पोप फ्राँसिस इण्डोनेशिया में

रोम से लगभग 13 घंटों की विमान यात्रा के उपरान्त मंगलवार को पोप फ्राँसिस इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता पहुँचे, जहाँ से वे अपनी 45 वीं एवं सर्वाधिक लम्बी प्रेरितिक यात्रा शुरु कर रहे हैं। 03 से 13 सितम्बर तक जारी रहनेवाली सन्त पापा की यह यात्रा उन्हें इन्डोनेशिया से, पापुआ न्यू गिनी, तिमोर लेस्ते और फिर सिंगापुर ले जायेगी।

एशिया और ओशिनिया में पोप फ्राँसिस की 45वीं प्रेरितिक यात्रा का शुभारम्भ करते हुए ईटा एयरवेज़ का विमान रोम से लगभग 13 घण्टों की यात्रा पूरी कर मंगलवार को जकार्ता में सोकार्नो-हट्टा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्थानीय समयानुसार प्रातः लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर इन्डोनेशिया पहुँचा। सोमवार दोपहर स्थानीय समयानुसार शाम 5:30 बजे सन्त पापा फ्राँसिस रोम के अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डे फ्यूमीचीनो से रवाना हुए थे।   

विमान में सवार होकर, पोप फ्राँसिस ने अपने साथ आए प्रेस और मीडिया कर्मियों का व्यक्तिगत रूप से अभिवादन किया।

जकार्ता पहुंचने पर हवाईअड्डे पर ही सन्त पापा फ्राँसिस का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। मंगलवार का दिन पोप विश्राम कर व्यतीत करेंगे जबकि बुधवार को राजधानी जकार्ता में अपने विविध कार्यक्रमों से वे एशिया और ओसियाना की 12 दिनों वाली लम्बी यात्रा का शुभारम्भ करेंगे।

दक्षिण पूर्व एशिया की यह प्रेरितिक यात्रा एक ऐसी यात्रा है जिसका पोप फ्रांसिस कोविद महामारी आने से  पहले से ही अनुमान लगा रहे थे।

जकार्ता में पोप तीन दिन रहेंगे और तदोपरान्त अपने परमाध्यक्षीय काल की सर्वाधिक लम्बी यात्रा को पूरा करते हुए पापुआ न्यू गिनी, तिमोर लेस्ते और सिंगापुर का रुख करेंगे। प्रत्येक देश में पोप फ्राँसिस का स्वागत वहाँ के वरिष्ट कलीसियाई और प्रशासनिक उच्चाधिकारियों द्वारा किया जायेगा।

इन्डोनेशिया
लगभग 17,000 द्वीप, कई जनजातियों, जातीय समूहों, भाषाओं और संस्कृतियों से समृद्ध इंडोनेशिया, विश्व का सर्वाधिक विशाल आबादी वाला मुस्लिम बहुल राष्ट्र है। पोप फ्राँसिस से पहले, काथलिक कलीसिया के दो अन्य शीर्ष यानि सन् 1970 में पोप पौल षष्टम तथा सन् 1989 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने इन्डोशिया की प्रेरितिक यात्राएँ की थीं।

इंडोनेशिया को व्यापक रूप से सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के एक आदर्श देश रूप में देखा जाता है, अस्तु, ऐसा अनुमान है कि यहाँ पोप फ्राँसिस अपने विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूती का सन्देश जारी रखते हुए मानव बंधुत्व और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देना जारी रखेंगे।

भले ही इन्डोनेशिया में काथलिक धर्मानुयायी मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी का लगभग 3 प्रतिशत हिस्सा हैं, तथापि देश की 28 करोड़ की आबादी में से काथलिकों की संख्या लगभग 80 लाख है। पोप फ्राँसिस जकार्ता में तीन दिन व्यतीत कर रहे हैं, जहां वे राष्ट्र के वरिष्ठ सरकारी, प्रशासनिक और नागर अधिकारियों तथा राजनयिक कोर के गणमान्य व्यक्तियों को सबोधित करेंगे, काथलिक धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों से मुलाकात करेंगे, फिर जकार्ता स्थित इस्तिकलाल मस्जिद में एक अंतरधार्मिक समारोह का नेतृत्व करेंगे तथा राष्ट्र के काथलिक धर्मानुयायियों के लिये पवित्र ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे।

वाटिकन न्यूज़ के साथ एक साक्षात्कार में, जकार्ता के कार्डिनल इग्नेशियस सुहारियो हार्डजोआटमोडजो ने बताया कि काथलिक और मुस्लिम जैसे विभिन्न धर्मों के पुरुषों और महिलाओं के बीच देश में विवाह बहुत आम बात है, जैसा कि प्रायः अन्य मुस्लिम-बहुल देशों में नहीं होता है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रायः पुरोहित ऐसे परिवारों से आते हैं जहाँ माता या पिता मुस्लिम या बौद्ध धर्मानुयायी होते हैं। इन सभी कारणों से, पोप फ्रांसिस की इन्डोनेशियाई यात्रा का आदर्श वाक्य 'विश्वास, बंधुत्व, करुणा' चुना गया है।

एशिया की एक झलक
एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ (एफएबीसी) के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स माउंग बो ने वाटिकन न्यूज को बताया कि एशिया में रहने वाले श्रद्धालुओं को सन्त पापा कई बार एक दूरस्थ, 'सामाजिक' उपस्थिति की तरह प्रतीत होते हैं, इसलिए सन्त पापा का एशिया आगमन बहुत मायने रखता है।

उन्होंने कहा कि एशियाई लोग राजनीतिक उत्पीड़न, ग़रीबी और जलवायु विनाश के विभिन्न स्तरों के साथ-साथ धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक स्वतंत्रता की कमी से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि इसके परिणामस्वरूप, वे अक्सर दूसरे देशों में चले जाते हैं, जहाँ वे अपने विश्वास को जीवित रखकर एक तरह से 'मिशनरी' बन जाते हैं, क्योंकि वे अपने इन "नए घरों" में नई उम्मीद और उत्साह का संचार करते हैं।

पपुआ न्यू गिनी
1984 में पोप सन्त जॉन पॉल द्वितीय ने पापुआ न्यू गिनी की प्रेरितिक यात्रा की थी और अब, ठीक 40 साल बाद, सन्त पापा फ्रांसिस उनके पदचिन्हों पर पुनः लौट रहे हैं।

प्रशांत महासागर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित पापुआ न्यू गिनी में न्यू गिनी का पूर्वी क्षेत्र और उसके द्वीप शामिल हैं। विशाल जैविक और सांस्कृतिक विविधता इस देश की विशेषता है तथा यह अपने समुद्र तटों और मूंगा चट्टानों लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, अंतर्देशीय क्षेत्र में सक्रिय ज्वालामुखी, ग्रेनाइट माउंट विल्हेम सहित घने वर्षावन हैं। यहाँ की स्थानीय जनजातियों में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं।