गोवा की परियोजना को मिला जोखिमग्रस्त युवाओं के साथ काम करने का पुरस्कार

आशा (HOPE) परियोजना को गोवा में जोखिमग्रस्त युवाओं, दुर्व्यवहार से पीड़ित लोगों तथा यौन दुराचार के शिकार व्यक्तियों के साथ काम करने के लिए 'भाईचारे की अर्थव्यवस्था हेतु असीसी के संत फ्राँसिस और कार्लो अकुतिस' पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

रविवार, 25 मई को, "भाईचारे की अर्थव्यवस्था हेतु असीसी के संत फ्राँसिस और कार्लो अकुतिस" अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार 2024-2025, असीसी में संत मरिया मेजर गिरजाघर में "एचओपीई"(HOPE) परियोजना को प्रदान किया गया।

एच.ओ.पी.ई.
परियोजना “होप” का अर्थ है “चंगाई, अवसर, सुरक्षा और सशक्तिकरण” और इसका केंद्र गोवा में है। यह स्थानीय कारितास की पहल से विकसित हुआ है, जिसने “चाइल्डलाइन” नामक हेल्पलाइन कार्यक्रम का नेतृत्व किया था। यह कार्यक्रम जोखिम में पड़े बच्चों, विशेषकर सबसे गरीब और सबसे उपेक्षित गांवों के बच्चों के बचाव और पुनर्वास के लिए समर्पित है।

2023 में, गोवा सरकार ने कार्यक्रम का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। जब गंभीर विसंगतियाँ सामने आईं, तो सात युवा लोगों ने - जो पहले से ही कारितास गोवा के बधिर-अंधे व्यक्तियों के लिए काम कर रहे थे - इन मुद्दों का सामना करनेवाली एक परियोजना प्रस्तुत करने के लिए मिलकर काम किया।

और इसके साथ ही, आशा परियोजना का जन्म हुआ। इसका लक्ष्य जोखिम में पड़े युवाओं (जिसमें 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों) और दुर्व्यवहार के शिकार या यौन दुराचार से पीड़ित लोगों का समर्थन करना, जिनमें से कुछ बधिर-अंधे हैं। उदाहरण के लिए, एक कॉल सेंटर है जहाँ युवा मदद और समर्थन के लिए फोन कर सकते हैं।

यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल, हस्तनिर्मित उत्पाद बनाने के लिए समर्पित विशेष प्रशिक्षण भी प्रदान करती है, जैसे कि टॉयलेट पेपर रोल, साबुन, हस्तनिर्मित वस्तुएँ जैवनिम्नीकरण डिब्बाबंदी, जिसमें मांग के अनुसार डिज़ाइन किए गए पर्यावरण के अनुकूल आतिथ्य किट शामिल हैं।

ये उत्पाद पहले से ही सफल रहे हैं, क्योंकि प्रसिद्ध होटलों में से एक, ताज होटल, प्रोजेक्ट होप के उत्पादों को बेचने में मदद करता है।

चार अक्षरों से ज्यादा शब्द
गोवा महाधर्मप्रांत के फादर सैनफोर्ड रोड्रिग्स ने असीसी में पुरस्कार प्राप्त किया और €50,000 का पुरस्कार से लाभान्वित होनेवाले लगभग 1,000 युवाओं को धन्यवाद दिया। विजेताओं को एक स्कार्फ़ भी मिला जिस पर भौतिक दुनिया को त्यागने के संकेत के रूप में संत फ्राँसिस की अपने कपड़े उतारने की तस्वीर अंकित है।

फादर रोड्रिग्स ने बताया कि "आशा" शब्द कैसे एक शब्द मात्र से बढ़कर है। उन्होंने बताया, "यह एक ऐसा आंदोलन है जो भाईचारे की नई अर्थव्यवस्था के ज़रिए कमजोर लोगों को उम्मीद देता है, जिसमें व्यापार जगत को शामिल करके एक ऐसी पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन किया जाता है जो गरिमा और स्वतंत्रता का भविष्य बनाता है।"

फादर ने जोर देकर कहा कि उद्यमिता के लिए आशा परियोजना का प्रशिक्षण "यह सुनिश्चित करता है कि युवा केवल इसलिए दुर्व्यवहार वाले वातावरण में न रहें क्योंकि उनके पास अपने दुर्व्यवहार करनेवालों या उत्पीड़कों से स्वतंत्र रूप से जीने के साधन नहीं हैं।"

इसके बाद क्या होगा?
फादर रोड्रिग्स ने बतलाया कि यह पुरस्कार भाईचारे और "परिवर्तन-निर्माताओं" का एक अंतरराष्ट्रीय समुदाय बनाने में मदद करेगा, जिसमें एक व्हाट्सएप ग्रूप होगा जहाँ प्रशिक्षण और प्रबंधन विकास के बारे में जानकारी साझा की जाएगी।

उन्होंने बताया, "हमें यह पुरस्कार इसे रखने के लिए नहीं, बल्कि इसके संरक्षक बनने के लिए मिला है।" उन्होंने आगे कहा कि परियोजना की इच्छा है कि "इस मिशन के माध्यम से चंगाई का हर कार्य, हर जीवन का उत्थान और भाईचारे का हर प्रयास" पूरी दुनिया में आशा फैलाएगा।

हमारे क्षेत्र के लिए एक उम्मीद
गोवा में क्षेत्र के अध्यक्ष ने बताया कि यह पुरस्कार प्राप्त करना गोवा के लिए आशा का प्रतीक है, क्योंकि परियोजना "सामाजिक नवाचार की कहानी बतलाता है जो गरीबी की निराशा पर नहीं रुकती बल्कि एक अनसुलझी समस्या को सतत् और समग्र विकास, कार्य और वृद्धि के अवसर में बदलने की उम्मीद से देखती है।"

प्रोजेक्ट को पुरस्कार मिलने पर अन्य लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। गोवा और दमन के महाधर्माध्यक्ष और ईस्ट इंडीज के सातवें प्राधिधर्माध्यक्ष कार्डिनल फिलिप नेरी अंतोनियो सेबास्तियानो दी रोसारियो फेराओ ने पुरस्कार समारोह के अवसर पर एक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने इस समाचार पर अपनी खुशी व्यक्त की।

असीसी के धर्माध्यक्ष, महाधर्माध्यक्ष दोमेनिको सोरेंतिनो ने पुरस्कार के महत्व को समझाते हुए इस बात पर जोर दिया कि "उदारता तब अधिक महान, अधिक कुशल और सच्चा होती है जब यह राजनीतिक उदारता बन जाती है," उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार इस बात का उदाहरण प्रस्तुत करता है कि ऐसा कैसे किया जाए।