सीरिया दुनिया के सबसे विनाशकारी मानवीय संकटों में से एक है

18 मार्च 2025 को सीरिया में नाटकीय शासन परिवर्तन के 100 दिन पूरे हो रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, यूनिसेफ ने संकटग्रस्त राष्ट्र को घेरने वाले संकट की निंदा की।

‘सीरिया दुनिया के सबसे विनाशकारी मानवीय संकटों में से एक है।’ सीरिया के दीर्घकालिक राष्ट्रपति बशर अल-असद की तानाशाही शासन समाप्त होने के 100 दिन बाद 18 मार्च को जारी की गई संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, यूनिसेफ की रिपोर्ट में चल रही तबाही को उजागर किया।

मध्य पूर्वी राष्ट्र में पीड़ा पर विचार करते हुए, यूनिसेफ ने कहा कि 7.5 मिलियन बच्चों सहित 16.7 मिलियन लोग संकटग्रस्त राष्ट्र में जरूरतमंद हैं।

इसके अलावा, इसने उल्लेख किया कि 7.4 मिलियन से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हैं, जिनमें से आधे से अधिक बच्चे हैं।

बच्चों की अपार पीड़ा
बच्चों के सामने आने वाली भयावहता का विवरण देते हुए, यूनिसेफ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीरिया में 7.5 मिलियन से अधिक बच्चों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और सभी बच्चे किसी न किसी तरह के मनोसामाजिक संकट का सामना कर रहे हैं।

कम से कम 5 मिलियन बच्चों को बिना विस्फोट वाले बमों एवं आयुधों से खतरा है और यूनिसेफ ने अफसोस जताया कि अनुमानों से पता चलता है कि पूरे सीरिया में लगभग 300,000 बिना विस्फोट वाले उपकरण बिखरे पड़े हैं।

ऐसे देश में जहाँ 14.9 मिलियन लोगों को स्वास्थ्य सेवा सहायता की आवश्यकता है, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने बताया कि 500,000 बच्चे कुपोषित हैं और 2 मिलियन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा है।

इस समय, लगभग 2.5 मिलियन बच्चे स्कूल से बाहर हैं और 1 मिलियन से अधिक बच्चों के स्कूल छोड़ने का खतरा है।

इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र संगठन ने कहा, 7.2 मिलियन बच्चों को शैक्षिक सहायता की आवश्यकता है और 3 में से 1 स्कूल अनुपयोगी है क्योंकि इसे नष्ट कर दिया गया है, क्षतिग्रस्त कर दिया गया है या विस्थापित व्यक्तियों के लिए आश्रय के रूप में उपयोग किया जाता है।

गरीबी और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढाँचा
आवश्यक सेवाओं तक पहुँच और बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में भी बहुत कुछ कमी है, यूनिसेफ ने पानी और स्वच्छता सेवाओं की अपर्याप्तता की ओर ध्यान आकर्षित कराया।

अनुमानों से पता चलता है कि सीरिया में दस में से नौ लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं, चार में से एक बेरोजगार है और लगभग तीन में से दो लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं।