पोप : स्कूल में बदमाशी नहीं, शांति की नींव रखें

पोप फ्राँसिस ने काथलिक शिक्षकों के इतालवी संघ (एआईएमसी), शिक्षकों, प्रबंधकों, प्रशिक्षकों के इतालवी काथलिक संघ (यूसीआईआईडी), काथलिक स्कूलों के अभिभावकों के संघ (एजीईएससी) से मुलाकात की। पोप उन बच्चों के लिए अपना दुख प्रकट करते हैं जो शिक्षित नहीं हैं और जो काम पर जाते हैं, अक्सर उनका शोषण किया जाता है या जो कचरा में भोजन या ऐसी चीज़ों की तलाश करते हैं।

"कभी किसी को नहीं धमकाना, समझे?" आज, 4 जनवरी को पोप पॉल षष्टम सभागार में लगभग दो हजार लड़के-लड़कियों के साथ-साथ शिक्षकों और प्रशिक्षिकाओं से पोप ने इसे छह बार दोहराने के लिए कहा ताकि उनके दिमाग में स्कूल के माहौल में सबसे बुरी ज्यादतियों में से एक ‘बदमाशी’ या धमकाने के लिए "नहीं" को मजबूती से अंकित किया जा सके। धमकाना "जीवन को नष्ट कर देता है" और "युद्ध के लिए तैयार करता है", जबकि स्कूल "अधिक न्यायपूर्ण और भाईचारे" वाली दुनिया के लिए शांति की नींव रखने का काम करता है।

पोप फ्राँसिस ने काथलिक शिक्षकों के इतालवी संघ (एआईएमसी) और शिक्षकों, प्रबंधकों, प्रशिक्षकों के इतालवी काथलिक संघ (यूसीआईआईडी) की स्थापना के 80वें वर्षगांठ और काथलिक स्कूलों के अभिभावकों के संघ (एजीईएससी) की स्थापना के 50वे वर्षगांठ के अवसर पर उनसे मुलाकात की।

ईश्वर की शैक्षिक पद्धति
पोप ने कहा कि यह एक साथ जश्न मनाने और अपने इतिहास को याद करने और भविष्य की ओर देखने का एक शानदार अवसर है। हमारी मुलाकात क्रिसमस के मौसम में हो रही है, एक ऐसा समय जो हमें ईश्वर का शिक्षाशास्त्र दिखाता है और उसकी "शैक्षिक पद्धति" क्या है? यह सामीप्य है। ईश्वर निकट, दयालु और कोमल है। ईश्वर के तीन गुण: निकटता, करुणा और कोमलता। सामीप्य एक शिक्षक की तरह जो अपने छात्रों की दुनिया में प्रवेश करता है। ईश्वर जीवन और प्रेम की भाषा के माध्यम से सिखाने के लिए मनुष्यों के बीच रहना चुनते हैं। येसु का जन्म गरीबी और सादगी में हुआ था: यह हमें एक ऐसी शिक्षाशास्त्र की ओर बुलाता है जो आवश्यक को महत्व देती है और विनम्रता, उदारता और आतिथ्य को केंद्र में रखती है। जो शिक्षाशास्त्र लोगों से दूर है वह उपयोगी नहीं है,  वह मदद नहीं करता है। क्रिसमस हमें सिखाता है कि महानता सफलता या धन में नहीं, बल्कि प्रेम और दूसरों की सेवा में प्रकट होती है।

परिवार
पोप ने कहा कि ईश्वर उपहार का शिक्षाशास्त्र है, सार्वभौमिक भाईचारे की एक परियोजना के हिस्से के रूप में उसके और दूसरों के साथ एकता में रहने का आह्वान है, एक ऐसी परियोजना जिसमें परिवार एक केंद्रीय और अपूर्णीय स्थान है। पोप ने अपने एक सज्जन द्वारा साझा किये गये एक धटना का जिक्र किया एक परिवार माता पिता और दो बच्चे  होटल में खाना खाने गये परंतु सब अपने मोबाइल में व्यस्त थे। इस सज्जन ने उन्हें देखा, पास आए और कहा: “लेकिन आप परिवार हैं, आप एक-दूसरे से बात क्यों नहीं करते? यह एक अजीब बात है..."। उन्होंने उसकी बात सुनी, उसे जाने के लिए कहा और अपना काम करना जारी रखा। संत पापा ने कहा कि परिवार में बातें होती हैं! परिवार संवाद है, वह संवाद जो हमें आगे बढ़ाता है।