छेछाड़ी के ख्रीस्तीयों का तुसगो पर्व

छेछाड़ी के विश्वासियों के लिए 2 अक्टूबर अत्यन्त खुशी और उत्सव का दिन रहा, जब महुआडाड़ के संत जोसेफ गिरजाघर में ईश्वरीय सृष्टि की जुबली और तुसगो पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर भारत और नेपाल के लिए वाटिकन के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष लेओपोल्दो जिरेली की उपस्थिति ने विश्वासियों को उत्साह से भर दिया।

झारखंड के लातेहार जिला स्थित संत जोसेफ चर्च महुआडाड़ में 2 अक्टूबर को तुसगो पर्व बड़े धूमधाम से मनाते हुए, विश्वासियों ने ईश्वर को नये अनाज के लिए अपनी कृतज्ञता अर्पित की।

तुगसो पर्व नये अनाज के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने और अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर होता है। यह पुराने व्यवस्था में वर्णित यहूदियों के पर्व से मेल खाता है। यहूदी लोग ईश्वर को फसल के प्रथम फल चढ़ाया करते थे। इसके द्वारा वे स्वीकार करते थे कि सब कुछ ईश्वर का है। पवित्र मिस्सा के दौरान विश्वासियों को याद दिलाया गया, “हम भी याद रखें कि जो कुछ हमारे पास है वह ईश्वर का दिया हुआ है और हमें इसका लेखा देना पड़ेगा।”

तूसगो के इस पर्व को इस वर्ष इसलिए भी अधिक धूमधाम से मनाया गया क्योंकि इस वर्ष पोप फ्राँसिस के विश्वपत्र लौदातो सी की 10वीं वर्षगाँठ है जो सृष्टि की देखभाल पर जोर देता है। इसकी याद करते हुए पोप लियो 14वें ने भी कलीसिया को याद दिलाया है कि "ईश्वर हमसे पूछेंगे कि क्या हमने उनके द्वारा रची गई सृष्टि की देखभाल और उसका सही उपयोग किया है, और क्या हमने अपने भाइयों और बहनों का ध्यान रखा है। तब हमारा उत्तर क्या होगा?”

डालटेनगंज के धर्माध्यक्ष बिशप थेओदोर मस्करेनहस ने पवित्र पवित्र मिस्सा के दौरान उपदेश में कहा, “तूसगो पर्व बाईबिल से आता है। यह न केवल हमारी संस्कृति है लेकिन हमारी धार्मिक रीति भी है। विधि विवरण ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए उन्होंने बतलाया कि किस तरह प्रभु ने इस्राएलियों को अपने फसल का प्रथम फल ईश्वर को धन्यवाद स्वरूप चढ़ाने का आदेश दिया।” बिशप ने कहा कि हम तूसगो में यही करते हैं। हम कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन अगर विश्वास न हो तो हमें अच्छी फसल नहीं मिल सकती। उन्होंने दूसरे पाठ का हवाला देते हुए बतलाया कि प्रभु हमें प्रचुर फल देते हैं जिसके लिए धन्यवाद देने आज हम यहाँ इकठे हुए हैं।”

धन्यवादी ख्रीस्तयाग समारोह में छेछाड़ी के विश्वासियों ने भारी संख्या में भाग लिया। वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष लेओपोल्दो जिरेली के साथ-साथ, राँची के ससम्मान सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो एस. जे., डालटेनगंज के धर्माध्यक्ष थेओदोर मास्करेनहस एस.एफ.एक्स, दुमका धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष जुलयुस मरांडी, जशपुर धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष इम्मानुएल केरकेट्टा, गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल एक्का, पूर्णिया धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष फ्राँसिस तिरकी, दुमका के सहायक धर्माध्यक्ष सोनातन किसकू, दुमका के विकर जेनेरल पीयुस मरांडी, डालटेनगंज धर्मप्रांत के विकर जेनेरल संजय गिद्ध, पुरोहितगण, धर्मबहनें एवं कई प्रशासनिक पदाधिकारी, राजनीतिक नेता और अधिकारी भी उपस्थित हुए।

तूसगो पर्व को "नवाखानी" के रूप में भी जाना जाता है। जिसको नई फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है और इसके द्वारा नई फसल के लिए ईश्वर और पुरखों को धन्यवाद दी जाती है।