पोप : ईश्वर के प्रेम को करूणामय कार्यो में बांटें
पोप फ्रांसिस ने अंतरराष्ट्रीय कारिसात के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हुए अंतिम व्यारी के प्रेम पर आधारित, उन्हें कार्यों के माध्यम प्रेम संचार का संदेश दिया।
पोप फ्राँसिस कारितास अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं के भेंट की और दुनिया भर में उनके अथक प्रयासों और प्रेमपूर्ण दान के लिए एजेंसियों के संघ को धन्यवाद देते हुआ उन्हें ईश्वर प्रेम का माध्यम बनने को प्रोत्सहित किया।
पोप ने कहा कि हम इस बात को कभी न भूलें की करूणा और सामाजिक कार्य का केन्द्रबिन्दु येसु ख्रीस्त हैं। “अंतिम व्यारी के समय जिस तरह उन्होंने अपने को, शिष्यों के लिए दिया उसी भांति यूखारिस्तीय बलिदान में वे हमसे मिलने आते हैं क्योंकि उन्होंने हमें अपनी तरह गढ़ा है। वे हमारे जीवन की राह में चलते हैं।”
उन्होंने कहा कि यूखारिस्तीय बलिदान में वे हमें अपने को खाने और पीने के लिए देते हैं जो हमारे लिए ईश्वर के मुक्तिदायी कार्य को व्यक्त करता है। हम जरूरतमंद, दुःख में पड़े अपने भाई-बहनों को ओर अभिमुख होते हुए ईश्वर से मिली कृपा को कृतज्ञता स्वरुप प्रकट करते हैं।
पोप ने कहा, “ईश्वर के प्रेम का प्रत्युत्तर हम दूसरों के लिए ईश्वरीय प्रेम की निशानी बनते हुए देते हैं”। अंतरराष्ट्रीय कारितास के प्रेरितिक कार्य का आधार यही है जो हमारे लिए कलीसियाई बुलाहट को व्यक्त करता है। कारितास के प्रेरितिक कार्य में निष्ठा, खुलेपन और आशा को नवीन बनाने पर बल देते हुए संत पापा ने प्रेरितिक प्रबोधन आमोरिस लाएत्सिया के चौथे अध्याय की ओर ध्यान आकर्षित कराया। यद्यपि यह पारिवारिक और वैवाहिक जीवन से संबंधित है, यह अध्याय ज्ञानरुपी बातों से आलोकित है जो भविष्य में कार्यों को करने और प्रेरिताई को नई गति देने में उपयोगी हो सकती है।
“ईश्वर पर विश्वास की अभिव्यक्ति के बिना, उनसे मित्रता के बिना, पवित्र आत्मा से निर्देशित हुए बिना, जहाँ हम अपने लिए तृत्वमय प्रेम को व्यक्त होता पाते हैं, हमारे कार्य सिर्फ दिखावे मात्र रह जाते हैं, उनमें नेकी की कमी होती है।” ऐसी परिस्थिति में हम सेवा की भावना से अपने को दूर पाते हैं।
पोप ने कहा कि करूणा हमारे जीवन का अंग है यह हमें जीवन का अर्थपूर्ण बनाती है। ईश्वर के प्रेम का आलिंगन करते हुए दूसरों को प्रेम करना हमें अपने जीवन की गहराई तक ले चलता है जहाँ हम अपने जीवन को अधिक गहराई से समझते हैं। हम अपने जीवन की महत्वपूर्ण केवल नहीं अपितु दूसरों के लिए अपने जीवन के मूल्य को जानते हैं।
“प्रेम हमारी आंखों को खोलती है, निगाहों को विस्तृत करती और हमें अपरिचित को पहचानने में मदद करता है जिनसे हम अपने भाई-बहनों के रुप में जीवन की राह में मिलते हैं।” ईश्वर की प्रेममयी ज्योति हमें पड़ोसियों की जरूरतें को चुनौती स्वरूप प्रस्तुत करती है, वे हमें विचलित करती और हमारे उत्तरदायित्वों का एहसास दिलाती हैं। प्रेम की ज्योति में हम अपने लिए साहस और शक्ति को पाते हैं जो हमें बुराई से लड़ने में मदद करती है जहाँ हम अपने को निष्ठामय तरीके से समर्पित करते हैं।
ख्रीस्तीय करूणा की पहचान के संबंध में पोप ने कहा कि यह अपने को एक मुफ्त सेवा, चेहरे में खुशी, बिना किसी शिकायत या कुड़कुडाहट में व्यक्त होती है। यह धैर्य में प्रकट होती जहाँ हम अनिश्चित तकलीफों, दिनचर्या कार्यों को खुशी खोये बिना और ईश्वर में अपने विश्वास को खोये पूरा करने के योग्य होते हैं। क्योंकि यह आत्मा की धीमी क्रिया का परिणाम है, जिसमें हम स्वयं को संयम में रखना सीखते हैं और अपनी सीमाओं को स्वीकारते हैं।
करूणा को जीने का अर्थ हमारे हृदय की विशालता और उदारता को व्यक्त करता है जहाँ हम दूसरों को स्थान देते हुए उनके संग कार्य करने में सक्षम होते हैं। हम ऐसा कर पाते हैं क्योंकि हम दूसरों को सुनते और वार्ता में प्रवेश करते हैं। ख्रीस्तीय जो ईश्वर के प्रेम में सराबोर है दूसरों से घृणा नहीं करता है।
प्रेम का चर्चा करते हुए पोप ने कहा कि यह शेखीबाज, या हट्ठी नहीं होता क्योंकि इसमें अनुरूप की भावना है। प्रेम अपने को सबसे ऊपर नहीं रखता है, बल्कि यह सम्मान और दया, नम्रता और कोमलता में, दूसरों की कमजोरियों के प्रति संवेदनशील होता है। “प्रेम स्वार्थी नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य दूसरों की भलाई को बढ़ावा देना और इसे प्राप्त करने के उनके प्रयासों में उनका समर्थन करना है।” प्रेम पापों को ध्यान में नहीं रखता, न ही यह दूसरों द्वारा की गई बुराई के बारे में गपशप करता है; बल्कि, विवेक और शांति के साथ यह सब कुछ ईश्वर को सौंप देता है।
पोप ने कारितास के कार्यकर्ताओं से कहा कि आप का पहला कार्य अपने अच्छे कार्यों के माध्यम वैश्विक कलीसिया में सुसाचार की घोषणा में सहयोग करना है। यह केवल परियोजना और रणनीतियाँ को सफलतापूर्वक लागू करना नहीं है बल्कि प्रेरितिक परिवर्तन में अपनी को सम्मिलित करना है। यही कारण है कि यह व्यक्तिगत पवित्रता में बढ़ने और कलीसिया के प्रेरितिक परिवर्तन में अपने को शामिल करने की मांग करता है। “वे सभी जो कारितास के लिए कार्य करते हैं विश्व के सामने प्रेम का साक्ष्य देने हेतु बुलाये गये हैं।”
पोप ने प्रेमपूर्ण प्रेरिताई के संबंध में स्थानीय कलीसियाओं को सहचर्य प्रदान करने को कारितास का दूसरा कार्य बतलाया। आप योग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षित करें जिससे वे कलीसिया में परिवर्तन ला सकें। अंत में, संत पापा ने कारितास कार्यकर्ताओं को एकता की सलाह दी। आपका संघ कई अलग-अलग पहचानों को गले लगाता है। अपनी विविधता को एक खजाने और एक संसाधन के रूप में अनुभव करें।