'करुणा के बिना न्याय नहीं' पोप लियो 14 वें

इटली के लामपेदूसा द्वीप में आयोजित एक कार्यक्रम को प्रेषित एक विडियो सन्देश में, पोप लियो 14 वें ने आप्रवासियों के स्वागत के लिए स्थानीय समुदाय को दीर्घकालीन साक्ष्य के लिए धन्यवाद दिया तथा शांति और भाईचारे के मार्ग के रूप में "मेल-मिलाप की संस्कृति" की अपील की।
इटली के लामपेदूसा द्वीप में आयोजित एक कार्यक्रम को प्रेषित एक विडियो सन्देश में, पोप लियो 14 वें ने आप्रवासियों के स्वागत के लिए स्थानीय समुदाय को दीर्घकालीन साक्ष्य के लिए धन्यवाद दिया तथा शांति और भाईचारे के मार्ग के रूप में "मेल-मिलाप की संस्कृति" की अपील की।
"स्वागत के संकेत"
"स्वागत के संकेत" शीर्षक से आयोजित कार्यक्रम के प्रतिभागियों को शुक्रवार को प्रेषित विडियो सन्देश में पोप लियो ने सभी लोगों से आग्रह किया कि वे "समाधान की संस्कृति" के साथ "नपुंसकता के वैश्वीकरण" का विरोध करें। इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगों सहित स्वयंसेवकों, कलीसियाई प्रतिनिधियों और नागर अधिकारियों ने भाग लिया तथा प्रवसन के अग्रिम मोर्चे के रूप में द्वीप के अनुभव पर विचारों का आदान प्रदान किया। यह कार्यक्रम आतिथ्य की कहानियों पर प्रकाश डालता है, समुद्र में अपनी जान गंवाने वालों को याद करता है, तथा यूरोपीय तटों पर शरण लेने वालों के साथ एकजुटता की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
स्थानीय शब्द ओ’सिया!—जिसका अर्थ है “श्वास” या “आत्मा”—से उपस्थित जनसमूह का अभिवादन कर सन्त पापा ने इसे बाइबिल में वर्णित ईश्वर के आत्मा के अर्थ से जोड़ा और कहा, "विश्वासी होने के नाते, हम एक-दूसरे पर पवित्र आत्मा अर्थात् ईश्वर के आत्मा के श्वास का आह्वान करें।"
आभार प्रदर्शन
उन्होंने लामपेदूसा तथा निकटवर्ती लिनोसा के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने दशकों से आप्रवासियों का स्वागत किया है। साथ ही उन संगठनों, स्वयंसेवकों, नागर अधिकारियों, पुरोहितों, डॉक्टरों और सुरक्षा बलों का आभार व्यक्त किया जो द्वीप के तटों पर आने वाले नवागन्तुकों की सहायता करते रहते हैं। उन्होंने कहा, "करुणा के बिना न्याय नहीं; दूसरों की पीड़ा सुने बिना कोई वैधता नहीं।"
पोप लियो ने उन कई आप्रवासियों को भी याद किया जिन्होंने समुद्र में अपनी जान गंवाई और जिन्हें लामपेदूसा में दफनाया गया है। उन्होंने उन्हें ऐसे बीज निरूपित किया जिनसे एक नई दुनिया का जन्म होना है।
साथ ही उन्होंने उन हज़ारों लोगों की ओर भी इशारा किया जो बच गए और अब बेहतर जीवन जी रहे हैं, जिनमें से कई, उन्होंने कहा, स्वयं "न्याय और शांति के कार्यकर्ता बन गए हैं, क्योंकि अच्छाई संक्रामक होती है।"
उदासीनता के वैश्वीकरण' से बचें
प्रवसन त्रासदियों के संदर्भ पोप फ्रांसिस के शब्दों का स्मरण कर पोप ने "उदासीनता के वैश्वीकरण" से बचने का सन्देश दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि आज जोखिम अलग है, इसलिये कि "अन्याय के समक्ष हम अधिक जागरूक हैं तथापि मौन और उदास खड़े रहने का जोखिम उठाते हैं क्योंकि हम इस भावना से पराजित हैं कि कुछ भी नहीं किया जा सकता।"
मेल-मिलाप को बढ़ावा दें
पोप ने ज़ोर देकर कहा कि इतिहास केवल शक्तिशाली लोगों द्वारा नहीं लिखा जाता है, बल्कि "विनम्र, न्यायप्रिय, शहीदों द्वारा बचाया जाता है, जिनमें अच्छाई चमकती है और सच्ची मानवता प्रतिरोध करती और नवीनीकृत होती है।"
उन्होंने सभी शुभचिन्तकों से मेल-मिलाप को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा, "कोई दुश्मन नहीं है; केवल भाई-बहन हैं, हमें पुनर्मिलन और मेल-मिलाप की आवश्यकता है।" समुदायों से घावों को भरने, पूर्वाग्रहों को दूर करने और साझा आशाओं को पहचानने का उन्होंने आह्वान किया।