बुजुर्गों बच्चों की पोप से मुलाकात पर महाधर्मध्यक्ष पालिया
वाटिकन स्थित जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष विन्चेन्सो पालिया ने शनिवार 27 अप्रैल के लिये निर्धारित इटली के बुजुर्गों और बच्चों की पोप फ्रांसिस के साथ मुलाकात पर कहा कि परिवार वह सुरक्षित स्थल है जो हमारे समाज को सुरक्षा और देखभाल का आश्वासन दे सकता है।
पोप फ्राँसिस से हज़ारों बुजुर्गों और बच्चों की मुलाकात की पूर्वसन्ध्या महाधर्माध्यक्ष ने याद किया कि कोविद महामारी के प्रकोप के दौरान मरनेवालों में दो तिहाई लोग वयोवृद्ध लोग थे। इन लोगों की मृत्यु केवल इसलिये हो गई थी क्योंकि ये अपने परिजनों के संग नहीं थे। उन्होंने कहा कि आँकड़े स्पष्टतया दर्शाते हैं कि जो वृद्ध लोग वृद्धाश्रम आदि में थे वे इस महामारी के कारण मौत के शिकार बने जबकि जो लोग परिवारों के संग थे वे सुरक्षित बच पाये।
इटली की छः करोड़ की कुल आबादी में 1.4 करोड़ वयोवृद्ध लोग हैं, जबकि जन्मदर में नित्य गिरावट आती जा रही है। इस सन्दर्भ में वृद्धावस्था पर चिन्तन करते हुए महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा कि ख़ूबसूरत बात यह है कि जिस समय को गिरावट का समय माना जा रहा है उसे स्नेह और गहराई के एक महान समय में परिणित किया जा सकता है, तथापि यह तब हो सकता है जब बुजुर्ग और पोते-पोतियाँ एक साथ हों।
बुजुर्गों एवं बच्चों की एक साथ सन्त पापा के साथ मुलाकात का उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा कि इसीलिये सन्त पापा फ्राँसिस ने बुजुर्गों एवं बच्चों के लिये एक विशिष्ट दिन तय किया है। उन्होंने बताया कि 27 अप्रैल को बुजुर्गों के संग-संग हज़ारों बच्चे भी सन्त पापा का आशीर्वाद लेने वाटिकन के पौल षष्टम भवन में एकत्र होंगे।
"परिवर्तन" शब्द की ताकत
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि सन्त पापा फ्रांसिस इस बात को भली प्रकार समझ गये हैं कि वयोवृद्धों को फेंक देनेवाली कोई वस्तु नहीं माना जा सकता है, इसीलिये उन्होंने बुजुर्गों एवं बच्चों को एकसाथ आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा, "1.4 करोड़ बुज़ुर्गों को हम बेकार नहीं मान सकते हैं और पूरी नई पीढ़ी को "दुखद जुनून" के युवा नहीं बना सकते।" इसके विपरीत, उन्होंने कहा "बुजुर्ग और बच्चे समाज के दो विशाल संसाधन हैं जिनका अभी भी बहुत कम उपयोग हुआ है।"
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि व्यक्तिवाद की ताकत मज़बूत है और बुजुर्ग लोग युवाओं की मदद कर सकते हैं कि वे सिर्फ अपने लिए थोड़ी सी खुशी की पुकार से अभिभूत न होवें, बल्कि जीवन की समृद्धि और उसकी गहराई को समझ सकें।
उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और युवा लोग "परिवर्तन" शब्द की ताकत की पुनर्खोज कर सकते हैं। वे एकान्त "मैं" के समय में "हम" की ताकत को फिर से खोज सकते हैं। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि युवा यह जानते हैं कि आज दुनिया जैसी है, वह ठीक नहीं है, लेकिन उसे बदलने का जोखिम नहीं उठाते, वे पुनर्निर्माण की लड़ाई जीतने वाली पीढ़ी के बिना अनुरूपता और सामान्यीकरण के प्रलोभन में पड़ जाते हैं।
महाधर्माध्यक्ष पालिया ने आशा व्यक्त की 27 अप्रैल को बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चों की सन्त पापा फ्राँसिस से मुलाकात नवीन क्षितिजों को खोल सकेगी तथा बच्चों और युवाओं में बुजुर्गों के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना को जागृत कर सकेगी।