एस्तेले फगुए के आध्यात्मिक अनुभव पर वाटिकन

वाटिकन स्थित विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल विक्टर मानुएल फेरनानडेज़ ने फ्राँस में बोर्जेस के महाधर्माध्यक्ष जेरोम डेनिएल बो को एक पत्र लिखकर पेलेवोइसिन में दया की देवी माता मरियम की भक्ति को "निहिल ऑब्स्टैट" अर्थात् "कोई अवरोध नहीं" स्थिति प्रदान कर दी है।

22 अगस्त को फ्राँस के महाधर्माध्यक्ष जेरोम डेनिएल बो को प्रेषित पत्र की प्रकाशना वाटिकन ने शुक्रवार 30 अगस्त को की।

"कोई अवरोध नहीं"
"कोई अवरोध नहीं" पत्र में विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल विक्टर मानुएल फेरनानडेज़ ने लिखाः मुझे आपको एस्तेले फगुए और "दया की देवी" के संबंध में, फ्राँस के पेलेवोईसिन तीर्थस्थल पर हुए आध्यात्मिक अनुभव से निकले संदेशों के बारे में लिखते हुए खुशी हो रही है।

पेलेवोइसिन में एक गंभीर और असाध्य बीमारी के दौरान, एस्तेले फगुए ने कुँवारी मरियम की उपस्थिति का अनुभव किया, जिन्होंने कई मौकों पर उनसे येसु मसीह के प्रेम के बारे में बात की। सभी प्राकृतिक व्याख्याओं से परे उनकी चिकित्सा को 8 सितंबर 1893 को परमधर्मपीठ की सहमति से, बोर्जेस के महाधर्माध्यक्ष द्वारा चमत्कार के रूप में पुष्ट किया गया था।

कार्डिनल फेरनानडेज़ ने आगे लिखा, "यद्यपि अलौकिक घटनाओं और कथित संदेशों के अलौकिक चरित्र या दैवीय उत्पत्ति पर राय व्यक्त करना विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय विभाग की वर्तमान प्रथा नहीं है, फिर भी एस्तेले द्वारा पवित्र कुँवारी मरियम से आने वाली अभिव्यक्तियों का एक विशेष मूल्य है जो हमें इस आध्यात्मिक अनुभव के बीच पवित्र आत्मा की क्रिया पर एक झलक पाने की अनुमति देता है।"

अनुग्रह मिलता रहा
कार्डिनल फेरनानडेज़ ने लिखा कि वास्तव में, "कई मामलों में सार्वभौमिक कलीसिया के शीर्ष सन्त पापाओं ने "हमारी दयालु महिला" या "सर्व दयालु माता" से जुड़ी भक्ति के इशारों को अधिकृत किया है। मैं यहाँ कुछ उदाहरणों का उल्लेख करना चाहूँगा, जैसे लियो 13 वें ने 1892 में पेलेवोइसिन के तीर्थयात्रियों को क्षमादान दिया था और सन् 1900 में पवित्र हृदय के स्कैपुलर को मान्यता दी था। इसी प्रकार, सन्त पापा  बेनेडिक्ट 15 वें ने स्कैपुलर प्राप्त करते हुए सन् 1915 में कहा था "पेलेवोइसिन ने पवित्र कुँवारी से अनुग्रह के लिए प्रार्थना की है" तथा 1922 में, 9 सितंबर को पेलेवोइसिन की पल्ली के लिए पवित्र कुँवारी को समर्पित प्रार्थनाओं के आदर में ख्रीस्तयाग की अनुमति दी गई थी।" इस तरह, कार्डिनल महोदय ने अन्त में लिखाः इस तीर्थस्थल के आसपास आस्था और दान के कई खूबसूरत फलों का अनुभव किया गया है।