खलदेई धर्माध्यक्ष पवित्र भूमि में दो-राष्ट्र समाधान पर जोर देते हैं

बगदाद में अपनी वार्षिक धर्मसभा के अंत में इराकी धर्माध्यक्षों ने गज़ा और पूरे प्रांत में युद्ध के प्रभाव के लिए गहरी चिंता व्यक्त की एवं पुनः पुष्ट किया है कि स्थायी शांति के लिए दो- राष्ट्र समाधान ही एक मात्र रास्ता है।

चूंकि गज़ा में युद्ध के और अधिक फैलने का खतरा है, तथा यमन में हूती विद्रोही और इस्रएली रक्षा बल (आईडीएफ) मिसाइल हमलों में उलझे हुए हैं; इराक के खलदेई धर्माध्यक्ष दो-राज्य समाधान पर जोर दे रहे हैं, जिसमें इस्राएल और फिलिस्तीन दोनों "शांति और सुरक्षा" के साथ रह सकें।

बगदाद के प्राधिधर्माध्यक्ष कार्डिनल राफैल साको की अध्यक्षता में हाल ही में आयोजित वार्षिक धर्मसभा के समापन पर जारी एक बयान में, इराकी धर्माध्यक्षों ने मध्य पूर्व में, “विशेष रूप से पवित्र भूमि” में चल रहे संघर्षों के लिए गहरी चिंता व्यक्त की।

“सभी प्रकार की हिंसा” की निंदा करते हुए, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से शांति बनाए रखने और इस विनाशकारी युद्ध को तत्काल समाप्त करने के लिए सक्रिय रूप से शामिल होने का आग्रह किया।
दो पड़ोसी राष्ट्र शांति, सुरक्षा एवं आपसी विश्वास के साथ जी सकें
खलदेई धर्माध्यक्षों के अनुसार, दशकों से चले आ रहे इस्राएल-फिलिस्तीनी संघर्ष का एकमात्र व्यावहारिक समाधान दो पड़ोसी राज्यों का निर्माण करना है जो “शांति, सुरक्षा, स्थिरता और आपसी विश्वास” के साथ रहें।

दो-राष्ट्र समाधान के लिए कई लोगों ने जोर दिया है जिनमें वाटिकन भी शामिल है लेकिन इस्राएली सरकार ने इसका जोरदार विरोध किया है, खासकर, 7 अक्टूबर को हमास के आतंकी हमले के बाद।  

बयान में इस क्षेत्र में रहनेवाले ख्रीस्तीय समुदायों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, इराक के बारे में विशेष रूप से, खलदेई में। धर्माध्यक्षों ने "इस भूमि में निहित" ईसाइयों की "पीड़ा" की निंदा की, जिन्होंने कहा है कि "पिछले दो दशकों में" अपने अधिकारों से वंचित होने, हाशिए पर जाने, बहिष्कार और उनकी संपत्तियों एवं सामानों की अवैध जब्ती से बहुत पीड़ित हुए हैं।

उन्होंने याद दिलाया कि इस स्थिति और चल रहे दुर्व्यवहार ने उनमें से कई को बेहतर जीवन की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर किया है।
अतः धर्माध्यक्षों ने इराक की सरकार से अपील की है कि वह “विश्वास निर्माण, राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने, और देश के विकास में उनके कौशल से लाभ उठाने के द्वारा “ख्रीस्तीयों का सम्मान करने में निष्पक्ष हो।”

इराक के सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार
धर्मसभा ने इराकी अधिकारियों से पुनः अपील की है कि वह यह सुनिश्चित करे कि इराक के अन्य नागरिकों की तरह ख्रीस्तीयों को भी राजनीतिक एवं नागरिक अधिकार की भागीदारी मिले। बयान में कहा गया है, "हम मांग करते हैं कि समान प्रतिनिधित्व और रोजगार के साथ नागरिकों के रूप में उनके अधिकारों का पूरा सम्मान किया जाए, और कुछ लोगों के द्वारा उनकी संपत्तियों को जब्त करने से इनकार करते हैं, जो अपने विशेष अधिकारों का दावा करते हैं।"
 खलदेई धर्माध्यक्षों ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री मुहम्मद शिया अल-सुदानी के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने हाल ही में "साहसिक" आदेश जारी किया था, जिसके तहत कार्डिनल साको को खलदेई काथलिक कलीसिया के प्रमुख के रूप में सरकार की मान्यता बहाल की गई थी, तथा उन्हें कलीसिया के बंदोबस्त की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। राष्ट्रपति अब्दुल लतीफ राशिद द्वारा इस दर्जे को मान्यता देनेवाले आदेश 147 को रद्द करने के बाद से प्राधिधर्माध्यक्ष ने लगभग एक साल तक बगदाद लौटने से इनकार कर दिया था।

सांप्रदायिक हितों को नहीं, इराक के लोगों को प्राथमिकता
धर्मसभा ने आशा व्यक्त की कि सरकार, आधिकारिक और राजनीतिक दलों के साथ मिलकर, “कानून और न्याय को लागू करके शांति और स्थिरता के निर्माण में ठोस कदम उठाएगी; राष्ट्रीय एकता को बहाल करेगी; नागरिकता की अवधारणा को मजबूत करेगी; और सभी नागरिकों के लिए एक सभ्य जीवन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करेगी”, साथ ही “किसी भी ‘सीमित’ सांप्रदायिक हितों के बजाय इराकी लोगों के हितों को प्राथमिकता देगी।”

क्षेत्र में ख्रीस्तीयों के भविष्य के बारे में, खदलेई धर्माध्यक्षों ने आपस में एकता और एकजुटता के लिए प्राधिधर्माध्यक्ष साको की अपील को दोहराया: "मुख्य बात जो हमें एकजुट करनी चाहिए वह है हमारा विश्वास और हमारी भूमि", उन्होंने कहा।

मध्यपूर्व में ख्रीस्तीय एकता एवं एकजुटता
पड़ोसी देशों के धर्माध्यक्षों के प्रति अपनी भ्रातृत्वपूर्ण सहानुभूति व्यक्त करते हुए, धर्माध्यक्षों ने कहा कि कलीसिया को भविष्य के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है, साथ ही साथ, अपने देश में ख्रीस्तीयों को स्थिर करने, उनकी पहचान को संरक्षित करने तथा समाज में उनकी भूमिका और उपस्थिति को बढ़ाने के लिए साहसी व्यावहारिक कदम उठाने की भी आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, "एकता हमारी ताकत और मुक्ति है।" बयान के अंत में कहा गया, "घावों के बावजूद, हम अपने देशों और अपने नागरिकों से प्यार करना जारी रखते हैं, और हम एक निष्पक्ष और सभ्य समाज के भीतर सह-अस्तित्व की संस्कृति को फैलाने, दूसरों के मतभेदों का सम्मान करने और उम्मीद को मजबूत करने में उनके साथ सहयोग करना चाहते हैं।"