अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर (8/3)यूनीसेफ, यूनवूमन

यूनिसेफ/यूएन वूमन और प्लान इंटरनेशनल ने आठ मार्च को मनाये जानेवाले अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में "गर्ल्स गोल्स: किशोरियों के लिये क्या बदलाव आया है? और 30 वर्षों में किशोरों के अधिकार" शीर्षक से एक नई रिपोर्ट प्रकाशित की है।
किशोरियों की स्थिति बदत्तर
गुरुवार को प्रकाशषित उक्त रिपोर्ट में कहा गया कि शिक्षा जैसे क्षेत्रों में पिछले तीन दशकों में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, एक करोड़ 22 लाख लड़कियां अभी भी स्कूल से बाहर हैं, भविष्य के लिए तैयार नहीं हैं और जीवन रक्षक स्वास्थ्य सेवाओं में अंतराल का सामना कर रही हैं।
इसके अतिरिक्त, गर्भावस्था की जटिलताओं के कारण 15 से 19 वर्ष की आयु की किशोरियों में 23 में से 1 की मृत्यु होती है तथा बाल विवाह जैसी हानिकारक प्रथाओं का खतरा बना हुआ है, जिसमें 5 में से 1 लड़की की बाल्यवस्था में ही शादी हो जाती है। लगभग पाँच करोड़ किशोरियों ने महिला जननांग विकृति, हिंसा और दुर्व्यवहार और यौन हिंसा का अनुभव किया है।
नई रिपोर्ट "लड़कियों के लक्ष्य: लड़कियों के लिए क्या बदलाव आया है?" इस बात की जांच करती है कि 1995 में बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन को 189 सरकारों द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद से पिछले 30 वर्षों में किशोरियों के जीवन में क्या बदलाव आया है।