पोप लियो का इंडोनेशियाई लोगों से आह्वान: एक ऐसी दुनिया में सद्भाव का निर्माण जो विभाजन की ओर अग्रसर है

पोप लियो 14वें ने वाटिकन में रोम के इंडोनेशियाई समुदाय के साथ अपने संवाद में परमधर्मपीठ और दक्षिण पूर्व एशियाई देश को जोड़ने वाले "मित्रता के बंधन" को याद किया।

पोप सोमवार 22 सितंबर को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में पोप लियो 14वें ने रोम में रहने वाले इंडोनेशियाई समुदाय का अभिवादन किया। पोप ने कहा, “मुझे रोम में इंडोनेशियाई काथलिक समुदाय से मिलकर बहुत खुशी हो रही है, क्योंकि हम दो विशेष उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं: इंडोनेशिया में संत पापा की यात्रा की पहली वर्षगांठ और इंडोनेशिया तथा परमधर्मपीठ के बीच राजनयिक संबंधों की पचहत्तरवीं वर्षगांठ।”

पोप ने कहा कि शुरू से ही, परमधर्मपीठ, इंडोनेशिया के साथ निकटता से जुड़ा रहा है और इन दशकों में, ये संबंध संवाद, सम्मान और शांति एवं सद्भाव के प्रति साझा प्रतिबद्धता पर आधारित रहे हैं। पिछले वर्ष उनके पूर्ववर्ती पोप फ्राँसिस की ऐतिहासिक यात्रा इस मित्रता को और गहरा किया और द्वीपसमूह में आशा का संदेश पहुँचाया। इसने मानवता की भलाई के लिए एकता को बढ़ावा देने हेतु पोप और इस्तिकलाल मस्जिद के ग्रैंड इमाम द्वारा हस्ताक्षरित इस्तिकलाल घोषणापत्र के माध्यम से दुनिया को अंतरधार्मिक सहयोग की एक ठोस अभिव्यक्ति भी दी। आज, हम इन मैत्रीपूर्ण बंधनों और यहाँ आपकी उपस्थिति, तथा इंडोनेशिया का प्रतिनिधित्व करने वाले नागरिक अधिकारियों के साथ, का आनंद लेते हैं।

विविधता में एकता"
पोप ने कहा कि यह सभा अपने आप में आस्था और एकता के शुभ फलों का प्रतीक है। घर से दूर रहते हुए भी, वे अपनी जीवंत परंपराओं को संजोए रखते हैं और एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं। पोप ने ख्रीस्तियों और गैर-ख्रीस्तियों के साथ मज़बूत संबंधों के लिए अपना आभार व्यक्त किया। उनहोंने कहा, “सेवा के ये शांत कार्य इंडोनेशिया के आदर्श वाक्य, "विविधता में एकता" को दर्शाते हैं। जैसा कि पोप फ्राँसिस ने जकार्ता में कहा था, इंडोनेशिया के लोग जब साझा हित की भावना से बंधे होते हैं, तो एक "एकजुटता का ताना-बाना" बनाते हैं; वास्तव में, विविधता के बीच सद्भाव बनाए रखना एक नाज़ुक "शिल्प कौशल का काम है जो सभी को सौंपा गया है।"

समाज में सद्भाव का निर्माण
पोप ने एकजुटता का अभ्यास - नए प्रवासियों का स्वागत करने से लेकर स्थानीय समुदायों के साथ अपनी संस्कृति साझा करने के लिए उनकी प्रशंसा की। ये "मिलन की संस्कृति" के स्पष्ट उदाहरण हैं, जो शांति और एकता की नींव है। संत पापा ने उनसे आग्रह किया कि वे एक ऐसी दुनिया में एकता के पैगम्बर बनें जो अक्सर विभाजन और उकसावे की कोशिश करती है। संवाद और मित्रता का मार्ग चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह शांति का अनमोल फल देता है।

पोप ने कहा कि एक ही समय में एक निष्ठावान काथलिक और एक गौरवान्वित इंडोनेशियाई होना संभव है, जो सुसमाचार के प्रति समर्पित हो और समाज में सद्भाव का निर्माण करे। संत पापा ने उन्हें लोगों, संस्कृतियों और धर्मों के बीच सेतु-निर्माता बने रहने हेतु प्रेरित किया। वे आशा के तीर्थयात्री और शांति के शिल्पी बने रहें।