युवा मीडियाकर्मी रोम में विश्वास संचार का अन्वेषण कर रहे हैं

15 मीडियाकर्मी 12 से 19 सितंबर तक रोम में “डिजिटल दुनिया में विश्वास संचार” कार्यक्रम के एक भाग के रूप में एक सप्ताह के लिए एकत्र हुए, जिसमें सुसमाचार प्रचार के नए तरीकों की खोज की गई।
दुनिया के विभिन्न हिस्सों से 15 युवा संचारकों का एक दल, डिजिटल दुनिया में विश्वास संचार के पाँचवें कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रोम में एकत्रित हुआ। यह वाटिकन संचार विभाग की एक प्रशिक्षण पहल है।
12 से 19 सितंबर, 2025 तक, प्रतिभागियों ने व्यावहारिक शिक्षण और आपसी आदान-प्रदान का एक अनूठा अनुभव साझा किया।
11 देशों - केन्या, नाइजीरिया, कनाडा, फिलीपींस, फिलिस्तीन, पोलैंड, क्रोएशिया, इटली, भारत, उरुग्वे और संयुक्त राज्य अमेरिका - से आए ये युवा पेशेवर एक ऐसी परियोजना के हिस्सा हैं जो मई 2025 में शुरू हुई और मार्च 2026 तक जारी रहेगी।
यह कार्यक्रम साप्ताहिक जूम मीटिंग और टीम परियोजनाओं को जोड़ता है, जिसका लक्ष्य डिजिटल वातावरण में विश्वास का संचार करने के लिए साधन प्रदान करना है।
इस दौरान, उन्होंने सोशल मीडिया हस्ताक्षेप पर पूर्ण उपस्थिति की ओर प्रेरितिक चिंतन के साथ-साथ द्वितीय वाटिकन महासभा के विशेष आदेश द्वारा तैयार किए गए प्रेरितिक निर्देश "कमुनियो एत प्रोग्रेसियो" का भी अध्ययन किया।
आध्यात्मिक निर्माण की सुदृढ़ प्रथाओं को बढ़ावा देने के अलावा, इस पहल का उद्देश्य सुसमाचार प्रचार के नए रूपों को प्रेरित करना, उन परिस्थितियों में प्रतिभाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है, जहाँ कलीसिया चुनौतियों का सामना कर रही है, और यह बेहतर ढंग से समझना है कि नई पीढ़ियाँ डिजिटल मीडिया से कैसे जुड़ती हैं।
इस यात्रा के एक भाग के रूप में, प्रतिभागी तीन काथलिक संस्थाओं के लिए संचार परियोजनाएँ भी विकसित करेंगे।
रोम में बिताया गया यह सप्ताह सुनने, निर्माण करने और व्यावहारिक अनुप्रयोग का समय था। दल ने गतिविधियों के एक समृद्ध कार्यक्रम में भाग लिया। इसके अलावा उन्होंने 17 सितंबर को पोप लियो 14वें के साथ आमदर्शन समारोह में भाग लिया, जिसके बाद उन्हें पोप से मुलाकात करने का अवसर मिला; उन्होंने चार महागिरजाघरों, वाटिकन नेक्रोपोलिस और संचार विभाग, जिसमें वाटिकन रेडियो संग्रहालय भी शामिल था, का दौरा किया।
उन्होंने संचार विभाग के सचिव, मोनसिन्योर लूचो अद्रियन रुइज़ की अध्यक्षता में संत क्लेमेंट बसिलिका में भी ख्रीस्तयाग में भाग किया और प्रीफेक्ट डॉ. पाओलो रफ़िनी से भी मुलाकात की।
वाटिकन संचार विभाग के ईशशास्त्रीय-प्रेरितिक विभाग की निदेशक नताशा गोवेकर के नेतृत्व में चिंतन सत्र भी आयोजित किए, जिनका उद्देश्य ईश्वर के वचन और पवित्र कला को अभिव्यक्ति के विशिष्ट माध्यम के रूप में प्रयोग करते हुए, संचार के ईशशास्त्र को और गहन बनाना था।
प्रतिभागियों ने एक घंटे व्यक्तिगत प्रार्थना की और उसके बाद दल के साथ अपने विचार साझा किए।
सांत्वना की जयंती के साथ होनेवाले इस अवसर का लाभ उठाते हुए, युवा संचारक संत पेत्रुस महागिरजाघर में पोप लियो 14वें की अध्यक्षता में आयोजित जागरण प्रार्थना में भी शामिल हुए।
येरूसालेम के लैटिन प्राधिधर्माध्यक्ष की मीडिया प्रबंधक मिरल अतीक के लिए, यह सप्ताह एक भावनात्मक यात्रा थी।
उन्होंने स्वीकार किया कि शुरुआत में उन्हें "थोड़ा असहज महसूस हुआ, क्योंकि मुझे लगा कि मैं गलत समय पर जा रही हूँ।"
फिर भी जल्द ही उन्हें एक नया क्षितिज मिल गया: "इस अनुभव ने मुझे आशा दी कि आज हम जो कुछ कदम उठाते हैं, भले ही वे छोटे लगें, वे लंबे समय में फल देते हैं।"
"सुनने और सीखने के लिए खुले दिल" के साथ, उन्होंने व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के महत्व पर ज़ोर दिया: "मेरे लिए, संचारक होना सिर्फ एक नौकरी नहीं है—यह एक बुलाहट है, मेरे देश में जीवन जीने का एक रास्ता है।"
वैंकूवर (कनाडा) महाधर्मप्रांत की रेचल वोंग ने विभाजन से भरी दुनिया में भाईचारे के महत्व पर विचार किया।
पोप के साथ प्रार्थना के एक पल से प्रेरित होकर, उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत बोझ के बावजूद, "भाईचारा उन गैर-ख्रीस्तीयों को भी दिया जा सकता है जिनके साथ मैं रहती हूँ। क्योंकि, अंततः, हम सभी को सांत्वना की जरूरत है।"
अपनी गवाही में, उन्होंने लोगों को विभाजित करनेवाली "कड़वाहट और नफरत को मिटाने" की तात्कालिकता पर जोर दिया—उन्होंने कहा कि यह रास्ता केवल प्रेम के माध्यम से ही संभव है।
यह पहल कलीसिया की 21वीं सदी के मिशन में संचार विभाग द्वारा एक ठोस कदम है: तकनीक को न केवल एक उपकरण के रूप में, बल्कि सुसमाचार प्रचार और एकता के निर्माण के लिए उपजाऊ ज़मीन के रूप में अपनाना।