मानवता के खिलाफ अपराधों की सज़ा कानूनी रूप से बाध्यकारी हो
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय मुख्यालय में मानवता के खिलाफ अपराध पर जारी आम सभा के 78 वें सत्र में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक, वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्या ने कहा कि मानवता के खिलाफ अपराधों की सज़ा को कानूनी रूप से बाध्यकारी किया जाना चाहिये।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय मुख्यालय में मानवता के खिलाफ अपराध पर जारी आम सभा के 78 वें सत्र में, गुरुवार को, विभिन्न राष्ट्रों की सरकारों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक, वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्या ने कहा कि मानवता के खिलाफ अपराधों की सज़ा को कानूनी रूप से बाध्यकारी किया जाना चाहिये।
मानव व्यक्ति की गरिमा
महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्या ने कहा, जैसा कि पहले कहा गया है, परमधर्मपीठ मौजूदा प्रथागत कानून के आधार पर, प्रत्येक मानव व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखने की दृष्टि से, मानवता के खिलाफ अपराधों की रोकथाम और सज़ा पर एक सार्वभौमिक, बहुपक्षीय, कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन के निष्कर्ष का समर्थन करती है, और अपराधियों के लिए दंडमुक्ति को समाप्त करने का आह्वान करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आग्रह करती है।
प्रथागत मानदण्डों का पालन
महाधर्माध्यक्ष ने इस तथ्य पर बल दिया कि सार्वभौमिक अनुपालन प्राप्त करने के महत्व की दृष्टि से, यह आवश्यक है कि नए उपकरण को सर्वसम्मति से अपनाया जाए। विशेष रूप से, अपराधों की परिभाषा के क्षेत्र में, बातचीत को कुछ नया करने की कोशिश किए बिना, मौजूदा प्रथागत मानदंडों का ईमानदारी से पालन किया जाये। साथ ही, भविष्य की कोई भी बातचीत को न कि केवल एक सदस्य राष्ट्र या देश के लिए बल्कि सभी राष्ट्रों के लिए खुला रखा जाये।