पाकिस्तान के धर्मगुरूओं ने लाहौर के वायु प्रदूषण पर तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया

पाकिस्तान में विभिन्न धर्मों के समुदायों ने शहर की गंभीर वायु प्रदूषण समस्या से निपटने के लिए हाथ मिलाया है क्योंकि यह दुनियाभर में सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गया है।

पंजाब की राजधानी में वायु की गुणवत्ता जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू एच ओ) की सीमा को लगातार पार कर रही है, स्थानीय अधिकारियों ने प्राथमिक विद्यालयों और सार्वजनिक कार्यालयों को बंद कर दिया है और मोटर वाहनों पर प्रतिबंध हेतु विचार कर रहा है।

चिकित्सकों ने खराब वायु गुणवत्ता से जुड़ी श्वास संबंधी बीमारियों, फेफड़े की बीमारियों और एलर्जी में वृद्धि की रिपोर्ट की है।

लाहौर, जिसकी आबादी 14 मिलियन है और जो पाकिस्तान का केंद्र है, अब “दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर” होने का चिंताजनक लेबल लेकर आया है।

वाटिकन की फिदेस न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट में विश्व मानव विकास आयोग के प्रमुख क्रिश्चियन जेम्स रहमत ने कहा कि इसके जवाब में, मुस्लिम, ईसाई, सिख और हिंदू समुदायों के नेताओं ने “समस्या को हल करने के लिए अंतर-धार्मिक सहयोग पहल की है, जो सबसे बड़ी पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन गई है और गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रही है।”

श्री रहमत ने बताया कि यह पहल अल्पकालिक समाधानों से आगे बढ़कर “जनता के बीच पर्यावरण संरक्षण की दीर्घकालिक आदतें” बनाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा कि धर्मगुरू अपने प्रभाव का इस्तेमाल “जागरूकता बढ़ाने, विश्वासियों को शिक्षित करने और टिकाऊ प्रथाओं में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने” के लिए कर रहे हैं।

उनकी आस्था परंपराओं के अनुरूप संदेश पर्यावरण की देखभाल को एक जिम्मेदारी के रूप में प्रस्तुत करते हैं – ख्रीस्तीय पोप फ्रांसिस के विश्वपत्र लौदातो सी का संदर्भ देते हैं, सिख प्रतिनिधि "सभी के लिए कल्याण" की वकालत करते हैं, और मुस्लिम मौलवी इस बात पर जोर देते हैं कि "सृष्टि और जीवित प्राणियों को 'उपभोग की वस्तु' के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।" सहयोग पहल ने शहर भर में वृक्षारोपण अभियान सहित कई पहल की है, और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार, कार्यशालाएँ और सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

श्री रहमत ने कहा, "लोगों की जीवनशैली में बदलाव को बढ़ावा दिया जा रहा है, जैसे सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करना, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने, कार शेयरिंग आदि के द्वारा धार्मिक नेता लोगों को पर्यावरण के अनुकूल आदतें और अभ्यास अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं।" सामुदायिक कार्रवाई के अलावा, धार्मिक समूह सरकारी उपायों के लिए दबाव डाल रहे हैं। वे वाहन उत्सर्जन और औद्योगिक प्रदूषकों पर सख्त नियमों का आग्रह कर रहे हैं।

श्री रहमत ने कहा, "हमें उम्मीद है कि धार्मिक प्रतिनिधियों के रूप में हम राजनेताओं को शहरी पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए संरचनात्मक रूप से धुंध की समस्या को हल करनेवाले उपाय के लिए राजी कर सकते हैं।" शिक्षा गठबंधन की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। श्री रहमत ने कहा, "धार्मिक समुदाय इन मुद्दों को युवा लोगों के बीच फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों को, विशेष रूप से सभी स्तरों के स्कूलों में, उनके संबंधित धार्मिक परंपराओं में निहित पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों को सिखाया जाता है।"