पोप: हमारे शहरों की तरह, हम अतीत को ध्यान में रखते हुए भविष्य का निर्माण करें

स्पानी विश्व विरासत शहर समूह के सदस्यों के साथ मुलाकात में पोप फ्राँसिस ने कहा कि लोग अपने शहरों और संस्कृतियों का निर्माण अपने ऐतिहासिक परिस्थितियों से ईश्वर पर विश्वास को मिलाकर करते हैं।

पोप फ्राँसिस ने शनिवार को स्पानी विश्व विरासत शहर समूह के सदस्यों से मुलाकात की, जिसे 1993 में उनके शहरों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए स्थापित किया गया है।

वाटिकन सिटी में विभिन्न स्पानी शहरों के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए पोप ने कहा कि दुनिया का सबसे छोटा राज्य एक समृद्ध विरासत को सुरक्षित रखता है।

उन्होंने कहा कि अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने की मानवता की इच्छा में कलात्मक-सांस्कृतिक क्षेत्र और "इस विरासत को प्राप्त करनेवाले व्यक्ति एवं इसे हम तक पहुंचाने वाले लोगों की अखंडता" दोनों शामिल होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, "ऐतिहासिक परिस्थितियाँ - अपने प्रकाश और अंधकार पक्ष के साथ, हमें वास्तविक पुरुषों और महिलाओं, वास्तविक भावनाओं के बारे में बताती हैं, जो हमारे लिए जीवन की सीख होनी चाहिए, न कि किसी संग्रहालय में रखी गई वस्तु।"

पोप फ्रांसिस ने प्रार्थना की कि ईश्वर स्पेन के शहरों की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षकों को उनकी सुंदरता और "उनके लोगों के विश्वास, आशा और उदारता" को प्रसारित करने में मदद करें।

उन्होंने कहा, "यह उन लोगों की पीड़ाएँ और आकांक्षाएँ हैं जिन्होंने समय के साथ अपने शहरों का निर्माण किया, संस्कृतियों और सभ्यताओं का मिश्रण जो एक-दूसरे का अनुसरण करते हैं, और स्वाभाविक रूप से ईश्वर में उनका विश्वास है, जो उनके दिलों को उत्साह के साथ धड़काता है।"

शहर और उनके सांस्कृतिक स्मारक निवासियों और आगंतुकों को उन्हें बनानेवालों की ताकत और विवेक पर विचार करने के लिए समान रूप से आमंत्रित करते हैं।

उन्होंने कहा, "वे न्याय और संयम की सीख से चुनौती महसूस करें जो प्रत्येक ऐतिहासिक स्थिति में शामिल होता है।"

अतीत को संग्रहालय में बंद करके रखने के बजाय, शहरों की विरासत को आज लोगों को बेहतर भविष्य बनाने में मदद करनी चाहिए।

“इस प्रकार हम लोगों के बारे में, व्यक्तियों के बारे में, एक ऐसे इतिहास के बारे में बात करेंगे जिसपर न केवल चिंतन किया गया है, बल्कि उसे साकार भी किया गया है, जिसमें एक आंख अतीत पर और दूसरी भविष्य पर है, जिसमें हमेशा हमारे हाथ वर्तमान में होते हैं जो हमसे हर दिन सवाल करता है।”