पोप लियो : धन्य कुँवारी मरियम, इस मानवता पर ध्यान दीजिए
रोम में निष्कलंक गर्भागमन की माता मरियम की प्रतिमा को श्रद्धांजलि देने की दशकों पुरानी परम्परा को जारी रखते हुए पोप लियो 14वें ने 8 दिसम्बर को 12 मीटर ऊंचे स्तम्भ के नीचे प्रार्थना की एवं फूल माला अर्पित की, जिसके ऊपर माता मरियम की प्रतिमा स्थापित है।
निष्कलंक गर्भागमन के धर्मसिद्धांत की घोषणा के 100 साल के अंदर, रोम में पियात्सा दी स्पानिया में धन्य कुँवारी मरियम की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने की परंपरा पोप पीयुस 12वें के साथ शुरू हुई थी। कुछ साल बाद 1958 में, पोप संत जॉन 23वें पियात्सा दी स्पानिया गये और प्रतिमा के नीचे सफेद गुलाब की एक टोकरी रखी।
अपने पूर्वाधिकारियों द्वारा शुरू की गई इस दशकों पुरानी प्रथा को जारी रखते हुए, पोप लियो 14वें ने सोमवार को निष्कलंक गर्भागमन महापर्व को पियात्सा दी स्पानिया का दौरा करके मनाया।
माता मरियम के लिए समर्पित क्षण
पोप लियो जब पियात्सा स्पानिया पहुँचे, तो गायक दल एवं वहाँ उपस्थित विश्वासियों ने माता मरियम का गीत गाया, “आप प्रातःकाल से भी ज्यादा खूबसूरत उठते हैं।” रोम के विकर कार्डिनल बाल्दासारे रीना और रोम के महापौर रोबेर्तो ग्वालतीएरी ने पोप लियो का स्वागत किया।
आरम्भिक प्रार्थना के बाद पोप लियो ने 12 मीटर ऊंचे स्तम्भ के चरणों पर एक गुलदस्ता भेंट की जिसके ऊपर कुँवारी मरियम की प्रतिमा स्थापित है। वहीँ गायक मंडली ने माता मरियम की स्तुति विन्ती की।
उसके बाद पोप लियो ने माता मरियम को समर्पित एक प्रार्थना पढ़ी।
माता मरियम से प्रार्थना
प्रणाम, हे मरियम! आनन्द कर, कृपा से भरपूर, उस कृपा से पूर्ण जो एक कोमल रोशनी की तरह, उन सभी को रोशन करती है जिन पर ईश्वर की उपस्थिति चमकती है। रहस्य ने शुरू से ही आपको अपने घेरे में रखा है; अपनी माता के गर्भ से ही आपने महान काम करना शुरू किया है, ऐसी चीजें कीं जिन्होंने जल्द ही आपकी मंजूरी मांगी और उस “हाँ” ने इतने सारे दूसरे “हाँ” को प्रेरित किया।
निष्कलंक, विश्वासियों की माँ, आपकी पवित्रता रोम को अनन्त रोशनी से नहलाती है, आपका रास्ता इसकी गलियों को उन फूलों से भी मीठी खुशबू से भर देता है जो हम आज आपको चढ़ाते हैं। हे कुँवारी मरियम, दुनियाभर से कई तीर्थयात्री, जयन्ती वर्ष के पूरे इतिहास में और इस जयंती वर्ष में शहर की सड़कों पर चले हैं। एक मानवजाति जो परीक्षाओं से गुजरी, कभी कुचली गई, उस धरती की तरह विनम्र जिसे ईश्वर ने आकार दिया और जिसमें वे अपनी जीवन देनेवाली आत्मा फूँकना बंद नहीं करते।
हे माँ मरियम, उन बहुत सारे बेटे और बेटियों को देखिए, जिनकी उम्मीद अभी भी खत्म नहीं हुई है: आपके बेटे ने उनमें जो बोया है, वह जड़ पकड़े और बढ़े—वे जो जीवित शब्द हैं, हर इंसान में शरीर, चेहरा और आवाज के रूप में विकसित हों। रोम में और धरती के हर कोने में जुबली की आशा खिले, उस नई दुनिया की आशा जिसे ईश्वर तैयार कर रहे हैं, जिसकी आप, हे कुँवारी मरियम, कली और प्रातः बेला की तरह हो। पवित्र द्वार के बाद, अब दूसरे दरवाजे भी खुलें—घरों और शांति के मरुस्थल के दरवाजे जहाँ इज्जत फिर से पनप सके, जहाँ लोग अहिंसा और मेल-मिलाप की कला सीख सकें।
ईश्वर का राज्य आए—वह नयापन जिसकी आपको तीव्र अभिलाषा थी और जिसके लिए आपने खुद को पूरी तरह खोल दिया, एक बच्चे के रूप में, एक जवान युवती के रूप में, और नई कलीसिया की माता के रूप में। रोम में यात्रा करनेवाली कलीसिया और उन स्थानीय कलीसियाओं में नई समझ पैदा करें, जो हर मामले में, हमारे समय के लोगों की खुशियों और उम्मीदों, दुखों और चिंताओं पर ध्यान देते हैं—खासकर गरीबों और उन सभी लोगों की जो परेशान हैं।
बपतिस्मा संस्कार ऐसे पवित्र और निष्कलंक पुरुषों और महिलाओं को जन्म देता रहे, जिन्हें मसीह के शरीर का जीवित सदस्य बनने के लिए बुलाया जाता है—एक ऐसा शरीर जो सक्रिय है, दिलासा देता है, मेल-मिलाप कराता है, और दुनिया के उन शहरों को बदलता है जिसमें ईश्वर का शहर तैयार हो रहा है। हमारे लिए प्रार्थना कीजिए, जो उन बदलावों से जूझ रहे हैं और बिना तैयारी के हैं एवं कमजोर हैं। सपने, सोच और हिम्मत जगाइये—आप जो बेहतर जानते हैं कि ईश्वर के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है, और यह भी कि ईश्वर अकेले कुछ नहीं करते।
हमें अपने रास्ते पर भेज, उसी तेजी से जैसे आपने कभी अपनी कुटुम्बनी एलिजाबेथ के पास जाने के लिए कदम बढ़ाए थे, और उसी कांपती उत्सुकता के साथ जिससे आप परदेशी और तीर्थयात्री बनी थीं—धन्य होने के लिए, हाँ, लेकिन सभी नारियों में धन्य, अपने बेटे की पहली शिष्या, हमारे साथ ईश्वर की माँ होने के लए भी। हमारी मदद कीजिए कि हम हमेशा लोगों के साथ और उनके बीच एक कलीसिया बनें, जो न्याय और उम्मीद के लिए रोती मानव जाति के लिए आटे में खमीर की तरह मिला हो। बेदाग़, बेइंतहा खूबसूरती वाली महिला, इस शहर पर, इस मानव जाति पर नजर रख। उन्हें येसु की ओर इशारा करो, उन्हें येसु के पास ले जाओ, उन्हें येसु के सामने पेश करो। माँ, शांति की रानी, हमारे लिए प्रार्थना करो।
पियात्सा से निकलने से पहले, पोप लियो ने कार्यक्रम के लिए इकट्ठा हुए करीब 30,000 लोगों में से कई लोगों का अभिवादन किया—जिनमें कई बच्चे, बुज़ुर्ग और बीमार थे।