पोप फ्राँसिस ने संत मरिया मेजर महागिरजाघर में शांति के लिए प्रार्थना की
पोप फ्राँसिस ने 5 अगस्त को संत मरिया मेजर महागिरजाघर के समर्पण महापर्व के अवसर पर रोम स्थित मरिया मेजर महागिरजाघर जाकर संध्या प्रार्थना की अगुवाई की एवं युद्धग्रस्त देशों में शांति के लिए प्रार्थना की।
प्रत्येक वर्ष संत मरिया मेजर महागिरजाघर के समर्पण का पर्व एक प्रभावशाली समारोह का दृश्य बन जाता है, जब हजारों सफेद फूलों की पंखुड़ियाँ सोने की परत चढ़ी छत से गिरती हैं, जो अगस्त में हुए चमत्कारिक हिमपात की याद दिलाती हैं। इसी चमत्कार के कारण इस महागिरजाघर की नींव पड़ी थी।
एक प्राचीन परंपरा याद दिलाती है कि 4-5 अगस्त 358 की शाम को धन्य कुँवारी मरियम ने पोप लिबेरियुस और एक धर्मनिष्ठ रोमन जोड़े के सामने प्रकट होकर उस जगह पर एक गिरजाघर बनाने के लिए कहा था, जहाँ रोम में अत्यधिक गर्मी के समय चमत्कारी बर्फबारी होगी। अगली सुबह, नई गिरी हुई बर्फ में बेसिलिका की रूपरेखा स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
इस साल पोप फ्राँसिस ने खुद संत मरिया मेजर महागिरजाघर जाकर, महागिरजाघर के समर्पण पर्व के अवसर पर संध्या वंदना का संचालन किया।
एक कृपा का चिन्ह
अपने प्रवचन में, पोप ने चमत्कारी बर्फबारी के "चमत्कार" और "विस्मय" पर प्रकाश डाला, जिसे उन्होंने इसकी सुंदरता और निर्मूल्यता के लिए कृपा का प्रतीक बताया। पोप ने कहा, "कृपा को खरीदा नहीं जा सकता, बल्कि प्राप्त किया जाता है; इसे केवल उपहार के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।" "इस तरह, यह पूरी तरह से अप्रत्याशित है, ठीक वैसे ही जैसे रोम में गर्मियों के बीच में बर्फबारी हुई थी।"
उन्होंने आगे कहा कि इस दृष्टिकोण के साथ, महागिरजाघर से जुड़े अधिक महत्वपूर्ण "चिह्न" की सराहना करना संभव है, अर्थात् मरियम का प्रतीक, "सलुस पोपुली रोमानी", रोम के लोगों का उद्धार।
उन्होंने कहा कि इस तस्वीर में, कुँवारी मरियम और बालक की छवि "अपनी ठोसता में, धार्मिक क्षेत्र में हमेशा छिपे रहनेवाले हर पौराणिक, जादुई और आध्यात्मिक आवरण से मुक्त अनुग्रह को प्रकट करती है।” पोप ने आगे कहा, हम यहाँ केवल वही देखते हैं जो आवश्यक है, कुँवारी मरियम और पुत्र : कुँवारी मरियम को सभी युगों से पहले चुना गया था, जो हिम की तरह बेदाग हैं; और उनके पुत्र, जिसमें "सिर्फ दिव्यता की संपूर्णता निवास करती है।"
धन्य कुँवारी मरियम का आह्वान
पोप ने कहा, "यही कारण है कि श्रद्धालु ईश्वर की पवित्र माता से आशीर्वाद मांगने आते हैं, क्योंकि वे अनुग्रह की मध्यस्थ हैं जो हमेशा और केवल पवित्र आत्मा के कार्य द्वारा येसु ख्रीस्त के माध्यम से प्रवाहित होती है।"
पोप फ्राँसिस ने उल्लेख किया कि सोमवार को पर्व के लिए उपस्थित लोगों ने रोम में जुबली के पवित्र वर्ष के लिए आनेवाले तीर्थयात्रियों से पहले एक तरह के "अग्रदूत" बने, जो रोम और पूरी दुनिया के लिए माता मरियम की मध्यस्थता का आह्वान करते हैं। एक विशेष तरीके से, तीर्थयात्री संत मरियम से सच्ची शांति के उपहार के लिए मध्यस्थता करने का आह्वान करते हैं, जो केवल "पश्चाताप करनेवाले और क्षमा किए गए दिलों से आ सकती है, वह शांति जो ख्रीस्त के क्रूस से और उनके खून से आती है, जिसे उन्होंने मरियम से लिया और पापों की क्षमा के लिए बहाया।"
ईश्वर की पवित्र माता, हमारे लिए प्रार्थना कर
पोप ने अपना प्रवचन अलेकजांड्रिया के संत सिरिल के शब्दों में कुँवारी मरियम को संबोधित करते हुए समाप्त किया : “प्रणाम मरिया, ईश्वर की कुँवारी माता, प्रकाश वाहक, अविनाशी पात्र। जय हो, हे कुँवारी मरियम, माता और दासी; उनके लिए कुँवारी, जो आपसे पैदा हुए; उनकी माता जिन्हें आपने अपनी बाहों में उठाया... जय हो, मरियम, आप पूरी दुनिया में सबसे अनमोल प्राणी हैं... कभी न बुझने वाली ज्योति; क्योंकि न्याय का सूरज आपसे ही पैदा हुवे।' ईश्वर की पवित्र माँ, हमारे लिए प्रार्थना कर।"