अक्सर कहा जाता है, “ईश्वर टेढ़ी रेखाओं के साथ सीधा लिखता है।” जब यूसुफ ने अपने भाई बेन्जामीन और अपने पिता याकूब से मिलने की माँग की, तो उसके भाई अब सच्चाई को छिपा नहीं सके। एक झूठ दूसरे झूठ की ओर ले गया, जब तक कि सच्चाई सामने नहीं आ गई। जब यूसुफ को पता चला कि उसके पिता अभी भी जीवित हैं, तो वह भावनाओं से अभिभूत हो गया और जोर-जोर से रोने लगा। फिर उसने अपनी पहचान बताते हुए कहा, “मैं यूसुफ हूँ।”