पोप : युद्ध में सदैव हार है

पोप फ्रांसिस ने सब मृत विश्वासियों के पर्व दिवस पर युद्ध के दौरान मारे गये लोगों की कब्रगाह, रोम के कोमन वेल्थ सेमेट्री में यूख्रास्तीय बलिदान अर्पित किया।

पोप फ्रांसिस ने रोम के कॉमन वेल्थ कब्र स्थान में मृत विश्वासियों के पर्व दिवस का मिस्सा बलिदान अर्पित किया। 

पोप ने अपने छोटे प्रवचन में कहा कि आज के इस दिन की यादगारी में मैं दो बातों पर चिंतन करता हूँ- यादगारी और आशा। हम उनकी याद करते जो जीवन जीकर हम से विदा हो गये हैं। हम बहुत से लोगों की याद करते हैं जिन्होंने परिवार में, मित्रों की भांति अच्छे कार्यों को किया। हम उनकी भी याद करते हैं जो अच्छे कार्य करने में असफल रहे। लेकिन दयालु ईश्वर उन सभी का स्वागत करते हैं। उनकी याद करते हुए हम ईश्वर के करूणामय महान रहस्य को पाते हैं।

पोप ने कहा कि चिंतन की दूसरी बात हमारे लिए आशा है। यह हमें यादगारी को देखते हुए अपने जीवन की राह में आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। हम जीवन के मार्ग में सबों से मिलने, येसु से मिलन हेतु आगे बढ़ते हैं। हम ईश्वर से आशा में बने रहने की कृपा मांगें जो हमें कभी निराश होने नहीं देते हैं। आशा वह गुण है जो हमें आगे बढ़ने में मदद करती है। यह हमें मसीबतों के समाधान में और समस्याओं से बाहर निकलने में सहायक होती है। इसके द्वारा हम सदैव अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। आशा हमारे दैनिक जीवन का वह ईशशास्त्रीय गुण है जो हमें फलहित होने में मददगार होती है। यह आशा हमें निराशा नहीं करती है। यादें और आशा के मध्य हम एक तनाव को पाते हैं...पोप ने कब्रगाह में प्रवेश करने पर अपने को हुई अनुभूति के बारे में कहा कि यहाँ दफनाये गये अधिकतर लोगों की उम्र 20 से 30 साल की है। जीवन को हम यहाँ मरोड़ा पाते हैं, जिसका कोई भविष्य नहीं रहा। मैंने उनके माता-पिता के बारे में सोचा जिन्हें पत्र मिला, “महोदया, मुझे आप को यह बलताने में गर्व महसूस होता है कि आप का सुपुत्र एक नायक है।” “हाँ वह नायक है लेकिन उन्होंने उसे मुझे से दूर कर दिया।”
इस मृत्यु में हम कितने आंसूओं को देखते हैं। यह मुझे वर्तमान समय के युद्धों की याद दिलाती है। आज भी वही हो रहा है, कितने युवा और बुजुर्ग लोग मारे जा रहे हैं। दुनिया में हो रहे युद्ध के कारण, हमारे अपने भी जो यूरोप या बाहर हैं...कितने ही इसके शिकार हुए हैं। बिना चेतना के कितने ही जीवन नष्ट हो जाते हैं।

पोप ने कहा कि आज मृतकों के बारे में विचार करते हुए, मृत्यु और आशा की सोच में बने रहते हुए हम ईश्वर से शांति की कामना करें, जिससे युद्ध में लोग एक-दूसरे को मारना बंद करें। बहुत से निर्दोष मारे गये हैं, बहुत से सैनिकों का जीवन खत्म हो गया है। ऐसा क्योंॽ युद्ध सदैव एक हार है, हमेशा ही। इसमें पूर्ण विजय नहीं है। हाँ, एक जीतता है लिए दूसरा...इसके पीछे हम हार की कीमत को पाते हैं। संत पापा ने कहा कि हम मृतकों के लिए ईश्वर से निवेदन करें, हरएक के लिए, प्रत्येक जन के लिए। ईश्वर उन्हें अपने यहाँ स्वीकार करें। साथ ही ईश्वर हम पर दया करें और आशा में बनाये रखें, जिससे हम अपने जीवन में आगे बढ़ सकें और उन्हें ईश्वर के संग पा सकें जब वे हमें अपने पास बुलायेंगे। हमारे साथ ऐसा हो।