कोंगो में खान दुर्घटना में दर्जनों मारे गये
दक्षिण पूर्वी कोंगो में एक तांबे और कोबाल्ट खदान में अत्यधिक भीड़ के कारण एक पुल के ढह जाने से कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई। खनिज-समृद्ध इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वित्तीय हितों ने लंबे समय से कलह और संघर्ष को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार, विस्थापन और एक गंभीर मानवीय संकट पैदा हुआ है।
कोंगो के लुआलाबा प्रांत के गृहमंत्री के अनुसार, भारी बारिश और भूस्खलन के खतरे के कारण कलांडो खदान में प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध के बावजूद, अवैध उत्खननकर्ता शनिवार को खदान में जबरन घुस गए।
उसी समय, कथित तौर पर प्रतिबंध का पालन करा रहे सैनिकों की गोलीबारी से उत्खननकर्ताओं में दहशत फैल गई और वे पुल की ओर दौड़ पड़े। भगदड़ के कारण पुल का ढाँचा ढह गया, जिसके परिणामस्वरूप खनिक एक-दूसरे के ऊपर गिर गए, जिससे दर्जनों लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
कांगो की कारीगरी और लघु-स्तरीय खनन सहायता एवं मार्गदर्शन सेवा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 40 लोगों की जान चली गई।
लंबे समय से चल रहा विवाद और विदेशी हित
खदान में सैनिकों की मौजूदगी का मुख्य कारण, लंबे समय से वाइल्डकैट खनिकों- जो खनन कार्यों को व्यवस्थित करने के लिए एक सहकारी संस्था है- और खदान के कानूनी संचालकों के बीच विवाद रही है।
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य दुनिया में कोबाल्ट का सबसे बड़ा उत्पादक है, एक ऐसा खनिज जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्टफोन और अन्य उत्पादों के लिए लिथियम-आयन बैटरी बनाने में किया जाता है। राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक अस्थिरता एवं उपनिवेशवाद की विरासत के कारण मध्य अफ्रीकी देश में 80% उत्पादन को नियंत्रित करनेवाली विदेशी कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा हुई है, जहाँ कई लोग विस्थापित हैं और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं।
बाल श्रम, असुरक्षित स्थिति और भ्रष्टाचार का आरोपों ने लम्बे समय से देश के कोबाल्ट खनन उद्योग को त्रस्त कर रखा है तथा सरकारी बलों और विभिन्न सशस्त्र समूहों, जिनमें रूवांडा समर्थित एम23 भी शामिल है, के बीच तनाव ने संघर्ष को और बढ़ा दिया है, जिससे पहले से ही गंभीर मानवीय संकट और भी बदतर हो गया है।