पोप लियो आधुनिक शहीदों की स्मृति में आयोजित ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना का नेतृत्व करेंगे

पोप लियो 14वें पवित्र क्रूस विजय के पर्व दिवस पर अन्य कलीसियाओं और कलीसियाई समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ एक प्रार्थना सभा में भाग लेंगे, जिसका उद्देश्य है 21वीं सदी के शहीदों एवं विश्वास के गवाहों की याद करना।
पोप लियो 14वें एक प्रार्थना सभा की अध्यक्षता करनेवाले हैं, जिसमें आज के समय में ख्रीस्त पर अपने विश्वास के कारण मारे गए कई ख्रीस्तीयों को याद किया जाएगा।
पोप के साथ अन्य ख्रीस्तीय कलीसियाओं और धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधि भी "बीसवीं सदी के शहीदों और विश्वास के गवाहों की सर्वधर्म स्मरण सभा" में शामिल होंगे। यह सभा 14 सितंबर, रविवार को पवित्र क्रूस विजय पर्व पर, रोम में संत पौल महागिरजाघर में आयोजित की जाएगी।
स्मृति दिवस, वाटिकन के संत प्रकरण विभाग एवं नये शहीदों के आयोग की पहल है। जिसे पोप फ्राँसिस ने 2023 में "इन 25 वर्षों में विश्वास के गवाहों की पहचान करने और भविष्य में भी इसे जारी रखने" के उद्देश्य से स्थापित किया था।
शुक्रवार को काथलिक कलीसिया और कलीसियाओं की विश्व परिषद के ख्रीस्तीय एकता संयुक्त कार्य समूह के सदस्यों से बात करते हुए, ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देनेवाले परमधर्मपीठीय विभाग के प्रमुख, कार्डिनल कुर्ट कोच ने कहा कि यह पहल "इस विश्वास को स्पष्ट रूप से दर्शाएगा कि कलीसिया अपने शहीदों के रक्त से पहले से ही एक है।"
यादें सुरक्षित रखना
सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, नए शहीदों की समिति के अध्यक्ष, महाधर्माध्यक्ष फाबियो फाबेने ने समिति के काम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनके शोध में “सभी ख्रीस्तीय कलीसियाओं को शामिल किया गया है, क्योंकि बपतिस्मा की शक्ति उन सभी ख्रीस्तीयों को एक करती है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी।” उन्होंने आगे कहा, “इस तरह ‘रक्त का एकतावाद’ साकार होता है, जैसा कि संत जॉन पॉल द्वितीय शहादत को कहते थे।”
महाधर्माध्यक्ष फाबेने ने आगे कहा, “कलीसिया पहले से ही एकजुट है, और पोप लियो उम्मीद करते हैं कि इन शहीदों का रक्त ‘शांति, मेलमिलाप, भाईचारा और प्रेम का बीज’ होगा।” महाधर्माध्यक्ष ने कहा, “समिति का दस्तावेजीकरण का काम यह सुनिश्चित करना है कि ये कहानियाँ खो न जाएँ, बल्कि यादों में सुरक्षित रहें।”
आधुनिक शहीदों का 'भूगोल'
महाधर्माध्यक्ष फाबेने की टिप्पणी के बाद, आयोग के उपाध्यक्ष प्रोफेसर एंड्रिया रिकार्दी ने विश्वास के गवाहों के 'भूगोल' के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में संगठित अपराध, ड्रग तस्कर या पर्यावरण का दोहन करने वाले लोगों द्वारा मारे गए लोग, दूर देशों में मारे गए मिशनरियों सहित यूरोप के शहीद, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में, खासकर, पूर्वी ख्रीस्तीयों पर होनेवाला अत्याचार, और एशिया में प्रार्थना करते समय मारे गए ख्रीस्तीय, 2019 में श्रीलंका में पास्का पर्व के दिन बम विस्फोट के पीड़ित।
प्रोफेसर रिकार्डी ने कहा कि सब-सहारा अफ्रीका वह महाद्वीप है "जहाँ सबसे अधिक ख्रीस्तीय मारे जाते हैं", और उन्होंने जिहादी हमलों के पीड़ितों और मिशनरियों को निशाना बनानेवाले जातीय-राजनीतिक हिंसा का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से, दुनिया भर में ईसाई मारे जाते रहते हैं।" "उनकी ज़िंदगी और मौत का तरीका बदल सकता है, लेकिन वे सुसमाचार के गवाह - ईश्वर और अपने भाई-बहनों के प्रति समर्पित, मानवता के सच्चे सेवक, और आस्था के सच्चे प्रचारक के रूप में मरते हैं।"
एकता को एक बड़ा प्रोत्साहन
अंततः आयोग के सचिव मोनसिन्योर मार्को न्यावी ने बतलाया कि 21वीं सदी में विश्वास के साक्ष्यों की यादगारी को शब्द समारोह के रूप में मनाया जाएगा, जिसका नेतृत्व पोप लियो 14वें, विभिन्न ख्रीस्तीय कलीसियाओं के 24 प्रतिनिधियों के साथ करेंगे। उन्होंने कहा, "वे ख्रीस्तीय जगत का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो इस विरासत से प्रभावित होना चाहता है।"
मोन्सिन्योर न्यावी ने कहा कि “यह धार्मिक अनुष्ठान ईश्वर के वचन को अभिव्यक्त करने का अवसर देगा और हमारी यादों को और भी व्यापक बनाएगा, जिसमें अलग-अलग ख्रीस्तीय समुदाय भी शामिल होंगे।” उन्होंने यह भी बतलाया कि यह 2000 के महान जूबिली के दौरान कोलोसियुम में पोप जॉन पौल द्वितीय द्वारा आयोजित इसी तरह के ख्रीस्तीय एकता समारोह के अनुरूप है।
मोन्सिन्योर ने कहा कि इस समारोह में कुछ शहीदों के अनुभव शामिल होंगे। उन्होंने कहा, “एक साथ होना, जब शहीद अपनी मृत्यु के माध्यम से अपने जीवन का संदेश देते हैं, तो यह एकता के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है– हमारे बीच और पूरी मानव जाति के बीच, जिसे हम प्रेम से चाहते हैं।”