हम जो हैं, वैसे ही अपने को बालक येसु के पास लाएँ, पोप फ्राँसिस
क्रिसमस के मौसम में पोप फ्राँसिस ने सभी भक्त समुदाय से ईश्वर के प्रेम का अनुभव करने हेतु चरनी में पड़े बालक येसु का दर्शन करने और चरवाहों के साथ सच्चे क्रिसमस में प्रवेश करने हेतु प्रेरित किया।
काथलिक कलीसिया ख्रीस्त जयंती के अठवारे में है और इस खुशी के महौल में हम बालक येसु की चरनी का दर्शन करते और प्रार्थना में कुछ समय बिताते हैं। आज 30 दिसंबर के पोप ने सभी विश्वासियों को चरनी के बालक येसु का दर्शन करने और उसके सामने खुद को प्रस्तुत करते हुए ईश्वर के प्रेम का अनुभव करने हेतु प्रेरित किया।
पोप ने शोसल मीडिया के प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, “आइए, हम बालक येसु की चरनी को देखने के लिए रुकें, उसके प्रकाश और शांति को, उसकी गरीबी और अस्वीकृति को। आइए, हम चरवाहों के साथ सच्चे क्रिसमस में प्रवेश करें, येसु के पास खुद को लाएँ जैसे हम हैं। येसु के माध्यम से, हम ईश्वर द्वारा प्रेम किए जाने की सुंदरता का स्वाद चखेंगे।”
29 दिसंबर का ट्वीट संदेश
29 दिसंबर पवित्र परिवार के पर्व दिन पोप ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ करने के पूर्व नाजरेथ के पवित्र परिवार पर चिंतन किया। हर परिवार में एक दूसरे को समझने के लिए आपस में सुनना बहुत ही आवश्यक है और इसके उपरांत संत पापा ने युद्धग्रस्त देशों के पीड़ित परिवारों के लिए प्रार्थना की अपील की। इसी के मद्देनजर संत पापा ने रविवार को अपने एक्स पर तीन संदेश लिखा।
पहला संदेश : “येसु, मरियम और जोसेफ का परिवार पवित्र है। और फिर भी हमने देखा है कि येसु के माता-पिता भी हमेशा उसे नहीं समझते थे। हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर कभी ऐसा होता है कि हम एक-दूसरे को नहीं समझते हैं। जब ऐसा होता है, तो हमें खुद से पूछना चाहिए: क्या हमने एक-दूसरे की बात सुनी है?”
दूसरा संदेश : “परिवार में समझने से ज़्यादा सुनना ज़रूरी है। सुनना दूसरे को महत्व देना है, उसके अस्तित्व और स्वायत्तता से सोचने के अधिकार को पहचानना है। आज हम पवित्र परिवार से जो सीख सकते हैं, वह है एक-दूसरे की बात सुनना।”
तीसरा संदेश : “आइए हम उन परिवारों के लिए एक साथ प्रार्थना करें जो युद्ध के कारण पीड़ित हैं: यूक्रेन, फिलिस्तीन, इजरायल, म्यांमार, सूडान, उत्तरी किवु में: आइए हम युद्ध में फंसे इन सभी परिवारों के लिए प्रार्थना करें”।