नॉट्रे डेम युनिवर्सिटी से पोप : विद्यार्थियों को मन, दिल, हाथ से सपने देखने में मदद करें
पोप फ्राँसिस ने अमेरिकी राज्य इंडियाना में नोट्रे डेम विश्वविद्यालय के ट्रस्टी बोर्ड से मुलाकात की, और काथलिक शिक्षकों को बौद्धिक रूप से दृढ़, विश्वास से भरे प्रशिक्षण के माध्यम से छात्रों को उनके सपनों तक पहुंचने में मदद करने के लिए आमंत्रित किया।
पोप ने कहा, “यह शिक्षा का रहस्य है: कि हम वही सोचते हैं जो हम महसूस करते और करते हैं; कि हम जो महसूस करते, उसे सोचते और करते हैं; और, कि हम वही करते हैं जो हम महसूस करते और सोचते हैं।”
पोप फ्रांसिस ने गुरुवार को वाटिकन में इंडियाना के नोट्रे डेम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष और ट्रस्टी बोर्ड के साथ मुलाकात के दौरान शिक्षकों के मिशन के बारे में अपने दृष्टिकोण का सारांश पेश किया।
जब उन्होंने "फाइटिंग आयरिश" विश्वविद्यालय के लिए जिम्मेदार पुरुषों और महिलाओं से बात की, तो पोप ने उस पर गहराई से विचार किया, जिसे वे "शिक्षा की तीन भाषाएँ: सिर, हृदय और हाथ" कहते हैं।
उन्होंने कहा, मानव व्यक्तित्व के ये तीन तत्व काथलिक शिक्षा के मूल हैं और युवाओं को परिपक्वता एवं पूर्णता तक पहुंचने में सहायता करना इसका लक्ष्य है।
पोप फ्रांसिस ने कहा कि काथलिक विश्वविद्यालय, जैसे कि नोट्रे डेम, ज्ञान की उन्नति के लिए अध्ययन और शोध करते, अक्सर एक अंतर-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण को नियोजित करते हैं।
उन्होंने कहा, "काथलिक संस्थानों द्वारा किए गए ये शैक्षणिक प्रयास आस्था और तर्क के आंतरिक सामंजस्य के दृढ़ विश्वास पर आधारित हैं, जहां से व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए ख्रीस्तीय संदेश की प्रासंगिकता निकलती है।"
उन्होंने नोट्रे डेम के शिक्षकों को सामान्य रूप से सीखने और काथलिक बौद्धिक परंपरा की समृद्धि, दोनों की गहरी सराहना के माध्यम से छात्रों को उनके "सिर" यानी बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करने में मदद करने के लिए आमंत्रित किया।
यहूदी-ईसाई परंपरा में ज्ञान और विश्वास के केंद्र के रूप में जाने जानेवाले "हृदय" की ओर मुड़ते हुए, पोप फ्रांसिस ने कहा कि काथलिक शिक्षा को छात्रों को तीन पारलौकिकता के प्रति खुलापन विकसित करने में सहायता करनी चाहिए: अच्छा, सच्चा और सुंदर।
उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षकों और छात्रों को सच्चे रिश्ते विकसित करने की आवश्यकता है ताकि जीवन के गहरे सवालों को एक साथ खोजा जा सके।
पोप ने नोट्रे डेम के काथलिक शिक्षकों से पूछा कि क्या वे "युवाओं को सपने देखने में मदद करते हैं" और उन्हें अपने अंतःकरण से जवाब देने के लिए आमंत्रित किया।
उन्होंने कहा, "इसका मतलब संवाद और मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देना भी है, ताकि सभी लोग प्रत्येक व्यक्ति को एक भाई या बहन के रूप में और सबसे बुनियादी रूप से, ईश्वर के प्यारे बच्चे के रूप में स्वीकार करना, सराहना करना और प्यार करना सीख सकें।"
इसलिए उन्होंने लोगों के दिलों को शिक्षित करने में धर्म की भूमिका पर जोर दिया जिससे छात्रों को समाज को नवीनीकृत करने और जीवन में चुनौतियों का सामना करने में मदद मिल सके।
सेवा के हाथ
पोप ने कहा, "हाथ" या मानव व्यक्ति के सक्रिय, परोपकारी पहलू, काथलिक शिक्षा के लक्ष्य का प्रतिनिधित्व करता है।
उन्होंने कहा, हमें अपने कार्यों के माध्यम से, "पारस्परिक सह-अस्तित्व, भाईचारे की एकजुटता और शांति सिखाकर" एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए बुलाया गया है।
उन्होंने कहा, "हम अपने संस्थानों की दीवारों या सीमाओं के भीतर नहीं रह सकते, लेकिन हमें परिधि से बाहर जाने और अपने पड़ोसियों में ख्रीस्त से मिलने और उनकी सेवा करने का प्रयास करना चाहिए।"
उन्होंने वंचित समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए छात्रों के बीच उत्साह बढ़ाने के विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की।
'समाज में भलाई के लिए शक्तिशाली साधन'
पोप फ्रांसिस ने नोट्रे डेम विश्वविद्यालय के अधिकारियों को स्कूल के "अद्वितीय चरित्र और पहचान" को बनाए रखने के लिए उनकी उदार सेवा हेतु धन्यवाद देकर अपनी बात समाप्त की।
"इस संस्था के जीवन में आपका योगदान इसकी ठोस काथलिक शिक्षा की विरासत को बढ़ाता रहेगा और विश्वविद्यालय को सक्षम बनाएगा, जैसा कि आपके संस्थापक फादर एडवर्ड सोरिन चाहते थे, समाज में 'अच्छाई के लिए एक शक्तिशाली साधन' बनेगा।"
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