पोप लियोः कलीसिया और विश्व हेतु एकता के शिल्पकार बनें

अगुस्टीनियन धर्मसमाज की आमसभा के प्रारंम्भिक ख्रीस्तीयाग में पोप लियो का प्रवचन।
पोप लियो ने अगुस्टीनियन धर्मसभा की आमसभा के उद्घाटन का यूखारीस्तीय बलिदान के दौरान प्रवचन में अपने अगुस्टीनियन धर्मबंधुओं को सुनने, विनम्रता और एकता में बने रहने का आहृवान किया।
अपने प्रवचन के शुरू में उन्होंने धर्मसंध के परमाधिकारी पुरोहित अलेज्द्रो मोरल और धर्मसंग के सभी धर्मबंधुओं का अभिवादन करते हुए कहा कि कि हम सभी पवित्र आत्मा के उपहार हेतु प्रार्थना करें। प्रभु वचनों पर चिंतन करते हुए जिसकी चाह ईश्वर हम सभों से करते हैं, धर्मसभा के शुरूआती दौर में हम ईश्वर से कृपा की याचना करें कि वे हमें भाषाओं की समझ या बोलने की आवश्यक कृपा के अलावे सुनने और नम्रता का उपहार प्रदान करें, जिससे हम पूरे धर्मसमाज में, कलीसिया और विश्व में एकता के शिल्पाकार बन सकें।
पोप ने कहा कि धर्मसंघ की धर्मसभा के पहले यह यूख्रारीस्तीय बलिदान हम सभी के लिए कृपा का एक क्षण है।
पवित्र आत्मा के इस विनयपूर्ण मिस्सा में, हम प्रार्थना करते हैं कि वह, जिसके द्वारा मसीह का प्रेम हमारे हृदयों में निवास करता है (रोमियों 5:5), आपके दिन-प्रतिदिन के कार्यों का मार्गदर्शन करे।
पवित्र आत्मा की शक्ति
एक प्राचीन लेखक पेंतेकोस्त के बारे में जिक्र करते हुए लिखते हैं कि वह "आत्मा एक प्रचुरता और अदम्य विजय है।" पोप ने कहा कि हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि आपके लिए भी ऐसा ही हो: कि वह आत्मा समस्त मानवीय तर्क पर, "प्रचुर और अदम्य" तरीके से विजय प्राप्त करे, ताकि दिव्य तृत्वमय ईश्वर वास्तव में आने वाले दिनों के नायक बन सकें। पवित्र आत्मा हमारे संग आज भी वैसे ही बातें करते हैं जैसे वे अतीत में करते थे। वह हमारे हृदय की गरहाई “पेनेट्रालिया कॉर्डिस” में और अपने भाई-बहनों के जीवन की परिस्थितियों के माध्यम ऐसा करते हैं। यही कारण है कि कलीसियाई परांपरा के अनुरूप हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि धर्मसभा का वातवरण सुनने का हो, ईश्वर को सुनने और एक दूसरे को सुनने का।
विश्वासी समुदाय की भाषा
पेन्तेकोस्त पर चिंतन करते हुए हमारे संस्थापक संत अगुस्टीन एक उत्तेजक सावल कि ग्लोस्सोलालिया, जैसे की एक बार येरुसालेम में हुए था, एक अज्ञात भाषा में बोलने की घटना का आज फिर से क्यों नहीं होती है, का उत्तर एक चिंतन में देते हैं जो इस समय में आप लोगों के लिए बहुत मददगार सिद्ध होगा जिसे आप आवश्यक रुप में पूरा करने वाले हैं। संत अगुस्टीन कहते हैं, “शुरू में हर विश्वासी...सभी तरह की भाषाएं बोलता था। अब विश्वासियों का समुदाय सभी भाषाओं में बोलते हैं। अतः, अभी भी, सभी भाषाएँ हमारी हैं, क्योंकि हम सभी उस शरीर के सदस्य हैं जो बोलता है।”
पोप ने कहा प्रिय भाइयो, एक साथ, आप सब ख्रीस्त के शरीर के सदस्य हैं, जो सभी तरह की भाषाएँ बोलता है। यदि इस दुनिया की सारी भाषाएं न सही, निश्चित रुप में वे सभी बातें जो ईश्वर जानते हैं, जो उस भलाई लिए आवश्यक है, जिसे उन्होंने अपनी दूरदर्शी विवेक में हमें सौंपा है।