पोप फ्राँसिस 'स्कूल ऑफ प्रेयर' का तीसरा साक्षात्कार

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया द्वारा 2025 में मनाये जानेवाले पवित्र वर्ष की तैयारी में जारी धर्मशिक्षा माला की श्रंखला को जारी रखते हुए पोप फ्राँसिस ने गुरुवार सन्ध्या रोम के ओत्ताविया क्षेत्र में निवास करनेवाले रोमी नागरिकों की भेंट कर उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया।

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया द्वारा 2025 में मनाये जानेवाले पवित्र वर्ष की तैयारी में जारी धर्मशिक्षा माला की श्रंखला को जारी रखते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार सन्ध्या रोम के ओत्ताविया क्षेत्र में स्थित स्वीडन की सन्त ब्रिजिड को समर्पित महागिरजाघर के परिसर में निवास करनेवाले रोमी नागरिकों की भेंट कर उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया।  

पोप की इस भेंट की पूर्व घोषणा नहीं की गई थी इसलिये उनके दर्शन हेतु आये लगभग तीस रोमी परिवारों ने अपनी बस्ती के गराज के आँगन में सन्त पापा से मुलाकात की। 'स्कूल ऑफ प्रेयर' शीर्षक से जारी धर्मशिक्षा माला का यह तीसरा सत्र था, जिसमें माता-पिता, दादा-दादी, पल्ली के युवा, शिशु और शांतचित्त बच्चे, सेनेगल की महिलाओं का एक समूह, एक ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय धर्मानुयायी और एक जिला अध्यक्ष शामिल थे।

गुरुवार सन्ध्या लगभग पाँच बजे सन्त पापा की फिएट 500L मोटरगाड़ी ने ओत्ताविया के विया पामारोला की एक इमारत के रैंप पर प्रवेश किया, जिसकी दीवारें अभी भी निर्माणाधीन है, जैसे ही सन्त पापा फ्रांसिस ने "सभी को शुभ संध्या" कहकर अभिवादन किया, तालियों की गड़गड़ाहट और हमेशा की तरह "वीवा इल पापा" शब्दों से वातावरण गूँज उठा। जनसमूह के बीच से गुज़रते हुए सन्त पापा ने बच्चों को रोज़री मालाएँ और  कैंडीज़ बांटी, कुछ त्वरित सेल्फियों से लोगों ने तस्वीरें खींची और एक महिला ने आगे बढ़कर पूछा, "क्या आप मेरी मां के लिए प्रार्थना करेंगे?" जिस पर पोप ने उसे आशीर्वाद दिया।

इस अवसर पर पोप ने परिवार और उनके समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों एवं कठिनाइयें और साथ ही कलीसया और समाज के परिवार के सौन्दर्य और इसकी सम्भावनाओं पर अपने विचार साझा किये। उन्होंने कहा,  "परिवारों की हम रक्षा करें, जो बच्चों के पालन-पोषण के लिए आवश्यक है।" उन्होंने तर्कणा, चर्चा और कभी-कभी अलगाव की एक निश्चित अनिवार्यता को स्वीकार किया, जिसे उन्होंने "तूफान" निरूपित कर कहा कि इस तरह के तूफान से हतोत्साहित नहीं हुआ जाना चाहिये।

पोप ने बच्चों को सम्बोधित कर कहा, "यदि माता-पिता डाँटते फटकारते हैं तो उसका बुरा न माना जाये क्योंकि ऐसा करना सामान्य बात है, किन्तु दिन के अन्त तक सबको सुलह कर लेनी चाहिये इसलिये कि शीत युद्ध जैसी स्थिति भयानक है।" उन्होंने कहा, "तीन शब्दों को सदैव ज़हन में रखें, जो हैं,  "क्षमा, कृपया और धन्यवाद"। सुनने वालों को उन्होंने शांति की पुनर्खोज करने और अगले दिन नई शुरुआत करने हेतु एक छोटा सा प्रयास करने के लिए आमंत्रित किया, ताकि परिवार में सदैव शांति बनी रहे। माता-पिता से उन्होंने कहा बच्चे हमारे आचरण पर ध्यान देते हैं, वे वह सबकुछ देखते हैं जो हम करते और कहते हैं। जब हम पीड़ित होते तो वे भी दुखी होते हैं इसलिये बच्चों के प्रति संवेदनशील रहा जाये।

पोप ने इस तथ्य पर बल दिया कि जीवन की शिक्षा घर-परिवार में ही दी जाती है, जिसके लिये बच्चों के साथ बातचीत करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “उनसे बात करना कभी बंद न करें। संवाद के माध्यम से ही शिक्षा दी जाती है, बच्चों को कभी अकेला न छोड़ें, उन पर लांछन न लगायें, उन पर दबाव न डालें, उन्हें स्वतंत्र छोड़ें जो सबसे उत्तम तरीका है।" उन्होंने कहा, "बच्चों को यह एहसास होना चाहिये कि वे अपने माता-पिता और वयस्कों से कुछ भी, किसी भी समय कह सकते हैं।"

युवाओं से पोप ने कहा, ''आप पर इतिहास को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है, जिसके लिए जरूरी है कि जब आप गिरे तो कभी भी पीछे न हटें।'' उन्होंने कहा, ''युवा लोगों के बारे में एक ख़ूबसूरत चीज़ यह है कि वे वापस उठ खड़े होते हैं। हम सभी जीवन में गिरते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि आप फिसले तो गिरे नहीं, वापस उठ खड़े हों।