कलकत्ता की संत तेरेसा का पर्व रोमन कैलेंडर में 5 सितंबर को अंकित किया गया

दिव्य उपासना और संस्कारों के अनुष्ठान के लिए गठित परिषद ने कलकत्ता की संत तेरेसा को सामान्य रोमन कैलेंडर में शामिल करने का आदेश जारी किया है, साथ ही 5 सितंबर को उनके पर्व के लिए धर्मविधिक पाठ भी शामिल किए गए हैं।
कलकत्ता की मदर तेरेसा "आशा की एक किरण थीं, कद में छोटी लेकिन प्रेम में महान, समस्त मानव जीवन की रक्षा में विनम्र सेवा की गरिमा और विशेषाधिकार की साक्षी एवं उन सभी की जो गर्भ की गुप्त गहराई में भी त्याग दिए, वंचित किए और तिरस्कृत किए गए।"
दिव्य उपासना और संस्कारों के अनुष्ठान के लिए परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल आर्थर रोक ने मंगलवार को संत तेरेसा की प्रशंसा की।
कार्डिनल प्रीफेक्ट ने कलकत्ता की संत तेरेसा को सामान्य रोमन कैलेंडर में शामिल करने के आदेश के साथ एक टिप्पणी जारी की।
इस अध्यादेश के साथ, धर्मविधिक दस्तावेज (लैटिन में) भी थे, ताकि विश्वासियों को कलीसियाई प्रार्थना और पवित्र मिस्सा के उत्सव में मार्गदर्शन मिल सके।
उनका पर्व 5 सितम्बर को मनाया जाएगा, जो 1997 में उनकी मृत्यु का दिन था। अब इसे प्रतिवर्ष एक वैकल्पिक धर्मविधिक स्मृति के रूप में मनाया जाएगा।
मदर तेरेसा का जन्म स्कोप्जे में 26 अगस्त, 1910 को अंजेजे गोन्झे बोजाक्सिउ के रूप में हुआ था। उन्होंने 1937 में कलकत्ता, भारत में लोरेटो की एक धर्मबहन के रूप में व्रतधारण किया था। 1950 में, उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना करने के लिए लोरेटो धर्मसंघ को छोड़ दिया, जिसमें अब 130 देशों में करीब 6,000 से अधिक धर्मबहनें हैं जो सबसे अधिक ज़रूरतमंदों की सेवा करती हैं। मदर तेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, और पोप संत जॉन पॉल द्वितीय ने 19 अक्टूबर, 2003 को उन्हें धन्य घोषित किया था।
पोप फ्राँसिस ने 4 सितंबर, 2016 को करूणा की असाधारण जयंती के दौरान उन्हें संत घोषित किया।
‘आशा की साक्षी’
मंगलवार को जारी अपनी टिप्पणी में, कार्डिनल रोक ने कहा कि पोप फ्राँसिस ने धर्माध्यक्षों, धर्मसमाजियों और लोकधर्मियों के अनुरोध के जवाब में रोमन कैलेंडर में उन्हें शामिल किया।
उन्होंने कहा कि उनकी पवित्रता और आध्यात्मिकता, विश्वासियों को “जीवन में त्याग दिए गए लोगों के लिए आशा की एक उत्कृष्ट साक्षी” दिखाती है।
4 सितंबर, 2016 को संत तेरेसा के संत घोषित किए जाने के अवसर पर पोप फ्राँसिस ने उन्हें ईश्वरीय दया का माध्यम बताया, जो हमारे चारों ओर के अंधकार को दूर कर देती है।
संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा, "शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उनका मिशन, आज हमारे लिए सबसे गरीब लोगों के प्रति ईश्वर की निकटता का एक स्पष्ट साक्ष्य है।"
मंगलवार को जारी किए गए धर्मविधिक दस्तावेज पर विचार करते हुए कार्डिनल रोक ने कहा कि सामूहिक प्रार्थना गरीबों की जरूरतों में मसीह के क्रूस की उपस्थिति पर केंद्रित है।
वैकल्पिक स्मृति दिवस के ख्रीस्तयाग के लिए पहला पाठ इसायस के ग्रंथ से आता है और "ईश्वर को प्रसन्न करनेवाले उपवास" से संबंधित है।
उन्होंने आगे कहा कि सुसमाचार, छोटे बच्चों के लिए ईश्वर के राज्य के रहस्यों के रहस्योद्घाटन को रेखांकित करता है।
दैनिक कलीसियाई प्रार्थना में मदर तेरेसा द्वारा फादर जोसेफ न्यूनर को 1960 में लिखे गए पत्र का एक हिस्सा शामिल है, जो उन्होंने संत जॉन ऑफ द क्रॉस द्वारा "आत्मा की अंधेरी रात" कहे जानेवाले संघर्ष के बारे में लिखा था।
कार्डिनल रोक ने कहा कि "अपनी आत्मा को खोलते हुए, वे ईश्वर की अनुपस्थिति के अंधेरे को प्रकट करती है, जिसमें वे कई वर्ष बिताये, फिर भी ईश्वर को खुशी से समर्पित किया, ताकि, इस परीक्षा को ईमानदारी से सहन करते हुए, कई आत्माएँ प्रबुद्ध हो सकें।"