‘भाईचारे के साथ जीने का मतलब है विविधता में एक-दूसरे को समान मानना', पोप 

अपनी 45वीं प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन पोप ने इन्डोनोसिया की धरती पर राष्ट्र के आदर्श वाक्य “विविधता में एकता” और काथलिक कलीसिया के अंतरधार्मिक संवाद और नागरिक सद्भाव का समर्थन करने के प्रयासों को ध्यान में रखे हुए एक्स पर तीन संदेश लिखा।

पोप फ्राँसिस 03 से 13 सितम्बर तक जारी रहनेवाली अपनी 45 वीं एवं सर्वाधिक लम्बी प्रेरितिक यात्रा के दौरान पहले पड़ाव इन्डोनेशिया में हैं। इन्डोनेशिया में अपनी यात्रा के दूसरे दिन बुधवार को पोप फ्राँसिस का स्वागत जकार्ता के इस्ताना नेगारा राष्ट्रपति भवन में किया गया। वहाँ उन्होंने में देश के अधिकारियों, नागर समाज के अधिकारियों और राजनयिकों को संबोधित किया। पोप फ्राँसिस ने राष्ट्र के आदर्श वाक्य “विविधता में एकता” को कायम रखा और काथलिक कलीसिया के अंतरधार्मिक संवाद और नागरिक सद्भाव का समर्थन करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

पोप ने बुधवार शाम को जकार्ता के माता मरियम के स्वर्गोद्ग्रहण महागिरजाघऱ में धर्माध्यक्षों, पुरोहितों धर्मसंघियों, धर्मबहनों, सेमिनरियों और धर्मप्रचारकों से मुलाकात की और उनहें अपना संदेश दिया। इसी के मददेनजरसंत पापा ने सोशल मीडिया के एक्स पर तीन संदेश लिखा।

पहला संदेश : “सद्भाव तब प्राप्त होता है जब हम न केवल अपने हितों और दृष्टिकोण के प्रति, बल्कि सभी की भलाई के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।” #प्रेरितिक यात्रा

दूसरा संदेश: “जिस प्रकार महासागर सभी इंडोनेशियाई द्वीपों को एकजुट करने वाला प्राकृतिक तत्व है, उसी प्रकार इंडोनेशिया में मौजूद सभी समूहों की विशिष्ट विशेषताओं के लिए पारस्परिक सम्मान वह अपरिहार्य और एकीकृत ताना-बाना है जो इंडोनेशियाई लोगों को एकजुट और गौरवान्वित बनाता है।” #प्रेरितिक यात्रा

तीसरा संदेश: “पानी की दो बूँदें एक जैसी नहीं होतीं, न ही दो भाई या बहनें, यहाँ तक कि जुड़वाँ बच्चे भी पूरी तरह से एक जैसे नहीं होते। भाईचारे के साथ जीने का मतलब है एक-दूसरे का स्वागत करना, विविधता में एक-दूसरे को समान मानना।” #प्रेरितिक यात्रा

पोप इन्डोनेशिया से, पापुआ न्यू गिनी, तिमोर लेस्ते और फिर सिंगापुर की यात्रा करेंगे।