भगदड़ में मरे लोगों के प्रति कलीसिया की संदेवना

हिंदु धार्मिक सभा में हुए भगदड़ में मौत के शिकार हुए लोगों के प्रति काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने संवेदना व्यक्त की।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने 2 जुलाई को नई दिल्ली के दक्षिण-पूर्व, मुगलगढ़ी गांव में एक हिंदू धार्मिक सभा में हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत पर गहरा दुः ख व्यक्त किया है।

भारतीय धर्माध्यक्षों ने प्रार्थना सभा में हुई भगदड़ को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना बतलाते हुए मौत के शिकार हुए लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा, "हम इस भगदड़ में मारे गये लोगों की आत्माओं के लिए शांति और घायलों की शीघ्र चंगाई के लिए प्रार्थना करते हैं।”  

हाथरस के सत्संग की त्रासदी के बारे में पुलिस ने अपने रिपोर्ट में कहा कि वहाँ करीबन 250,000 लोग लोकप्रिय उपदेशक भोले बाबा के प्रवचन सुनने को जमा हुए थे, जबकि 80,000 लोगों को इसमें भाग लेने की अनुमति दी गई थी।

समाचार खबरों के अनुसार घटना उस समय घटी जब प्रवचन खत्म होने पर भक्त भोले बाबा के पैरों की धुल जमा करने हेतु भक्त दौड़ पड़े। कार्यक्रम में भाग लेने वालों में से कुछ लोगों ने आंखों देखा हाल प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस भगदड़ में कुछ लोग जमीन पर गिर गये और लोगों के द्वारा कुचले गये।

शीला मौर्य, पुलिस अधिकारी जो सुरक्षा हेतु घटना स्थल पर मौजूद थे पूरी घटना के बारे में कहा कि प्रवचन के उपरांत बाबा और उनके दल के सदस्यों को निकलने हेतु रास्ता दिया गया। इसी क्रम में बाबा के पैरों की धूल जमा करने हेतु कुछ लोग दौड़ पड़े जिसके कारण भगदड़ शुरू हो गई। “हर कोई एक साथ निकलने की घुन में थे, जिस में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। निकासी मार्ग छोटा होने के कारण लोग में धकम-धुक्की शुरू हुई और वे एक दूसरे के ऊपर गिरे और गिरे चले गये।”

उत्तर प्रदेश ने मुख्य मंत्री अदित्यनाथ योगी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी की संज्ञा दी, “ऐसी घटनाएं केवल साधारण दुर्घटनाएं मात्र नहीं हैं।” इस घटना के कारणों की पुष्टि करते हुए कहा गया कि श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था में बाबा को स्पर्श करने की कोशिश की और वे भागदौड़ के शिकार हो गये।

समाचार सूत्रों के मुताबिक इस घटना में करीबन 121 लोगों के मारे जाने की खबर है जिसमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। वहीं असंख्य लोगों के घायल होने की खबर है जिन्हें निकटवर्ती आस्पतलों में दाखिल कराया गया है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस घटना पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए मृत परिवारों के प्रति सांत्वना के भाव व्यक्त करते हुए उन्हें आर्थिक सहायता की घोषण की है। वहीं राष्ट्रपति दौपद्री मूर्मू ने इस पूरी घटना को “हृदयविदारक त्रासदी” कहा है।

देश की इस घटना ने धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान सुरक्षा के नियम और संचालन व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किये हैं जिसके कारण हाल के सालों में और भी कई तरह की घटनाएं हुई हैं। विदित हो की धार्मिक आयोजनों के दौरान विगत सालों में और भी कई इस तरह की घटनाएं हुई हैं जिसमें सौकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं के मारे जाने की खबर है।