पोप लियो 14वें : 'आप सभों को शांति मिले'

पोप लियो 14वें ने विश्वासियों और दुनिया को शांति का आह्वान करते हुए बधाई दी और येसु एवं सुसमाचार के प्रति विश्वसनीय, एकजुट कलीसिया के लिए काम करने का संकल्प लिया।
कार्डिनल मंडल के 133 कार्डिनलों ने कार्डिनल रार्बट फ्रांसिस को रोम के नये धर्माध्यक्ष स्वरुप नियुक्त किया। उन्होंने अपने लिए लियो 14वें का नाम चुना जो विश्व काथलिक कलीसिया के 267वें पोप चुने गये।
रोम में चल रही दो दिवसीय कॉनक्लेव की चौथी सभा में 08 मई 2025 दोपहर के करीबन 6 बजकर 05 मिनट में वाटिकन सिस्टिन चैपल की चिमनी से बहुप्रतीक्षा भीड़ ने सफेद धुवां उठते देखा और तालियाँ बजाकर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हुए नये पोप के चुने जाने पर अपनी खुशी व्यक्त की।
वाटिकन के संत पेत्रुस प्रांगण में करीब पांच लाख लोगों की भीड़ को इस शुभ घड़ी का इंतजार था जो विगत दो दिनों से अपने नये चरवाहे की प्रतीक्षा में घंटों व्यतीत करते थे।
रोम और विश्व को अभिवादन
नव नियुक्त संत पापा लियो 14वें ने प्रथा के अनुसार वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर के झरोखे में कदम रखते हुए हाथ हिलाते हुए सभों को अभिवादन किया और पुनर्जीवित येसु के उन्ही शब्दों को उच्चरित किया, “आप सभों को शांति मिले।” संत पेत्रुस प्रांगण में उपस्थित विश्वासियों ने तालियाँ बजाकर नये संत पापा का स्वागत किया।
पोप ने कहा, “प्रिय भाइयो और बहनो, यह पुनर्जीवित मसीह का पहला अभिवादन है, वे भले चरवाहे हैं जिन्होंने ईशप्रजा, उनकी झुंड के लिए अपना जीवन दे दिया। मैं भी यही चाहता हूँ कि शांति का यह अभिवादन आप सभों के हृदयों में राज करे। यह आपके परिवारों तक पहुंचे, सभी लोगों तक, चाहे वे कहीं भी हों, सभी देशों तक, पृथ्वी की सीमांतों तक पहुंचे। यह शांति आप सभों के संग बनी रहे।”
पोप लियो 14वें ने कहा, “यह पुनर्जीवित मसीह की शांति है, यह एक निशस्त्र शांति और यह हमें निशस्त्र, विनम्र और दृढ़ शांति में बनाये रखती है। यह ईश्वर की ओर से आती है, ईश्वर जो हम सभी को शर्तहीन प्रेम करते हैं। यह हम सभों के कानों में पोप फ्राँसिस की आवाज स्वरुप अब भी गूंजित हैं, जिन्होंने अपने कमजोर लेकिन हमेशा साहसी आवाज में रोम को आशीर्वाद दिया।”
पोप लियो 14वें ने पोप फ्राँसिस की याद दिलाते हुए कहा कि रोम को आशीर्वाद देने वाले पोप ने पास्का पर्व के दिन पूरे विश्व को अपना आशीर्वाद दिया। “मैं उसी आशीर्वाद को आगे बढ़ाने की कामना करता हूँ- ईश्वर हमें प्रेम करते हैं, ईश्वर सभी से प्रेम करते हैं, और बुराई हममें समक्ष प्रबल नहीं होगी। हम सब ईश्वर के हाथों में हैं।” इसलिए, बिना किसी भय के, ईश्वर और एक-दूसरे के संग हाथ में हाथ मिलाकर, आइए हम आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि हम ख्रीस्त के शिष्य हैं। ख्रीस्त हमसे पहले हैं। दुनिया को आज उनके प्रकाश की जरूरत है। मानवता को ईश्वर और उसके प्रेम तक पहुंचने के लिए सेतु के रूप में उनकी आवश्यकता है। यह हमें भी, और फिर एक-दूसरे को भी, सेतु का निर्माण करने में मदद करें, हम संवाद के माध्यम, बैठकों के द्वारा, हम सभी को एकजुट करते हुए सदैव शांतिपूर्ण एक राष्ट्र का निर्माण करें। संत पापा लियो 14वें ने अपने पूर्वावर्ती दिवंगत संत पापा फ्रांसिस के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट किये।
कार्डिनल मंडल के प्रति आभार
उन्होंने कार्डिनल मंडल के प्रति अपने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं अपने सभी कार्डिनल भाइयों को भी धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने मुझे संत पेत्रुस का उत्तराधिकारी और आप सभों के संग मिलकर चलने के लिए चुना है। एक संयुक्त कलीसिया के रूप में, जो सदैव शांति, न्याय की खोज करती है, तथा हमेशा येसु ख्रीस्त के प्रति वफादार नर-नारी के रूप में, बिना किसी भय के, सुसमाचार का प्रचार करते हुए तथा प्रेरित बनने का प्रयास करती है।
अगुस्टीनियन पोप
पोप ने अपना व्यक्तिगत परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि मैं संत अगुस्टीन का पुत्र हूँ, एक अगुस्टीनियन हूँ, जिन्होंने कहा था: “मैं आपके साथ एक ख्रीस्तीय और आपके लिए एक धर्माध्यक्ष हूँ।” इस अर्थ में हम सब मिलकर उस मातृभूमि की ओर चल सकते हैं जिसे ईश्वर ने हम सभों के लिए लिए तैयार किया है।
रोम की कलीसिया को विशेष बधाई। हमें मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि हम कैसे एक प्रेरितिक कलीसिया बनें, एक ऐसी कलीसिया जो सेतुओं और संवाद का निर्माण करे, तथा इस प्रागँण की तरह खुले हाथों से सभों का स्वागत करने के लिए हमेशा तैयार रहे। हर कोई, हर कोई जिसे हमारी उदारता, हमारी उपस्थिति, हमारी वार्ता और हमारे प्रेम की आवश्यकता है।
चिकलायो धर्मप्रांत को बधाई
पोप ने स्पानी भाषा में पेरू के चिकलायो धर्मप्रांत के विश्वासियों से कहा, “और यदि आप मुझे अनुमति दें, तो मैं सभी को, विशेषकर पेरू के मेरे प्यारे धर्मप्रांत चिकलायो को बधाई देना चाहता हूँ, जहाँ के विश्वासियों ने अपने धर्माध्यक्ष के साथ अपने विश्वास को साझा किया तथा येसु मसीह की एक वफादार कलीसिया बने रहने के लिए बहुत कुछ दिया।”
इसके बाद इताली भाषा में बोलते हुए अपने संदेश को जारी रखा।
“रोम, इटली और सम्पूर्ण विश्व के भाइयो और बहनों, हम सभी एक धर्मसभा कलीसिया बनना चाहते हैं, एक ऐसी कलीसिया जो साथ-साथ चलती है, एक ऐसी कलीसिया जो सदैव शांति की खोज करती है, जो सदैव उदारता की खोज करती है, जो सदैव उनके करीब रहने का प्रयास करती है, विशेषकर, जो पीड़ित हैं।”