सिग्निस इंडोनेशिया की 50वीं सभा समपन

इंडोनेशिया की 50वीं सिग्निस आमसभा में पारिस्थितिकी के प्रति पूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु संचार माध्यम की भूमिका पर बल दिया गया।

इंडोनेशिया की 50वीं सिग्निस आमसभा की बैठक रुटेंग स्थित मेरी मदर ऑफ कार्मेल आध्यात्मिक साधना निवास में आयोजित की गई जिसमें पारिस्थितिकी के प्रति समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु मीडिया की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया।

“संचार माध्यम और परिस्थितिकी प्रेरिताई- संपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण सृष्टि के निर्माण हेतु एक साथ चलना” इस सभा की विषयवस्तु थी जिसमें कलीसियाई समुदाय के 32 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस आयोजन के दौरान रूतेंग धर्माप्रांत ने अपने क्षेत्र में व्याप्त महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। धर्मप्रांत के कारितास आयोग अध्यक्ष आरडी बेनेडिक्टस गगुक ने गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों की ओर प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित कराया, जिनमें गंभीर प्रदूषण, प्राकृतिक का विनाश और खाद्य संकट शामिल थे। उन्होंने कहा कि इन प्राकृतिक समस्याओं के कारण बौनेपन जैसे स्वास्थ्य संबंधी खतरे उत्पन्न होते हैं।

उन्होंने कहा, “मानव इस संकट से संबंधित प्रथम सहयोगी है, जो प्रकृति को सिर्फ एक उपभोक्ता की वस्तु स्वरुप देखता और प्रयोग करता है।” वहीं इंडोनेशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के सामाजिक संचार कार्यालय के प्रमुख धर्माध्यक्ष कोर्नेलियस सिपयुंग ने संत पापा फ्रांसिस के विश्व प्रेरितिक पत्र,  लाऊदाते देऊम का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए प्रकृति के प्रति मानवीय अहंकार के खतरों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "जब मनुष्य अपने को ईश्वर समझने लगता, तो वह प्राकृतिक का शोषण करते हुए स्वयं अपना सबसे बड़ा शुत्र बन जाता है।"

प्रतिभागियों ने स्वदेशी मंगगराई संस्कृति से भी अपने को वाकिफ किया, जो पृथ्वी को जीवन देने वाली माँ के रूप में देखती है। स्थानीय विश्वास प्रणाली पृथ्वी को जीवन के एक तंत्र स्वरूप चित्रित करती है, जहाँ हर तत्व पवित्र बंधनों के माध्यम एक दूसरे से जुड़ा हुआ है।

पारिस्थितिकी स्थिरता की दिशा में व्यावहारिक कदमों पर प्रकाश डालते हुए, सभा ने पुनर्वनीकरण और पर्यावरण की देखभाल के लिए संकेतिक रूप में अवोकाडो और गुल-मोहर के वृक्षों को “सिग्निस वृक्ष” की चिन्ह स्वरुप रोपा।

सभा ने वित्तीय स्वतंत्रता, सदस्यों के बीच परियोजना सहयोग और सिग्निस इंडोनेशिया के उपनियमों में संशोधन जैसे संगठनात्मक मामलों पर भी विचार मंथन किया  जिसका उद्देश्य पर्यावरण और संचार माध्यमों पर नेटवर्क के प्रभाव को मजबूत करना था।

सिग्निस या संचार हेतु वैश्विक काथलिक संघ वाटिकन द्वारा विश्वासियों का एक अंतरराष्ट्रीय संघ रूप मान्यता प्राप्त है, जिसकी प्रेरिताई “मानवीय गरिमा, न्याय और सामंजस्य को बढ़ावा देते हुए सुसमाचार के मूल्यों अनुरूप संस्कृतियों में परिवर्तन लाना” है।