पोप लियो 14वें : ‘ख्रीस्त हमारे मुक्तिदाता और हम उनमें एक परिवार'

पोप लियो 14वें ने परमधर्मपीठीय मिशन सोसाइटीज के महत्वपूर्ण वैश्विक प्रयासों की प्रशंसा की है, और आश्चर्य व्यक्त किया है कि वे "प्रभावी रूप से उन सभी बपतिस्मा प्राप्त और सहायक कलीसियाई समुदायों के बीच मिशनरी जिम्मेदारी को जागृत करने के 'प्राथमिक साधन' हैं, जहाँ कलीसिया युवा है।

पोप लियो 14वें  ने बृहस्पतिवार को परमधर्मपीठीय मिशन सोसाइटीज की आम सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की और उन्हें प्रोत्साहन देते हुए कहा, "आज, पेंतेकोस्त के बाद के दिनों की तरह, कलीसिया, पवित्र आत्मा के नेतृत्व में, विश्वास, खुशी और साहस के साथ इतिहास के माध्यम से अपनी यात्रा जारी रखती है क्योंकि वह येसु के नाम और सुसमाचार के उद्धारक सत्य में विश्वास से पैदा होनेवाली मुक्ति की घोषणा करती है। परमधर्मपीठीय मिशन सोसाइटीज इस महान प्रयास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।"

उन्होंने उनसे आग्रह करते हुए कहा "मिशनरी गठन के समन्वयन तथा स्थानीय स्तर पर मिशनरी भावना को प्रेरित करने के अपने कार्य में, मैं राष्ट्रीय निदेशकों से आग्रह करूंगा कि वे धर्मप्रांतों, पल्लियों तथा समुदायों का दौरा करने को प्राथमिकता दें, तथा इस प्रकार विश्वासियों को मिशन के मौलिक महत्व को पहचानने में सहायता करें और विश्व के उन क्षेत्रों में हमारे भाइयों और बहनों को सहायता प्रदान करें जहां कलीसिया युवा है एवं बढ़ रही है।"

अंग्रेजी में बोलते हुए, संत पापा ने एक मिशनरी के रूप में अपने समय को याद किया, तथा दुनिया में कलीसिया के लिए उनके सार्थक काम के लिए 120 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करनेवालों की सराहना की।

'मैं व्यक्तिगत रूप से इसकी पुष्टि कर सकता हूँ'
उन्होंने कहा, "मैं आपकी समर्पित सेवा के लिए आपके और आपके सहयोगियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं, जो कलीसिया के सुसमाचार प्रचार के मिशन के लिए अपरिहार्य है, जैसा कि मैं व्यक्तिगत रूप से पेरू में अपने वर्षों के प्रेरितिक कार्यों से प्रमाणित कर सकता हूँ।"

उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठीय मिशन सोसाइटीज प्रभावी रूप से सभी बपतिस्मा प्राप्त लोगों के बीच मिशनरी जिम्मेदारी को जागृत करने और उन क्षेत्रों में कलीसियाई समुदायों का समर्थन करने का 'प्राथमिक साधन' है, जहाँ कलीसिया अभी युवा है।"

इस संदर्भ में, संत पापा ने विश्वास के प्रचार-प्रसार के लिए गठित सोसाइटी की ओर ध्यान आकर्षित किया, "जो प्रेरितिक और धर्मशिक्षा कार्यक्रमों, नये गिरजाघरों के निर्माण, स्वास्थ्य सेवा और मिशन क्षेत्रों में शैक्षिक आवश्यकताओं के लिए सहायता प्रदान करती है" और पवित्र बालकपन की सोसाइटी, जो बच्चों की बुनियादी आवश्यकताओं और सुरक्षा की देखभाल के अलावा, उनके लिए ख्रीस्तीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों को समर्थन प्रदान करती है।

इसी तरह, उन्होंने प्रेरित संत पेत्रुस सोसाइटी का हवाला देते हुए कहा कि यह "मिशनरीबुलाहट, पुरोहिताई और धर्मसंघ को विकसित करने में मदद करती है" और मिशनरी संघ "कलीसिया के मिशनरी कार्य के लिए पुरोहितों, धर्मसंघी पुरुषों और महिलाओं तथा ईश्वर के सभी लोगों को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है।"

हमारी दुनिया को ईश्वर के प्रेम का सुसमाचार संदेश सुनने की आवश्यकता है। पोप लियो ने रेखांकित किया कि ईश्वर के लोगों के बीच प्रेरितिक उत्साह को बढ़ावा देना "द्वितीय वाटिकन महासभा द्वारा परिकल्पित कलीसिया के नवीनीकरण का एक अनिवार्य पहलू बना हुआ है, और हमारे अपने समय में यह और भी अधिक जरूरी है।"

उन्होंने जोर देकर कहा, "युद्ध, हिंसा और अन्याय से घायल हमारी दुनिया को ईश्वर के प्रेम का सुसमाचार संदेश सुनने और मसीह की कृपा की सामंजस्यकारी शक्ति का अनुभव करने की आवश्यकता है।"

इस अर्थ में, संत पापा ने पुनः पुष्टि की कि कलीसिया को तेजी से "एक मिशनरी कलीसिया बनने के लिए कहा जा रहा है जो दुनिया के लिए अपनी बाहें खोलती है, वचन की घोषणा करती है ... और मानवता के लिए सद्भाव का एक खमीर बन जाती है।"

सभी लोगों तक मसीह को पहुँचाने की तत्काल आवश्यकता
इस बात को ध्यान में रखते हुए, पोप लियो 14वें ने कहा, "हमें सभी लोगों, वास्तव में सभी प्राणियों तक, सच्ची और स्थायी शांति का सुसमाचारी प्रतिज्ञा पहुँचाना है, जो कि पोप फ्रांसिस के शब्दों में, "प्रभु ने अपने क्रूस के रक्त के माध्यम से शांति स्थापित करके दुनिया और इसके निरंतर संघर्ष पर विजय प्राप्त की है।"

इसलिए, उन्होंने सुझाव दिया, "हम सभी बपतिस्मा प्राप्त लोगों में मिशनरी शिष्यत्व की भावना को बढ़ावा देने और सभी लोगों तक मसीह को पहुँचाने की आवश्यकता की भावना को बढ़ावा देने के महत्व को देखें।" पोप ने अक्टूबर में विश्व मिशन रविवार को बढ़ावा देने में उनके और उनके सहयोगियों के प्रयासों के लिए अपना आभार व्यक्त किया, "जो सुसमाचार प्रचार विभाग की देखरेख में कलीसियाओं की चिंता करने में मेरे लिए बहुत मददगार है।"

अंत में, पोप लियो ने उन्हें याद दिलाते हुए कहा कि पवित्र वर्ष हम सभी को "आशा के तीर्थयात्री" बनने की चुनौती देता है, और इस प्रकार, उन्हें, उनके लाभार्थियों और "उनके महत्वपूर्ण कार्य" को धन्य माता को सौंपने से पहले, उन्हें "सभी लोगों के बीच आशा के मिशनरी" बनने के लिए प्रोत्साहित किया।