगे, यह संवाद और एकता के लिए एक अनूठा अवसर है। आप इस बैठक से क्या परिणाम की उम्मीद करते हैं जो परंपराओं में निहित विश्वास और सुसमाचार प्रचार के लिए खुला है?
हम जानते हैं कि पोप फ्राँसिस के लिए संवाद "मुलाकात की संस्कृति", समुदायों, कलीसियाओं, विश्वासियों, देशों और राष्ट्रों के बीच अधिक एकता और सद्भाव की खोज में कितना महत्वपूर्ण है,... वह सब कुछ जिसके लिए प्रभु येसु ने अपना जीवन अर्पित किया: "ताकि वे एकता में परिपूर्ण हो जाएँ और दुनिया जान ले कि आपने मुझे भेजा है और आपने उन्हें प्यार किया है जैसा कि आपने मुझे प्यार किया है।" (यो. 17:23) और उनके लिए लोकप्रिय धार्मिकता कितनी महत्वपूर्ण है! यह सम्मेलन इन्हीं दो मुख्य बिंदुओं पर होता है और इन्हीं दो बिंदुओं पर इसका उद्देश्य फल देना है।
लोकप्रिय धार्मिकता के बारे में संत पापा ने प्रेरितिक प्रबोधन इवेंजेली गौदियुम में सुसमाचार की घोषणा के अध्याय में लिखा है कि लोकप्रिय धर्मनिष्ठा एक सुसमाचार प्रचार करनेवाली शक्ति है, यह उस आस्था को छुपाती है जिसे तर्कसंगत रूप से व्यक्त करने की अपेक्षा, प्रतीकात्मक रूप से, लेकिन ईशशास्त्रीय सामग्री के साथ व्यक्त किया जाता है। अंततः लोकप्रिय धार्मिकता को पोप फ्राँसिस हमें उस माँ में देखने के लिए आमंत्रित करते हैं जो अपने बीमार बच्चे के लिए रोजरी माला विन्ती करती है, जुलूसों और तीर्थयात्राओं में, संतों या क्रूस के लिए सहज प्रार्थना में, एक तीर्थयात्रा में माता मरियम के प्रति भक्ति में... छोटे-बड़े मिशनरी कार्यों में भाग लेती है, क्रूस पर चढ़ाए गए और जी उठे मसीह में एक महान प्रेम और महान विश्वास की गवाही देती है।
यात्रा के अंत में हवाई अड्डे पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मुलाकात की संभावना है। आपको क्या लगता है कि इस वार्ता में कौन से मुद्दे उभर सकते हैं, पुल और भाईचारा बनाने के उद्देश्य से, लेकिन युद्धों से चिह्नित ऐसे जटिल ऐतिहासिक क्षण में?
मैं अभी यह नहीं कह सकता कि फ्राँस के राष्ट्रपति के साथ संत पापा की मुलाकात में कौन से मुद्दे केंद्र में होंगे, लेकिन मुझे लगता है कि शांति का विषय, जहाँ भी इसकी आवश्यकता है और आज इसका इंतजार है, महत्वपूर्ण होगा। शांति के राजकुमार के जन्म की सालगिरह से कुछ दिन पहले और दुनिया की मौजूदा परिस्थितियों में, शांति निश्चित रूप से एक प्रमुख विचार होगा।
यह विदित है कि काथलिक कलीसिया, मानव जीवन को गर्भाधान से लेकर उसके प्राकृतिक अंत तक, सम्मान देती है, जो हर अवसर पर राज्यों के प्रमुखों और नेताओं से सवाल करने में संकोच नहीं करती, तब भी जब उसे पता होता कि उसे पसंद नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर, तीतुस को पौलुस की सलाह के अनुसार: "ये वे बातें हैं जिन्हें तुम्हें पूरे अधिकार के साथ सिखाना, सलाह देना और डांटना चाहिए..."।